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देर रात तक टीबी और मोबाइल के उपयोग से माइग्रेन का खतरा

मन उदास रहना बात-बात में गुस्सा होना नकारात्मक विचार आना बहुत ज्यादा उत्तेजित रहना ज्यादा खुश रहना लगातार बोलते रहना कम नींद आना भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर घबराहट होना आदि मानसिक रोग के लक्षण हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 02:08 AM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 06:32 AM (IST)
देर रात तक टीबी और मोबाइल के उपयोग से माइग्रेन का खतरा
देर रात तक टीबी और मोबाइल के उपयोग से माइग्रेन का खतरा

भागलपुर। मन उदास रहना, बात-बात में गुस्सा होना, नकारात्मक विचार आना, बहुत ज्यादा उत्तेजित रहना, ज्यादा खुश रहना, लगातार बोलते रहना, कम नींद आना, भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर घबराहट होना आदि मानसिक रोग के लक्षण हैं। ये बातें दैनिक जागरण कार्यालय में रविवार को हेलो जागरण कार्यक्रम में मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. कुमार गौरव ने कही। वे फोन पर पाठकों के सवालों का जबाव दे रहे थे।

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उन्होंने कहा कि पढ़ाई, प्रतियोगिता परीक्षा और नौकरी के लिए परेशान होने से भी तनाव बढ़ता है। मिर्गी एक बीमारी है, इसके रोगी को जादू-टोना के चक्कर में पड़ने के बजाय इलाज करवाना चाहिए। ऐसे मरीज को भीड़-भाड़ वाले इलाके से दूर रहना चाहिए। नींद नहीं लगना, देर रात तक टीबी और मोबाइल का उपयोग करने से भी सिरदर्द होता है। धीरे-धीरे माइग्रेन में बदल जाता है। माइग्रेन के लक्षणों में आंख, कान, दांत अथवा सिर में दर्द होना है। ज्यादा धूप में रहने से भी सिर में दर्द हो सकता है। संतुलित भोजन, नियमित दिनचर्या, व्यायाम करना, विचार एवं व्यवहार में लचीलापन रखना व नशीले पदार्थों का सेवन ना कर मानसिक रोग से बचा जा सकता है।

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प्रश्न : घबराहट होती है। शादी के नाम से ही भय लगने लगता है।

संजय कुमार नवगछिया

यह मानसिक रोग के लक्षण हैं। किसी भी प्रकार की चिंता नहीं करें। अस्पताल में इलाज करवा लें। प्रश्न : सिर में दर्द होता है, क्या यह माइग्रेन का लक्षण है।

सिरदर्द आंखों की रोशनी कम होने से भी हो सकता है या तेज धूप में निकलने पर भी। जांच करवा लें। अगर माइग्रेन है तो एक वर्ष दवा खाने से ठीक हो जाएगा। प्रश्न : मानसिक रुप से परेशान रहता हूं, कभी-कभी बेहोश भी हो जाता हूं।

सुकेश कुमार, नाथनगर

मिर्गी की बीमारी हो सकती है। लापरवाही नहीं बरतें। अस्पताल में इलाज करवा लें। पढ़ने से सिर में दर्द हो रहा है तो हो सकता है आंखों की रोशनी कम हो, जांच करवा लें। प्रश्न : पिछले कई वर्षो से ठीक से नींद नहीं आती है। बिस्तर पर जाने के दो घंटे के बाद नींद आती है। मन भी नहीं लगता, कभी-कभी चक्कर भी आता है।

रिकू कुमार, बरारी

रक्तचाप की जांच करवा लें या हो सकता है कि कान की समस्या हो। रक्तचाप बढ़ने से भी सिर में कभी-कभी चक्कर आता है। प्रश्न : दो माह से सिर में दर्द रहता है। तेज रोशनी और आवाज से बेचैनी बढ़ जाती है।

मनोज, भीखनपुर

माइग्रेन के लक्षण हैं। तेज आवाज और रोशनी से दिमाग के नस में सूजन होता है। अत: सिर में तेज दर्द होने लगता है। ज्यादा दर्द हो तो डॉक्टर की सलाह से दर्द की दवा खा सकते हैं। भीड़ वाले इलाके में जाने से परहेज करें। प्रश्न : मैं शिक्षक हूं। सिर में तेज दर्द होने लगता है, उल्टी भी होती है। भीड़ वाले स्थान पर जाने से पैर में दर्द होने लगता है।

शालिनी, तारापुर

दर्दनाशक दवा खाएं। माइग्रेन है। भीड़ वाले स्थान पर जाने से बचें। अस्पताल में इलाज करवा लें। प्रश्न : नींद कम आती है और सिर में दर्द रहता है। गुस्सा भी ज्यादा आता है।

कृष्ण बिहारी, पीरपैंती

ये तनाव के लक्षण हैं। मन को शांत रखने के लिए आसन, प्राणायाम करें। सुबह टहलें। प्रश्न : तनाव ज्यादा रहने से शरीर में झनझनाहट होती है। गैस्टिक भी है।

सुनील ठाकुर, पीरपैंती

दिनचर्या को सुंतुलित करें। सुबह जल्दी उठें और टहलें। संतुलित और हल्का भोजन करें। व्यायाम भी करें। तेलीय खाद्य सामग्रियों के खाने से परहेज करें। प्रश्न : पिछले आठ वर्षो से यात्रा के समय सिर में दर्द होने लगता है। एक माह में 10-12 दिन यात्रा में ही गुजरता है।

विक्की, सुलतानगंज

हारमोन में गड़बड़ी आने से भी ऐसा होता है। लगातार यात्रा की वजह से भी तनाव होता है। प्रयास करें की कुछ दिन यात्रा स्थगित कर आराम करें। प्रश्न : मां की उम्र 57 वर्ष है। याददास्त काफी कमजोर हो गई है। कभी हंसने लगती हैं तो कभी रोने लगती हैं।

अंजू सिंह, अकबरनगर

उम्र बढ़ने के साथ ही दिमाग की नसें सूखने लगती हैं। इससे याददास्त कमजोर होने लगती है। इलाज से भी ज्यादा लाभ नहीं होगा।

प्रश्न : 30 वर्षो से नींद की दवा खा रहा हूं। तनाव अभी भी रहता है।

भूषण, मानिक सरकार

धीरे-धीरे दवा खाना कम कर दें। व्यस्त रहने की आदत डालें। योगा करें।

प्रश्न : नौ वर्ष का बेटा है। रात में बिस्तर पर ही पेशाब कर देता है।

रागिनी, सुलतानगंज

हारमोन की गड़बड़ी से ऐसा होता है। रात में आप जब भी उठे, उसे भी पेशाब करवा दें। सुबह दैनिक क्रिया के बाद जब उसे पेशाब लगे तो रोकने के लिए कहें। इससे पेशाब की थैली में भी पेशाब रोकने की क्षमता बढ़ती है।


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