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मशरूम उत्पादन कर मीनू लिख रहीं सफलता की कहानी, प्रेरणादायी है उनका संघर्ष, आप भी जानें Bhagalpur News

मीनू मशरूम उत्पादक के साथ मास्टर ट्रेनर भी बन गई हैं। पहले तो मोहल्ले की दर्जन भर महिलाएं जो मशरूम खरीदने आती थीं उन्हें प्रशिक्षण दिया।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 09:27 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 09:27 AM (IST)
मशरूम उत्पादन कर मीनू लिख रहीं सफलता की कहानी, प्रेरणादायी है उनका संघर्ष, आप भी जानें Bhagalpur News
मशरूम उत्पादन कर मीनू लिख रहीं सफलता की कहानी, प्रेरणादायी है उनका संघर्ष, आप भी जानें Bhagalpur News

भागलपुर [अमरेंद्र कुमार तिवारी]। एक महिला जो पढऩा चाहती थी लेकिन लकवा से पीडि़त होने के कारण वह जिंदगी से हताश हो चुकी थी। कदम-कदम पर उसे परेशानियों से रूबरू होना पड़ा लेकिन, उसने हार नहीं मानी। उसने अपने हौसले को इतनी मजबूती दी कि धीरे-धीरे हताशा हारती चली गई। यह दास्तां है इंटर पास जीरोमाइल निवासी मोनिका मीनू की जो अब महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं। मीनू मशरूम उत्पादन कर न सिर्फ स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही हैं बल्कि महिलाओं को भी स्वावलंबी बना रही हैं।

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टीवी देख मशरूम की खेती का आया आइडिया

एक बार मीनू घर में टीवी देख रही थीं तभी मशरूम उत्पादन का आइडिया आया। उन्होंने सबौर कृषि विज्ञान केंद्र की वैज्ञानिक अनीता कुमारी से मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद घर में ही मशरूम उत्पादन के लिए दो बैग तैयार किए। जब उसमें ओयस्टर और बटन मशरूम निकल आए तो मीनू के चेहरे पर सफलता की खुशी छा गई। फिर क्या था। जुनून की पक्की मीनू ने किराए पर दिए अपने घर के बेसमेंट को खाली कराया और बीते दो वर्ष से 16 सौ वर्गफीट में 500 बैग लगाकर प्रति माह तीन क्विंटल मशरूम का उत्पादन कर रही हैं।

उत्पादक के साथ बन गईं मास्टर ट्रेनर

अब मीनू मशरूम उत्पादक के साथ मास्टर ट्रेनर भी बन गई हैं। पहले तो मोहल्ले की दर्जन भर महिलाएं जो मशरूम खरीदने आती थीं उन्हें प्रशिक्षण दिया। बाद में वह सप्ताह में एक दिन अपने उत्पादन केंद्र पर ही बारी-बारी से 10-10 महिलाओं को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दे रही हैं। अब तक करीब पांच सौ महिलाएं मीनू से प्रशिक्षण प्राप्त चुकी हैं।

डिमांड बढऩे से बिक्री हुआ आसान

मीनू बताती हैं कि पहले उत्पादित मशरूम की बिक्री में काफी परेशानी होती थी, लेकिन जैसे-जैसे लोगों को जानकारी हुई डिमांड बढ़ी तो बिक्री भी आसान हो गई है। बाजार में मशरूम की बिक्री करने वाले छोटे व्यापारी भी उनके घर तक मशरूम क्रय करने आने लगे।

रोजगार भी कर रही मुहैया

वह अपने स्वरोजगार से पांच लोगों को रोजगार भी दे रही हैं। वहीं दूसरी तरफ दो युवा थोक दर पर मीनू से मशरूम खरीदकर दो सौ रुपये किलो की दर से बिक्री कर प्रतिदिन चार से पांच सौ रुपये तक कमा रहे हैं।


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