चाह तो थी बैडमिंटन खिलाड़ी बनने की, लेकिन बन गए 'गुरुओं के गुरु' Bhagalpur News
दिवेश कुमार ने भागलपुर से खेल का सफर शुरू किया। 2016 में बेंगलुरु स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस नेशनल संस्थान में एक वर्ष तक राष्ट्रीय स्तर (एनआइएस) के कोच का प्रशिक्षण लिया।
भागलपुर [जितेंद्र कुमार]। नाथनगर के कजरैली गांव के बैडमिंटन खिलाड़ी दिवेश को भी मालूम नहीं था कि वो कभी देश भर के कोचों को प्रशिक्षित करेंगे। कठिन परिश्रम के बल पर कम समय में भारत के छठे रैंक के कोच हैं। जो बिहार के मात्र एक कोच है। वर्तमान में भारतीय खेल प्राधिकरण 'साई' के पुडीचेरी में कार्यरत हैं। दिवेश को चेन्नई के एसआरएन विश्वविद्यालय में आयोजित नेशनल इंस्ट्टीच्यूट ऑफ स्पोटर्स 'एनआइएस' सार्टिफिकेट कोर्स के लिए कोच को प्रशिक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसमें केरल, तमिलनाडू, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगना, हरियाणा समेत उत्तर-पूर्व राज्य के 44 महिला व पुरुष कोच को प्रशिक्षण दे रहे हैं। दिवेश ने 2015 में बेंगलूरू से एनआइएस कोच का प्रशिक्षण प्राप्त किया था। भारतीय खेल प्राधिकरण ने साईं सेंटर में कोच के लिए चयन किया। अब तक चौथी बार कोच को प्रशिक्षण दे चुके हैं। दो बार राष्ट्रीय सब जूनियर, एक बार साउथ एशियन सब जूनियर के खिलाडिय़ों को प्रशिक्षित किया है।
दिवेश को आगे बढ़ाने में पिता कैलाश बिहारी का भरपूर सहयोग मिला है। पेशे से शिक्षक देवेंद्र कुमार झा ने दिवेश को हवाई अड्डा में दौड़ते देख प्रतिभा को पहचान लिया था। उन्होंने बैडमिंटन खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। दिवेश ने इंडोर हॉल से अपना सफर शुरू किया। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय की टीम को अपने नेतृत्व में ऑल इंडिया विश्वविद्यालय बैडमिंटन प्रतियोगिता तक पहुंचा। इस उपलब्धि के साथ भागलपुर के खिलाडिय़ों को प्रशिक्षित करने का बीड़ा उठाया है। जब भी साई सेंटर से घर वापस लौटते हैं तो भागलपुर के इंडोर हॉल में खिलाडिय़ों को प्रशिक्षित करने में जुट जाते हैं। तकनीकी प्रशिक्षण देकर बिहार के खिलाडिय़ों को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने का संकल्प लिया है।
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