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PulwamaTerror Attack : 'अपने रतन को देखे बिना नहीं तोड़ूंगी चूड़ी'

देश के लिए शहीद हुए अमडंडा थाना क्षेत्र के मदारगंज गांव निवासी रतन कुमार ठाकुर का तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर जब गांव पहुंचा तो मानो जन सैलाब उमड़ पड़ा। उनकी पत्‍नी बेसूख हो गई।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 17 Feb 2019 05:38 PM (IST)Updated: Mon, 18 Feb 2019 12:35 PM (IST)
PulwamaTerror Attack : 'अपने रतन को देखे बिना नहीं तोड़ूंगी चूड़ी'
PulwamaTerror Attack : 'अपने रतन को देखे बिना नहीं तोड़ूंगी चूड़ी'

भागलपुर [राम प्रकाश गुप्ता]। शहीद रतन की पत्नी को यह पता था कि अब उनके 'स्वामी' इस दुनिया में नहीं हैं। इसके बावजूद आम लोगों की तरह राजनंदनी (पत्नी) अपने पति का एक झलक पाना चाहती थी। शहीद का पार्थिव शरीर सेना के जवानों के नेतृत्व में गांव लाया गया। लेकिन उनकी पत्नी को शव नहीं दिखाया गया। घर के बाहर शव की औपचारिकता निभाकर उसे रवाना कर दिया गया। शव को घर से कहलगांव घाट ले जाने के बाद परिवार के लोगों ने पत्नी की चूड़ी तोडऩे की रस्म अदा करने के लिए महिलाओं को कहा। इसके लिए गर्भवती राजनंदनी को संभालकर दो महिलाओं के सहारे उसके कमरे से बाहर लाया गया।

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लेकिन पति के अंतिम दर्शन किए बिना वह चूड़ी तोडऩे की रस्म करने से मनाही कर दी। इसके पहले भी एक बार उसे कमरे से बाहर दर्शन के लिए लाया गया। लेकिन दर्शन नहीं करने दिया गया। तब उन्हें अंतिम दर्शन कराने के लिए सनोखर थाने की पुलिस गाड़ी से कहलगांव घाट लाया गया। शनिवार को गांव में शहीद का पार्थिव शरीर आने वाला था। इसका इंतजार सभी कर रहे थे। छोटी बहन नीतू बार-बार लोगों से पूछ रही थी कि भैया कब आएंगे। वह कभी भाभी के पास तो कभी बाहर बरामदे की ओर जा रही थी।

पति के इंतजार में राजनंदनी की निगाहें लगातार दरवाजे पर केंद्रित थी। उनसे मिलने जो आते थे तो पत्नी को लगता था कि पति ही कमरे में प्रवेश कर रहा है। उनसे मिलने आने वाले परिवार और बाहरी सदस्यों से वह लगातार कह रही थी कि मेरे पति को वापस ला दो। सास सुनीता देवी को अपने दामाद को खोने का गम था। बेटी की तरह मां भी लगातार रो रही थी। राजनंदनी के कमरे के बाहर अमडंडा थाने की महिला सिपाही की ड्यूटी लगी थी। वह कमरे में भीड़ नहीं लगे, इसके लिए रोक रही थीं। पति के शहीद होने के गम में वह अपने बेटे कृष्णा का भी ख्याल नहीं रख पा रही थीं। मायके से आई रिश्तेदार बेटे की सुधि ले रहे थे।

एलआइसी ने 2 लाख 23 हजार का चेक शहीद की पत्नी को सौंपा

सीआरपीएफ में वर्ष 2011 में नौकरी होने के बाद रतन कुमार ठाकुर ने अपने नाम से भारतीय जीवन बीमा निगम में पॉलिसी ली थी। एलआइसी ने रतन के शहीद होने की सूचना मिलने के बाद बिना किसी दावे के दो लाख 23 हजार 900 रुपये का चेक शनिवार को मदारगंज स्थित शहीद के घर में पत्नी राजनंदनी को सौंपा। एलआईसी के अधिकारियों गोड्डा के शाखा के प्रबंधक बिनोद कुमार, सीबी ठाकुर और पीके सिन्हा ने कहा कि रतन ने 24.4.2013 को पॉलिसी ली थी। इस मौके पर एजेंट प्रफुल्ल यादव और एएओ विशाल भी थे।


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