मुहम्मद मन्नान की फांसी की सजा उम्रकैद में बदली, जानिए...
मन्नान को दुष्कर्म कर हत्या के मुकदमे में 31 मई 2007 को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। उसके फांसी की सजा को सर्वोच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखा था।
भागलपुर [जेएनएन]। शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा में बंद फांसी बंदी मुहम्मद मन्नान की फांसी की सजा उम्रकैद में बदल दी गई है। शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा प्रशासन को इस बाबत फांसी बंदियों के लिए कानूनी लड़ाई लडऩे वाली दिल्ली की एनजीओ के अधिवक्ता ने दी है।
जेल प्रशासन का कहना है कि अभी अधिवक्ता ने सूचना दी है। संबंधित न्यायालय से इस बाबत विधिवत पत्र नहीं आया है। इसके पूर्व फांसी बंदी जगत राय को फांसी दिए जाने संबंधी निचली अदालत की ओर से जारी डेथ वारंट पर रोक लगाने की लड़ाई एनजीओ ही लड़ी थी। तब रोक लगाने संबंधी जानकारी भी एनजीओ की ओर से ही पहले कारा प्रशासन को दिया गया था। उसके कुछ दिनों बाद न्यायालय का विधिवत आदेश भी जेल प्रशासन को आया था। मन्नान को दुष्कर्म कर हत्या के मुकदमे में 31 मई 2007 को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। उसके फांसी की सजा को सर्वोच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखा था। फांसी की सजा माफी के लिए मन्नान ने राष्ट्रपति से मर्सी अपील कर रखी थी।
नौ की संख्या है फांसी बंदी
शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा भागलपुर में फांसी की सजा पाए नौ बंदियों को रखा गया है। दरभंगा के बहेरी गांव निवासी फांसी बंदी मुहम्मद मन्नान के अलावा भागलपुर के सबौर निवासी दुष्कर्म कर हत्या करने के आरोपी मुन्ना पांडेय, जमालपुर मुंगेर निवासी मनीष मंडल, राघोपुर वैशाली निवासी विपत राय, सुल्तानगंज भागलपुर निवासी निरंजन कुमार, बक्सर के सिमरी गांव निवासी ओंकार नाथ सिंह उर्फ शेरू सिंह, मंझागढ़, गोपालगंज निवासी अजीत कुमार, चिरैया पूर्वी चंपारण निवासी ध्रुव सहनी शामिल हैं। इनमें मुन्ना को दुष्कर्म कर हत्या में 23 फरवरी 2017 को, मनीष को अपहरण कर हत्या में 7 मई 2016 को, विपत को हत्या में 30 अक्टूबर 2009 को, निरंजन को हत्या में 23 जनवरी 2018 को, ओंकार को हत्या में 16 मई 2016 को, ध्रुव को दुष्कर्म कर हत्या में फांसी की सजा सुनाई गई है।