Munger Durga Visarjan Case : मुंगेर की घटना के बाद गरमाने लगी सूबे की राजनीति
Munger Durga Visarjan Case मुंगेर की घटना के बाद सूबे की राजनीति गरमाने लगी है। लोजपा नेता चिराग पासवान ने ट्वीट कर इस घटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरने की कोशिश की है। उन्होंने मृतक के स्वजनों को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की है।
भागलपुर, जेएनएन। Munger Durga Visarjan Case : मुंगेर की घटना के बाद सूबे की राजनीति गरमाने लगी है। हर दल के नेता इस पर अब प्रतिक्रिया दे रहे हैं। लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व जमुई सांसद चिराग पासवान ने ट्वीट कर इस घटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरने की कोशिश की है। उन्होंने कहा है कि इस घटना से यह साबित होता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का शासन तालिबानी है। उन्होंने मृतक के स्वजनों को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की है। उधर, केंद्रीय मंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता गिरिराज सिंह ने भी वीडियो जारी कर इस घटना की निंदा की है। उन्होंने राज्य सरकार से पूरे घटना की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। विधान पार्षद और कांग्रेसी नेता समीर सिंह ने इस घटना की उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराए जाने की मांग की है।
लोकसभा चुनाव में भी विवादों से रहा था लिपि सिंह का नाता
पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान मुंगेर से अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी भी कांग्रेस से प्रत्याशी थीं। लिपि सिंह बाढ़ की एएसपी थीं। बाढ़ विधानसभा क्षेत्र भी मुंगेर लोकसभा क्षेत्र के अधीन है। लिपि सिंह पर यह आरोप लगाया गया था कि वह जदयू से राज्यसभा सदस्य आरसीपी सिंह की पुत्री होने के कारण वह चुनाव में गड़बड़ी कर सकती हैं। आयोग के निर्देश पर उन्हें चुनाव कार्य से मुक्त कर आरके झा को बाढ़ का प्रभार दिया गया था। लिपि सिंह जब अनंत सिंह को दिल्ली लाने गई थीं, तब उन्होंने अपने पिता की गाड़ी का इस्तेमाल किया था। उस समय भी इस मामले ने तूल पकड़ लिया था। कुछ विरोधियों का कहना है कि राजनीतिक रसूख वाली एसपी अपने वरीय अधिकारियों के आदेशों की भी परवाह नहीं करती थी।
कुछ विश्वासपात्र दारोगा ने डुबोई एसपी की नैया
लेडीज सिंघम कही जाने वाली लिपि सिंह अपराध नियंत्रण के मामले में कमजोर नहीं थीं। उन्होंने अपने कार्यकाल में नक्सलियों और अवैध हथियार निर्माताओं पर जमकर कार्रवाई की। दर्जनों लोग पकड़े गए, लेकिन यह भी सच है कि कुछ दारोगा इनके इनते विश्वासपात्र थे कि वे एसपी के अलावा अपने वरीय अधिकारियों की भी नहीं सुनते थे। यही कारण है कि वैसे ही दारोगा की वजह से जल उठा। दारोगा पर विलंब से कार्रवाई का कारण भी उनका विश्वासपात्र होना बताया जाता है। आक्रोशित भीड़ ने उन्हीं थानों को निशाना बनाया, जहां के दारोगा लाठीचार्ज व अन्य कार्रवाई में शामिल थे।