...अब हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर का फल नवगछिया में भी उपजेगा
नवगछिया के गोपाल सिंह ने सेब का पौधा हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर से मंगवाया है। बीस दिसंबर से इसकी बागबानी शुरू हो जाएगी। गोपाल सिंह पहले भी नारंगी और मौसमी की खेती कर चुके हैं।
भागलपुर [धीरज कुमार]। सेब का नाम सुनते ही हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर का नाम जेहन में आने लगता है। सेब की उपज देश के इन्हीं राज्यों में होती है। लेकिन, अब सेब की खेती के लिए बिहार भी दुनिया भर में मशहूर होगा। भागलपुर, नवगछिया के एक किसान गोपाल सिंह की मेहनत ने वह फल दिया है, जिससे सेब की पैदावार के मामले में बिहार भी हिमाचल और जम्मू-कश्मीर की पंक्ति में खड़ा हो सकेगा। तेतरी के गोपाल सिंह अपने बगीचे में सेब का पेड़ लगाकर इन दिनों फिर चर्चा में हैं। उन्होंने पहली बार अपनी मेहनत से सेब के कुछ पेड़ लगाए, जिसमें सेब फलने लगे हैं। अब किसान की योजना पांच एकड़ जमीन में एक हजार सेब का पौधा लगाने की है। इसके लिए पौधा हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर से मंगवाया है। बीस दिसंबर से इसकी बागबानी शुरू हो जाएगी। गोपाल सिंह इससे पहले नारंगी और मौसमी की खेती कर सुर्खियां और पुरस्कार बटोर चुके हैं। भारत सरकार के कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के द्वारा इन्हें सम्मानित किया गया था। इलाके में इन्हें लोग नारंगीमैन कहकर भी पुकारते हैं।
सेब खाने के लिए दूसरे प्रदेश पर नहीं रहना पड़ेगा निर्भर
किसान गोपाल सिंह ने बताया कि 25 एकड़ जमीन पर पिछले वर्षों से नारंगी की खेती कर रहा हूं। नागपुर और महाराष्ट्र की तर्ज पर नारंगी की खेती शुरू की थी। इसी तरह अब सेब की बागबानी शुरू की है। बीस दिसंबर से सेब की बड़ी बागवानी शुरू की जाएगी। पांच एकड़ खेत में सेब का पौधा लगाया जाएगा। बिलासपुर में एक पेड़ की कीमत सौ रुपये पड़ी है। पांच-छह पेड़ लगाकर सेब की बागबानी शुरू की थी, अब इसका विस्तार किया जाएगा। ताकि बिहार-झारखंड के लोगों को सेब के लिए दूसरे प्रदेश पर निर्भर नहीं रहना पड़े। आने वाले दिनों में लोगों को सस्ते दाम पर देसी सेब खाने को मिलेगा।
डेढ़ से दो साल में टूटने लगेगा फल
किसान ने कहा कि डेढ़ से दो साल के बाद फल पेड़ से टूटने लगेगा। सेब की पैदावार के लिए यहां की जमीन उपयुक्त है। नवगछिया की जमीन पर किसान केला, पपीता, आम, लीची जैसे फल बड़े पैमाने पर उगाते रहे हैं। अब सेब का भी उत्पादन होगा। उन्होंने कहा कि सेब के पेड़ पूरी तरह से तैयार होने पर उसकी कली काटकर आगे भी पौधरोपण किया जाएगा और अन्य किसानों को भी सेब की बागबानी के लिए प्रेरित कर पौधा मुहैया कराया जाएगा।