Nag Panchami 2020 : शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में नाग देवता की विधि विधान के साथ हुई पूजा
Nag Panchami 2020 भागलपुर शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र में नाग देवता की पूजा की गई। श्रद्धालुओं ने मंदिर और घरों में नाग की पूजा की। दूध और लावा का भोग लगाया गया।
भागलपुर, जेएनएन। सावन मास शुक्ल पक्ष पंचमी के पावन अवसर पर शनिवार को शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में नाग पंचमी का त्योहार विधि विधान के साथ मनाया गया। इस अवसर पर परबत्ती, साहिबगंज, नया बाजार, दीपनगर, ईश्वरनगर, इशाकचक, भीखनपुर, छोटी खंजरपुर, बड़ी खंजरपुर, रिफ्यूजी कॉलोनी बरारी, मायागंज, जरलाही, हबीबपुर, धनकर और सबौर सहित विभिन्न विषहरी मंदिरों में नाग देवता की पूजा की पूजा हुई। शहरी क्षेत्रों में तो मंदिर में प्रवेश पर रोक था। पूजारी मंत्रोच्चारण के साथ नाग देवता की पूजा कर रहे थे। बावजूद इसके मंदिर के बाहर श्रद्धालु नाग देवता को दूध, लावा और झांप चढ़ाने को बारी-बारी से आते दिख रहे थे। इस दौरान शरीरिक दूरी का भी खुद लोग ख्याल रख रहे थे। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में श्रद्धालुओं ने पूजा के दौरान लॉकडाउन के नियमों का पालन नहीं किया। मंदिरों में पूजा के लिए एक साथ भीड़ उमड़ पड़ी। शिवालयों में भी भक्तों की भीड़ लगी हुई थी। एक भक्त से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि नाग देवता से कोरोना से मुक्ति दिलाने की कामना की गई है। वही सबका बेड़ा पार करेंगे। इधर कुछ लोगों ने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए अपने-अपने घरों में ही गोबर, मिट्टी की नाग देवता बनाकर पूजा अर्चना की। देवाधिदेव महादेव और माता पार्वती की आराधना कर कोराेना से मुक्ति का फल मांगा।
केंद्रीय पूजा समिति के अध्यक्ष भोला कुमार मंडल, महासचिव शशि शंकर राय, उपाध्यक्ष सह मीडिया प्रभारी प्रदीप कुमार और उपाध्यक्ष कैलाश यादव आदि ने विभिन्न मंदिरों का दौरा किया। उन्होंने कहा कि शारीरिक दूरी का पालन करते हुए शहर के सभी मंदिरों में नाग पंचमी मनाई गई है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष कोरोना संकट को देखते हुए मां विषहरी की प्रतिमा भी स्थापित करने को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।
चंपानगर मनसा देवी मंदिर में भक्तों ने चढ़ाया दूध-लावा
चंपानगर स्थित मां मनसा देवी मंदिर में श्रद्धालुओं ने नाग देवता को दूध-लावा चढ़ाया। कोरोना महामारी को लेकर हर बार की तरह इस बार भक्तों को डलिया चढ़ाने की इजाजत नहीं थी। सिर्फ मंदिर परिसर में शारीरकि दूरी का पालन करते हुए पूर्व से चिन्हित जगह पर भक्तों को दूध-लावा जमा कर देने का निर्देश था, जिसे पुजारी ने नाग देवता को चढ़ाया। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व में भक्तों के द्वारा तक्षक नाग, शेष नाग एवं बासुकी नाग सहित समस्त नाग देवताओं की पूजा की काफी प्राचीन परंपरा है।