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कटिहार में एक टोला ऐसा, जहां के हर घर से एक सदस्‍य सीमा पर, सेवानिवृत्ति के बाद युवाओं को पढा़ते देशभक्ति का पाठ

यहां के 33 युवक फिलहाल आर्मी में अपनी सेवा दे रहे हैं जबकि 30 लोग फौज से सेवानिवत्त हो चुके हैं। सेवानिवृत्त फौजी युवाओं को आर्मी भर्ती की तैयारी करवाते हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 09:42 AM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 05:38 PM (IST)
कटिहार में एक टोला ऐसा, जहां के हर घर से एक सदस्‍य सीमा पर, सेवानिवृत्ति के बाद युवाओं को पढा़ते देशभक्ति का पाठ
कटिहार में एक टोला ऐसा, जहां के हर घर से एक सदस्‍य सीमा पर, सेवानिवृत्ति के बाद युवाओं को पढा़ते देशभक्ति का पाठ

कटिहार  [रमण कुमार झा]। अमदाबाद से कटाव के बाद शहर के शरीफगंज इलाके में बसा नया टोला अपनी अलग पहचान के लिए जाना जाता है। दियारा में कटाव का दंश झेलने वाले परिवारों के युवाओं में सैन्य सेवा का बढ़ता क्रेज इस टोले को अलग पहचान दे रहा है।

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शहर से दो किलोमीटर की दूरी पर बसे इस टोले के समीप हवाई अड्डा के मैदान में युवा सेना में बहाली की तैयारी करते हैं। यहां के 33 युवक फिलहाल आर्मी में अपनी सेवा दे रहे हैं, जबकि 30 लोग फौज से सेवानिवत्त हो चुके हैं। सेवानिवृत्त फौजी युवाओं को आर्मी भर्ती की तैयारी करवाते हैं। दौड़ से लेकर प्रतियोगिता की तैयारी में मदद मिलने का परिणाम है कि हर वर्ष यहां से लगभग आधा दर्जन युवाओं का चयन होता है। कई लोग अपने बच्चों को भी शारीरिक और मानसिक रूप से इसके लिए तैयार करते हैं। काफी संख्या में युवाओं के सेना से जुड़े होने के कारण यहां के लोग खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं। कई परिवारों के दो-दो सदस्य आर्मी में अपनी सेवा दे रहे हैं। मोहल्ला निवासी परमहंस यादव के पुत्र राजेश कुमार, प्रभु यादव के पुत्र अंकुश कुमार व सुग्रीव यादव के पुत्र राहुल कुमार आर्मी में हैं। वे बताते हैं कि अपने बेटे को देश की सेवा के लिए भेजना उनके लिए गर्व की बात है। राजेश की तैनाती चंडीगढ़, अंकुश अरुणाचल प्रदेश तो राहुल कुमार पटियाला में पदस्थापित हैं। वहीं विक्रम ङ्क्षसह, नंदलाल यादव, शंभू ङ्क्षसह, भीम यादव व प्रमोद कुमार सेना से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। ये युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं। इस बार की बहाली के लिए 60 युवाओं की टोली तैयारी कर रही है। इसको लेकर सूर्योदय से पहले ही उनका अभ्यास आरंभ होता है, जबकि शाम ढलने के बाद वे प्रतियोगिता की तैयारी में जुट जाते हैं। इसको लेकर सेवानिवृत्त हो चुके आर्मी के जवानों द्वारा उन्हें नियमित प्रशिक्षण के साथ शारीरिक रूप से तैयार किया जाता है।


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