झाड़ी में फेंकी मिली नवजात बच्ची को मिली नई ¨जदगी
भंडार गांव के पीछे झाड़ी में पोटली के अंदर कांच के टुकड़ों के बिच नवजात बच्ची रोते बिलखते मिली।
मुंगेर। सरकार और विभिन्न सामाजिक संगठन बच्चियों की ¨जदगी बचने के लिए कई तरह के जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे है। बेटिया हर क्षेत्र में सफलता का परचम लहरा रही हैं। जिला की आइकान भी एक बेटी डॉ. नेहा गुप्ता को ही चुना गया। इसके बावजूद हमारे समाज में लड़कियों को लेकर लोगों की मानसिकता नहीं बदली है। आज भी नवजात बच्ची पैदा होने पर गटर में या झाड़ी में फेंक दिया जाता है। कुछ इस तरह का दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई। टेटिया बम्बर प्रखंड के नोनाजी पंचायत के भंडार गांव के पीछे झाड़ी में पोटली के अंदर कांच के टुकड़ों के बिच नवजात बच्ची रोते बिलखते मिली। नवजात का प्राथमिक इलाज कर सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना के संबंध में जिला प्रोग्राम पदाधिकारी सह सहायक निदेशक बल संरक्षण इकाई रेखा कुमारी ने कहा कि भंडार गांव के एक बारह वर्षीय बच्चा खेलते खेलते पहुंचा तो झड़ी से बच्ची के जोर जोर से रोने की आवाज आ रही थी। वह दौड़कर गांव के लोगों को बुला लाया। महिलाओं ने झाड़ी से पोटली निकाल कर उसे खोला तो महिलाओं का कालेजा मुंह को आ गया। कांच के टुकड़ों को पोटली में रख कर नवजात शिशु को रख दिया गया था। कांच के टुकड़ों के बीच छटपटा रही बच्ची खून से लथपथ हो गई थी। नवजात मासूम के कोमल शरीर कई जगह कट छंट गए थे, उनसे खून बह रहा था। मासूम को आनन फानन में नजदीकी चिकित्स्क को दिखाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद इसे सदर अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया है। बच्ची ठीक है। उन्होंने कहा कि बच्ची का वजन मात्र डेढ़ किलो है। इसे मां के दूध की सख्त जरूरत है। इच्छुक माताएं अस्पताल आकर इसे अपना दूध पिलाकर नइ ¨जदगी देने में मददगार बने। उन्होंने कहा कि हमारा समाज मानसिक रूप से अभी भी लड़कियों को लेकर जागरूक नहीं हुआ है। लड़की पैदा होने पर उसे फेंके नहीं नजदीक के पालना घर में ड़ाल आएं। पलना में डालते आपको कोई नहीं देखेगा रात में भी जाकर उसे छोड़ सकते है। पलना में डालकर वहीं रखे घंटी बजाकर लौट आएं। इससे बच्ची को नई ¨जदगी मिल जाएगी।