जेल में बंदी खुद तैयार करते सरसों तेल और मसाले
केंद्रीय कारा में बंदी तैयार करते हैं सूती वस्त्र, सरसों तेल, मसाले और सत्तू ।
भागलपुर (जेएनएन)। यहां की शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा में लगभग छह सौ बंदी वहां लगाए गए कल-कारखानों में सूती वस्त्र, सरसों तेल, मसाले, सत्तू, बर्तन आदि तैयार करते हैं। यहां के बंदियों की ओर से तैयार सारे सामान आर्डर पर दूसरी जेलों को भी मुहैया कराई जाती है। यहां के बंदी सरसों की पेराई कर तेल तैयार करते हैं। मसालों में हल्दी, धनिया, मिर्च, जीरा, गोल मिर्च की पिसाई कर उसे पैक किया जाता है। बंदी राधा चने का भूजा और सत्तू भी तैयार करते हैं। जेल की स्थापना काल से तब एल्यूमीनियम के बर्तन तैयार किए जाते थे। भोजन की थाली, डेग, डेगजी, टोप आदि तैयार किया जाता था। लेकिन एल्यूमीनियम बर्तन की मनाही कर दिए जाने के बाद यहां टोपल, तवा, पटरू, कुल्हिया आदि तैयार किए जाते हैं। इन बर्तनों की भी आपूर्ति राज्य की दूसरी जेलों में की जाती है। बंदी अपने लिए सूती वस्त्र भी तैयार करते हैं। इन वस्त्रों की आपूर्ति भी दूसरी जेलों में बंदियों के पहनने वाली विशेष कपड़े के रूप में हो रही है। बंदी खुद कंबल भी तैयार करते हैं। कंबल की आपूर्ति भी दूसरे जेलों में की जाती है। यहां की विशेष केंद्रीय कारा में मौजूद बड़े छपाई कारखाना में स्टेशनरी सामानों का निर्माण होता है। यहां की प्रेस में ऑफिस फाइल, फार्म, विभिन्न तरह के पुलिस विभाग से जुड़े कागजात तैयार किए जाते हैं। जिसे आर्डर के हिसाब से विभिन्न जिलों में पुलिस कार्यालय को आपूर्ति किया जा रहा है।
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कामगार बंदियों को मिलती है मजदूरी
जेल के बंदियों को उनकी योग्यता के मुताबिक जेल के कारखानों में काम दिया जाता है। तीन तरह के कामगारों में बांटे गए बंदियों को उनके काम के मुताबिक मजदूरी मिलती है। उनकी मजदूरी से एक तिहाई हिस्सा जेल प्रशासन उन पीड़ित परिवारों के लिए रख लेता है जो उक्त बंदी के अपराध से प्रभावित परिवार हैं। स्किल्ड, सेमी स्किल्ड और नान स्किल्ड मजदूरों में बांटे गए बंदियों को उनके काम के मुताबिक जेल प्रशासन मजदूरी देता है।