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विश्‍व स्‍तनपान सप्‍ताह : मां का दूध बच्चों के लिए वैक्सीन से कम नहीं... पढ़े JLNMCH के जाने-माने शिशु रोग विशेषज्ञों की सलाह

कोरोना संक्रमण के बीच बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर लोग विशेष सावधानियां बरत रहे हैं। जेएलएनएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञों की माने तो मां का दूध बच्‍चों के लिए वैक्‍सीन से कम नहीं है। बच्‍चों को इसके साथ साथ...!

By Abhishek KumarEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 01:38 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 01:38 PM (IST)
विश्‍व स्‍तनपान सप्‍ताह : मां का दूध बच्चों के लिए वैक्सीन से कम नहीं... पढ़े JLNMCH के जाने-माने शिशु रोग विशेषज्ञों की सलाह
कोरोना संक्रमण के बीच बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर लोग विशेष सावधानियां बरत रहे हैं।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। मां का दूध न सिर्फ शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है, बल्कि उसे कई गंभीर रोगों से भी बचाता है। कोरोना काल में शिशुओं के लिए यह वैक्सीन से ज्यादा कारगर है। इतना ही नहीं श्वांस रोग, मधुमेह, एलर्जी जैसी बीमारियों से भी बचाता है।

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जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल की महिला चिकित्सक का कहना है कि कोरोना काल में लोगों के बीच भ्रांति है कि कोरोना संक्रमित या सस्पेक्टेड मां अपने बच्चे को दूध नहीं पिला सकती, लेकिन संक्रमित मां भी कुछ सावधानियों के साथ शिशु को स्तनपान करा सकती है। स्तनपान कराने से पहले अच्छी तरह हाथ धोना चाहिए और मास्क लगाकर स्तनपान कराना चाहिए।

जच्चा-बच्चा दोनों के लिए आवश्यक

चिकित्सकों का कहना है कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए मां के दूध का कोई विकल्प नहीं है। स्तनपान से न सिर्फ बच्चे स्वस्थ रहते हैं, बल्कि मां से उनका भावनात्मक लगाव भी बढ़ता है। स्तनपान जच्चा और बच्चा दोनों के लिए आवश्यक है। हर मां को बच्चों के स्वास्थ्य के लिए स्तनपान के महत्व को समझना होगा। स्तनपान को लेकर जागरुकता के लिए अगस्त के पहले सप्ताह में विश्व स्तनपान सप्ताह घोषित किया गया है, जिसका फायदा दिख रहा है। 2005 में स्तनपान कराने का अनुपात देश मे 46 फीसद था जो बढ़कर 64 फीसद हो गया है। उन्होंने बताया कि मां को दूध नहीं उतरने पर बच्चे को सीने से लगाएं। बच्चे के स्पर्श मात्र से मां को दूध उतरना शुरू हो जाता है। बच्चों को सेहतमंद बनाए रखने के लिए हर मां को स्तनपान कराना चाहिए।

शरीर की सुंदरता पर नहीं पड़ता असर

मां का दूध किसी संजीवनी से कम नहीं है। मां का दूध सर्वोत्तम आहार के साथ बच्चे के लिए अमृत के समान है। आज अधिकतर महिलाएं आधुनिक बनने और सुंदर दिखने के चक्कर में अपने शिशु को स्तनपान नहीं कराकर उनकी जिंदगी और स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रही हैं। स्तनपान कराने से महिलाओं की सुंदरता पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। स्तनपान कराने से पहले व बाद में स्तनों को अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए।

कैंसर का खतरा होता है कम

प्रसव के तुरंत बाद जो महिलाएं बच्चों को स्तनपान कराना शुरू कर देती हैं उन्हें गर्भाशय और स्तन कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है। प्रसव के बाद दो-तीन दिन तक महिलाओं के स्तन से निकलने वाला गाढ़ा-पीला दूध (कोलोस्ट्रम) नवजात के लिए बहुत ही फायदेमंद है। छह महीने तक बच्चे के लिए मां का दूध ही काफी होता है, इसलिए उस अवधि तक बच्चे को स्तनपान जरूरी करवाना चाहिए।

जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराने से कोरोना काल में नवजातों की मौत को रोका जा सकता है। नवजात को जन्म के पहले घंटे मां का दूध (कोलेस्ट्राम अर्थात खिरसा) जरूरी है। इस दूध में सबसे अधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। नवजात को छह माह तक केवल स्तनपान कराकर बच्चों में होने वाली मौत में कमी लाई जा सकती है। - डा. माधवी सिंह, चिकित्सक, जेएलएनएमसीएच

मां का दूध क्यों जरूरी

-इससे बच्चों में बौद्धिक क्षमता तीन से चार प्वाइंट बढ़ जाती है।

- शिशुओं के मस्तिष्क और शारीरिक विकास होता है।

-बच्चों को कई बीमारियों और संक्रमण से मुक्ति मिलती है।

-महिलाओं में स्तन कैंसर की संभावना काफी कम हो जाती है।

-शीघ्र गर्भधारण की संभावना भी नहीं रहती।

- महिलाओं का वजन भी नहीं बढ़ता। 


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