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बिहार में किसानों की बढ़ रही आमदनी, गंगा किनारे किसान उगा रहे जैविक सब्‍जी

बिहार में किसानों की आमदनी बढ़ रही है। गंगा किनारे किसान जैविक खेती उगा रहे हैं। इसके लिए किसानों को सरकार की ओर से भी मदद दी जा रही है। खगडि़या में इस योजना के तहत बड़े पैमाने पर...

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sat, 08 Jan 2022 07:30 AM (IST)Updated: Sat, 08 Jan 2022 07:30 AM (IST)
बिहार में किसानों की बढ़ रही आमदनी, गंगा किनारे किसान उगा रहे जैविक सब्‍जी
बिहार में किसानों की आमदनी बढ़ रही है।

संवाद सूत्र, परबत्ता(खगड़िया)। बदलते समय में खेती किसानी की परिभाषा भी बदल रही है। खेती का मतलब अब धान, गेहूं और मक्का उपजाना भर नहीं रहा। प्रगतिशील किसान पारंपरिक खेती को अलविदा कहने लगे हैं। खगड़िया जिले के भोरकाठ, तेलिया बथान आदि में सब्जी की बंपर खेती की जा रही है। यहां एक हजार से अधिक एकड़ में किसान गोभी, टमाटर, बैगन आदि कि खेती इस बार की है।

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वे बीते कुछ वर्षों से इस ओर उन्मुख हुए हैं। किसान घनश्याम मंडल ने कहा कि गोभी की खेती में 10 हजार के आसपास प्रति एकड़ खर्च होता है, लेकिन आमदनी 50 हजार रुपये हो जाती है। किसान संजय सिंह और बिंदी मंडल ने बताया कि वे मिश्रित खेती करते हैं। गोभी के साथ-साथ मूली और गाजर भी उपजा लेते हैं। इस तरह से आमदनी दोगुनी कर लेते हैं। बताया कि एक एकड़ में वर्ष में तीन फसल उपजा लेते हैं। मचान फार्मिंग का भी सहारा लेते हैं।

मचान पर कद्दू, करेला उपजाते हैं और उसके नीचे बैगन, टमाटर की खेती करते हैं। सब्जी की खेती से गंगा किनारे के इन गांवों में संपन्नता आई है। किसान रणविजय और प्रवीण सिंह ने बताया कि गेहूं और मक्का की खेती में लागत खर्च भी कई बार नहीं निकल पाता था। जबसे सब्जी की खेती आरंभ की है, तो परिवार की गाड़ी ठीक ढंग से चल रही है। खेत पर आकर सब्जी विक्रेता सब्जी ले जाते हैं। एडवांस भी दे देते हैं।

किसान शंकर सिंह, राजेश कुमार, चंद्रिका प्रसाद और अशोक मंडल अपने बच्चों को इस खेती की बदौलत ही अच्छी तालीम दे रहे हैं। किसानों ने बताया कि सितंबर में पूसी गोभी के पौधे लगाते हैं। नवंबर के अंत से गोभी तोड़ना शुरु कर देते हैं। नवंबर में ही माघी गोभी लगाते हैं। इससे भी अच्छी आमदनी हो जाती है।

किसान पारंपरिक खेती को छोड़ व्यवसायिक खेती की ओर उन्मुख हुए हैं। उन्हें कृषि से आमदनी दोगुनी करने के गुर सिखाए जा रहे हैं। मिश्रित खेती इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से समय-समय पर किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है। किसान कृषि विज्ञानी से सलाह लेकर खेती करें, तो और अच्छा।

डा. अनिता कुमारी, प्रधान, कृषि विज्ञान केंद्र, खगड़िया।


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