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JLNMCH : MRI हो सकता है बंद, आखिर अस्पताल अधीक्षक ने विभागाध्यक्षों को क्यों लिखा पत्र Bhagalpur News

एमआरआइ को कमीशन के खेल में बंद कराने का साजिश शुरू हो गई है। अस्पताल अधीक्षक को पता चला कि अस्पताल के चिकित्सक मरीजों को निजी क्लीनिक में एमआरआइ जांच कराने को लिख रहे हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 27 Aug 2019 12:54 PM (IST)Updated: Tue, 27 Aug 2019 12:54 PM (IST)
JLNMCH : MRI हो सकता है बंद, आखिर अस्पताल अधीक्षक ने विभागाध्यक्षों को क्यों लिखा पत्र Bhagalpur News
JLNMCH : MRI हो सकता है बंद, आखिर अस्पताल अधीक्षक ने विभागाध्यक्षों को क्यों लिखा पत्र Bhagalpur News

भागलपुर [जेएनएन]। मेडिकल कॉलेज के एमआरआइ बंद होने के कगार पहुंच गया है। जबकि पिछले सात वर्षों से अस्पताल में एमआरआइ खोलने के लिए कसरत चल रही थी। कई बार सरकार से राशि आवंटित हुई लेकिन किसी न अड़चन की वजह से राशि वापस हो गई। काफी मशक्कत के बाद सरकार ने पीपी मोड में एमआरआइ को 26 जुलाई 2018 को खोला।

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अब एमआरआइ को कमीशन के खेल में बंद कराने का साजिश शुरू हो गई है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरसी मंडल को पता चला कि अस्पताल के चिकित्सक मरीजों को निजी क्लीनिक में एमआरआइ जांच कराने को लिख रहे हैं। इस पर उन्होंने सभी विभागाध्यक्षों को पत्र देकर कहा है कि अस्पताल के मरीजों का एमआरआइ अस्पताल में कराए। वरना बंद एमआरआइ बंद हो जाएगा।

उन्होंने पत्र में लिखा है कि अस्पताल में जितने मरीजों का एमआरआइ होना चाहिए था। उतना नहीं हो रहा है। मरीज निजी क्लीनिक में जा रहे हैं। यदि अस्पताल का एमआरआइ बंद हो जाएगा तो यह संस्थान के हित में नहीं होगा।

तीन माह में एमआरआइ कराए गए मरीजों की संख्या

जून

हड्डी रोग विभाग 56,

न्यूरोसर्जरी 16,

स्त्री एवं प्रसव रोग विभाग 9,

शिशु रोग विभाग 23,

औषधि विभाग 45,

सर्जरी विभाग 14

मनोरोग विभाग में 11

जुलाई

हड्डी रोग विभाग 23,

न्यूरोसर्जरी 16,

स्त्री एवं प्रसव रोग विभाग 11,

शिशु रोग विभाग 27,

औषधि विभाग 62,

सर्जरी विभाग 13

मनोरोग विभाग में 12

अगस्त माह में

शिशु रोग विभाग 23,

न्यूरो सर्जरी विभाग 27,

स्त्री एवं प्रसव रोग विभाग 4,

शिशु रोग विभाग 4,

औषधि विभाग 22,

सर्जरी विभाग 5

मनोरोग विभाग 7 मरीजों का एमआरआइ कराया गया।

आधी राशि पर की जाती है अस्पताल में एमआरआइ

निजी सेंटर में जहां छह हजार से 10 हजार रुपये एमआरआइ करवाने में मरीजों से राशि ली जाती है। वहीं अस्पताल में 21 सौ रुपये से लेकर पांच हजार रुपये राशि ली जाती है।

डॉ. संजय कुमार (अध्यक्ष, आइएमए) ने कहा कि डॉक्टरों को चाहिए कि अस्पताल में मरीजों को एमआरआइ करवाने की सलाह दें। इससे निर्धन मरीजों को राहत मिलेगी। कमीशन के लिए मरीजों को निजी सेंटर नहीं भेजें।


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