कचहरी के लिए सरपंच तलाश रहे पेड़ों की छाव, कोसी में बिना भवन के संचालित हो रही 455 ग्राम कचहरी
छोटे-बड़े मुकदमा का निपटारा पंचायत पर हो इसके लिए ग्राम कचहरी का गठन किया गया है। लेकिन ग्राम कचहरी के लिए अब तक भवन का निर्माण नहीं हो सका है। सरपंच को ग्राम कचहरी लगाने के लिए नई जगह की...
जागरण संवाददाता, पूर्णिया। पंचायतों में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है लेकिन सभी पंचायतों को सरकारी ग्राम कचहरी भवन नहीं होने के कारण कही खुले मैदान में तो कहीं पेड़ के नीचे पंचायत न्याय पीठ मामलों की सुनवाई करती है। इससे पंचों एवं फरियादियों दोनों को परेशानी झेलनी पड़ती है। पंचायती राज विभाग से मिली जानकारी अनुसार प्रमंडल के 455 पंचायतों को अपना ग्राम कचहरी भवन नहीं है।
पूर्णिया में 88 पंचायतों में ग्राम कचहरी को अपना भवन नहीं है। जबकि प्रमंडल के चारों जिले में भी ऐसे ग्राम कचहरी की संख्या अधिक है। हालांकि जिला पंचायती राज पदाधिकारी का कहना है कि अधिकांश पंचायतों में पंचायत सरकार भवन का निर्माण कर लिया गया है। शेष पंचायतों में भी भवन निर्माण की प्रक्रिया जारी है। ऐसे में अगले साल से सभी पंचायतों को अपना ग्राम कचहरी भवन मिल जाएगा।
कटिहार में 168 पंचायतों में नहीं है पंचायत सरकार भवन
पंचायतों में गांव की सरकार गठन के लिए अब तक पांच चरण का चुनाव संपन्न हो चुका है। अब तक छह पंचायतों में मुखिया, सरपंच सहित अन्य जन प्रतिनिधियों का चयन कर लिया गया है। 12 दिसंबर तक जिले के सभी 230 पंचायतों में ग्रामीण सरकार का गठन का काम पूरा हो जाएगा। इसके साथ ही ग्रामीण मामलों की निपटारे के लिए पंचायत में ही अदालत लगने लगने लगेगी।
लेकिन हालात यह है कि जिले के 88 पंचायतों में ग्राम कचहरी के लिए अपना भवन नहीं बन पाया है। न सिर्फ पूर्णिया बल्कि प्रमंडल के कटिहार, अररिया एवं किशनगंज सहित कुल 455 पंचायतों को अपना ग्राम कचहरी भवन नहीं है। इसमें अररिया में 156, किशनगंज में 43 एवं कटिहार में 168 पंचायत शामिल हैं।
इस बार बढ़ेगी ग्राम कचहरी की भूमिका
इस बार नई पंचायत सरकार के गठन बाद ग्राम कचहरी की भूमिका और बढऩे वाली है। सरकार ने ग्राम कचहरी को और शक्तियां देने की घोषणा की है। सरकार चाहती है कि गांव-पंचायत के मामले थाना-कोर्ट तक पहुंचने के बजाय उसका निपटारा पंचायत स्तर पर ही हो जाए ताकि ग्रामीणों की परेशानी कम हो तथा उनका आर्थिक शोषण से भी बचाव हो सके।
इसलिए सरकार ने सरपंच और ग्राम कचहरी की शक्ति में वृद्धि की घोषणा की है। ग्राम कचहरी का अब अपना अलग बैंक खाता होगा जिसका सरपंच और कचहरी सचिव संयुक्त रूप से करेंगे। ग्राम कचहरी में सरपंच, पंच, न्यायमित्र मिलकर पक्षकारों के मामलों की सुनवाई करेंगे।
एक हजार रुपये प्रति माह मकान किराया है निर्धारित
अभी मामलों की सुनवाई के लिए न्यायपीठ के बैठने हेतु सभी पंचायतों में अब तक ग्राम कचहरी का निर्माण पूरा नहीं हो पाया है। जिस कारण ये ग्राम कचहरी वहां भाड़े के मकान में या फिर खुले मैदान व पेड़ों के नीचे संचालित हो रहे हैं। हालांकि सरकार भवन के लिए किराया देती है। पंचायत मुख्यालय में 800 वर्गफीट क्षेत्र वाले भवन का किराया सरकार प्रति माह एक हजार रुपये भुगतान करती है।
उस हिसाब से अभी प्रमंडल के 455 भाड़े वाले मकान का किराया चार लाख 55 हजार रुपये प्रति माह भुगतान करती है। लेकिन वहां पर्याप्त स्थान नहीं रहने के कारण ये कचहरी खुले स्थान में ही संचालित होती है। हालांकि जिले में बचे पंचायतों में पंचायत सरकार भवन निर्माण कार्य की प्रक्रिया चल रही है। उम्मीद है अगले साल तक सभी ग्राम कचहरी को अपना भवन मिल जाएगा।