मच्छरों के डंक ने जीना किया मुहाल, शहरवासी हुए बेहाल
मच्छरों के डंक से शहरवासियों का जीना मुहाल हो गया है। रसोई घर से लेकर बेड रूम तक शायद ही कोई ऐसी जगह हो जहां इन दिनों आप निश्चिंत होकर बैठ पाएं।
भागलपुर [अशोक अनंत]
मच्छरों के डंक से शहरवासियों का जीना मुहाल हो गया है। रसोई घर से लेकर बेड रूम तक शायद ही कोई ऐसी जगह हो जहां इन दिनों आप निश्चिंत होकर बैठ पाएं। घर के अंदर साफ-सफाई रखने के बाद भी इनकी संख्या घटने का नाम नहीं ले रही।
परेशानी की बात तो यह कि नए जमाने के मच्छरों पर बाजार में उपलब्ध मच्छर अगरबत्ती और अन्य मच्छररोधी रसायन का भी कोई खास असर नहीं पड़ रहा है।
यह परेशानी घर-घर की है। लिहाजा इससे नगर निगम के साथ-साथ जिला मलेरिया विभाग के अधिकारियों को भी परेशानी हो रही है। बावजूद इसके सभी कान में तेल डालकर सोए हुए हैं। लार्वा मारना तो दूर फॉगिंग तक की व्यवस्था नहीं की जा रही है।
दवा छिड़काव की योजना नहीं
इतनी परेशानी के बाद भी जिला मलेरिया विभाग ने साफ-साफ कह दिया है कि फिलहाल मच्छर निरोधी दवा के छिड़काव की कोई योजना नहीं है। मलेरिया मरीजों की संख्या बढ़ने पर देखा जाएगा। मुख्यालय से निर्देश आने पर ही छिड़काव होगा।
जब जांच ही नहीं हो रही तो कैसे पता चलेगा मलेरिया हुआ है नहीं
टेक्नीशियन के नहीं होने के कारण जिला मलेरिया विभाग में मलेरिया की जांच कई वर्षो से बंद है। प्रखंडों की भी यही स्थिति है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब जांच ही नहीं हो रही है तो आखिर विभाग को कैसे पता चलेगा कि कोई मलेरिया की चपेट में आया है या नहीं। लिहाजा विभाग द्वारा यह कहना कि मलेरिया मरीजों की संख्या बढ़ने पर छिड़काव किया जाएगा, आइवॉश करने जैसा है।
स्टोर में बंद है फॉगिग मशीन
जिला मलेरिया कार्यालय में छह फॉगिग मशीन है। एक मशीन बांका भेज दिया गया है। पांच मशीन वर्षो से स्टोर में बंद है। इसकी देखरेख भी नहीं होती। लंबे समय से इन मशीनों का उपयोग नहीं किया गया है।
नगर निगम को लिखा गया है पत्र
पिछले कई वर्षो से नगर निगम के जिम्मे मच्छर निरोधी दवा छिड़काव की जिम्मेदारी है। जिला मलेरिया कार्यालय ने नगर निगम को मच्छर निरोधी दवा का छिड़काव करने के बावत पत्र भी लिखा है, पर कोई एक्शन नहीं लिया गया।
मलेरिया से दो लोगों के पीड़ित होने पर छिड़काव
एक हजार की आबादी पर दो लोग मलेरिया से पीड़ित होंगे तो दवा के छिड़काव के लिए मुख्यालय को पत्र लिखा जाएगा। हालांकि सिविल सर्जन भी आदेश दे सकते हैं। पर उसके लिए भी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी जरूरी है। मच्छरदानी और क्रीम की बिक्री बढ़ी
पिछले एक सप्ताह में मच्छरदानी की बिक्री काफी बढ़ गई है। सुजागंज के दुकानदार सतीश कुमार जैन और अशोक साह ने कहा कि पिछले पांच दिनों से प्रतिदिन 20 से 25 मच्छरदानी की बिक्री हो रही है। आंकड़े की मानें तो प्रतिदिन तकरीबन 30 हजार रुपये की मच्छरदानी की बिक्री हो रही है। एक मच्छरदानी की कीमत 110 रुपये से लेकर तीन सौ रुपये तक है। मच्छर निरोधी क्रीम और रसायन की भी बिक्री 20 फीसद तक बढ़ गई है। 145 में से 138 पद हैं रिक्त
जिला मलेरिया कार्यालय में 145 पद स्वीकृत हैं। इनमें 138 पद रिक्त हैं। मात्र सात कर्मचारी कार्यरत हैं। रिक्त पदों को भरने की कवायद स्वास्थ्य विभाग नहीं कर रहा। वर्ष मलेरिया ग्रस्त लोगों की संख्या
2018 9
2019 2
2020 3
2021 1 फरवरी तक
------------------------ एनोफिलिज मच्छर के काटने से होता है मलेरिया
प्लाजमोडिया नामक परजीवी से संक्रमित मादा एनोफिलिज मच्छर के काटने से मलेरिया होता है। एक सप्ताह के अंदर ही मरीज में इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं। मलेरिया के लक्षण
- शाम होते ही ठंड के साथ 103 से 105 डिग्री तक बुखार आना
- उल्टी होना, कुछ देर के बाद पसीने के साथ बुखार उतर जाना
(नोट - इस प्रजाति के मच्छर किसी भी स्थान में ठहरे हुए पानी में रहते हैं। नालियों में अंडे देते हैं।) क्या बरतें सावधानी
- पूरे बदन को ढकने वाले कपड़े पहनें
- सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें
- घर के आसपास जल-जमाव नहीं होने दें, मिट्टी से पाट दें
- केरोसिन का छिड़काव करें, इससे मच्छरों का लार्वा नष्ट हो जाता है
- नालियों की समय-समय पर सफाई करते रहें।
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किस मच्छर के काटने से क्या होता है
डॉ. ओवेद अली के मुताबिक मादा एनोफिलिज मच्छर के काटने से मलेरिया, एडिस मच्छर के काटने से चिकनगुनिया, डेंगू और क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फाइलेरिया होता है।
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यह भी जानें
- 1897 में ब्रिटिश वैज्ञानिक डॉ. रोनाल्ड रॉस ने की थी मच्छरों की खोज
- 3500 प्रजातियां हैं विश्व भर में, मात्र 100 नस्ल इंसानों के लिए खतरनाक
- 06 फीसद प्रजाति की मादाएं अपने अंडे के विकास के लिए चूसती हैं इंसानों का खून
- 10 दिन पुरुष मच्छर और छह से आठ हफ्ते होती है मादा मच्छरों की उम्र
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नगर निगम द्वारा रूटीन फॉगिग कराई जाती है। अगर मलेरिया के मरीजों की संख्या बढ़ती है तो मुख्यालय से छिड़काव करने का आदेश दिए जाता है। अभी तक कोई दिशा-निर्देश पटना से नहीं मिला है।
- डॉ. कुंदन भाई पटेल, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी