टीएमबीयू में एक से बढ़कर एक कारनामा: संस्कृत के शोध की हिंदी में लिखी जा रही थिसिस, अब
TMBU तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में एक से बढ़कर एक कारनामे हो रहे हैं। संस्कृत के दो शोध थिसिस हिंदी में मिले। ऐसी थिसिस की होगी जांच। एक मामला पूर्व कुलपति प्रो. विभाष चंद्र झा के समय भी आया था।
भागलपुर [बलराम मिश्र]। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के एक से बढ़कर एक कारनामे सामने आते हैं। अब ताजा मामला शोध से जुड़ा हुआ है। जिसमें भाषा के विषय का शोध थिसिस संबंधित भाषा में ना कर दूसरी भाषा में धड़ल्ले से हो रहा है। इस आधार पर टीएमबीयू से कई लोगों ने पीएचडी भी पूरी कर ली है। अब मामला पकड़ में आने के बाद परीक्षा विभाग सक्रिय हुआ है। परीक्षा नियंत्रक डा. अरुण कुमार सिंह ने संस्कृत के दो ऐसे ही थिथिस को पकड़ा है। जो हिंदी में लिखे गए हैं।
संस्कृत के शोध थिसिस को हिंदी में लिखे जाने पर पाबंदी है। बावजूद संबंधित शोधार्थियों द्वारा इस नियम को ताक पर रख हिंदी में थिसिस तैयार किया गया था। जब हिंदी में शोध थिसिस परीक्षा नियंत्रक के पास सत्यापन के लिए आया तो उन्होंने संबंधित गाइड से इस बारे जवाब तलब किया। इसके बाद उन्हें कहा कि इस तरह के थिसिस मान्य नहीं होंगे। उन्होंने शोध विभाग को नियम संगत तरीके से ही थिसिस जमा लेने का निर्देश दिया है। परीक्षा नियंत्रक द्वारा थिसिस रोके जाने के बाद विवि में हड़कंप की स्थिति है। कई भाषा के विषयों में इस तरह की लापरवाही होती रही है।
परीक्षा नियंत्रक ने बताया कि ऐसा ही एक मामला पूर्व कुलपति प्रो. विभाष चंद्र झा के समय आया था। तब रिसर्च काउंसिल की बैठक में निर्णय लिया गया था कि भाषा विषयों हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू की शोध थिसिस को उसी भाषा में तैयार करना है। तब भी संस्कृत की शोध थिसिस को ङ्क्षहदी में लिखा गया था। पांच अगस्त 2019 को हुई बैठक में इस पर फैसला लिया गया था। इस बैठक में सभी डीन समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहते हैं। निर्णय से सभी पीजी विभागों अन्य अधिकारियों को भी अवगत कराया गया है। ऐसे में इस तरह की गलती नहीं होनी चाहिए।
संस्कृत के शोध थिसिस को ङ्क्षहदी में लिखने के मामले की जानकारी परीक्षा नियंत्रक ने दी। यह नियम के विपरित है। ऐसे शोध थिसिस को रोका जाएगा। इस तरह के शोध थिसिस की जांच होगी। - प्रो. रमेश कुमार, प्रतिकुलपति टीएमबीयू