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कोसी और सीमांचल के मरीजों के लिए राहत की खबर... जीएमसीएच में कंपोनेंट््स सेपरेटर यूनिट के लिए लाइसेंस जारी

कोसी और सीमांचल के मरीजों के लिए राहत भरी खबर है। जीएमसीएच परिसर स्थित ब्लड बैंक में कंपोनेंट््स सेपरेटर यूनिट के लिए लाइसेंस जारी कर दिया गया है। इससे इस इलाके के मरीजों को कई तरह की सुविधा...

By Abhishek KumarEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 01:47 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 01:47 PM (IST)
कोसी और सीमांचल के मरीजों के लिए राहत की खबर... जीएमसीएच में कंपोनेंट््स सेपरेटर यूनिट के लिए लाइसेंस जारी
कोसी और सीमांचल के मरीजों के लिए राहत भरी खबर है।

पूर्णिया [दीपक शरण]। लंबे इंतजार के बाद अब राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय परिसर स्थित सरकारी ब्लड बैंक में कंपोनेंट््स सेपरेटर संचालन का कानूनी बाधा खत्म हो गया है। दिल्ली से यूनिट प्रारंभ करने के लिए लाइसेंस निर्गत कर दिया गया है। अब जल्द ही जरूरतमंद रोगी को इसका लाभ मिलने लगेगा।

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ब्लड बैंक में मशीन का इंस्टालेशन पहले ही हो चुका है। लाइसेंस की प्रक्रिया चल रही थी जिसको मंजूरी मिल चुकी है। यूनिट संचालन होने से मरीजों को सुविधा होगी। इसके लिए जिले के बाहर जाना होता था। अभी एक यूनिट रक्त दान करने पर एक ही व्यक्ति को चढ़ाया जाता है। कंपोनेंट््स सेपरेटर मशीन का संचालन होने से अब चार लोगों की जान बच सकती है। रक्तदाता का वजन अगर साठ किलो है तो साढ़े चार सौ एमएल रक्त लिया जाएगा। इसको प्लाज्मा, पीआरबीसी, प्लेटलेट््स और क्रायोङ्क्षप्रसिपीटेड अलग -अलग चार -चार मरीजों की जान बच सकती है।

थैलेसीमिया व डेंगू मरीजों को भी मिलेगा लाभ

कई तरह की मशीन कंपोनेंट््स सेपरेटर के साथ लगी होती है। कंपोनेंट््स आफ प्रेशर मशीन का संचालन होत ही रक्त की उपयोगिता चार गुणा होगी। डेंगू, बर्न और एचआईवी पीडि़त मरीजों को भी सुविधा होगा। दरअसल थैलेसीमिया से पीडि़तों बच्चों को आरबीसी की जरूरत होती है। ब्लड से आरबीसी अलग कर ऐसे मरीजों को चढ़ाया जा सकता है।

प्लेटलेट से कमी का सामना कर रहे मरीजों को भी मिलेगा लाभ

थैलेसीमिया मरीजों को लाल रक्त कणिकाएं (आरबीसी) की आवश्यकता होती है। रक्त से आरबीसी अलग कर थैलेसीमिया के मरीजों को चढ़ाया जा सकता है। डेंगू मरीजों को प्लेटलेट््स चढ़ाया जा सकता है। विभिन्न बीमारियों में जिन मरीजों में पर्याप्त प्लेटलेट््स नहीं है या नहीं बन रहा है उनको भी लाभ हो सकता है। बर्न मरीजों को भी प्लाज्मा की आवश्यकता होती है। ब्लड बैंक में ही प्लाज्मा और फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा को अलग कर चढ़ाया जा सकता है।

एड्स के मरीजों को डब्ल्यूबीसी की आवश्यकता होती है। यह मशीन खून से श्वेत रक्त कणिका को अलग करने में भी काम आ सकता है। सिविल सर्जन डा. एसके वर्मा ने बताया कि यूनिट संचालन के लिए लाइसेंस जारी कर दिया गया है। सभी मशीनों का इंस्टालेशन का कार्य भी पूर्ण हो चुका है। कई बीमारी से पीडि़त मरीजों के लिए यह यूनिट वरदान साबित होगा जिसको पहले अन्य बड़े संस्थान में रेफर करना पड़ता था। जल्द ही इसकी सुविधा मरीजों के लिए प्रारंभ होगी।


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