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घर सजे मंजूषा से : महोत्‍सव में संस्कृति, कला और साहित्य को सहेजने पर दिया जोर Bhagalpur News

कलाकारों के लिए मंजूषा महोत्सव बेहतर प्लेटफॉर्म है। हमारी संस्कृति कला व साहित्य को सहेजने की जरूरत है। मंजूषा का भविष्य बेहतर है। इस विधा के आर्थिक पहलू के बारे में सोचना है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 12:00 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 12:00 PM (IST)
घर सजे मंजूषा से : महोत्‍सव में संस्कृति, कला और साहित्य को सहेजने पर दिया जोर Bhagalpur News
घर सजे मंजूषा से : महोत्‍सव में संस्कृति, कला और साहित्य को सहेजने पर दिया जोर Bhagalpur News

भागलपुर, जेएनएन। सैंडिस कंपाउंड में मंजूषा महोत्सव सह प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने कहा कि भागलपुर की ऐतिहासिक मंजूषा कला ने देश-विदेश में अपनी छाप छोड़ी है।

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कलाकारों के लिए यह महोत्सव बेहतर प्लेटफॉर्म है। हमारी संस्कृति, कला और साहित्य को सहेजने की जरूरत है। मंजूषा का भविष्य बेहतर है। अब हमें इस विधा से जुड़े कलाकारों के आर्थिक पहलू के बारे में सोचना है। कला को बेहतर उत्पाद बनाकर आर्थिक रूप से जोडऩे की जरूरत है, ताकि इसका फलक बढ़ सके। महोत्सव में मंजूषा से जुड़ी किताबें और पंपलेट स्कूलों में भेजे जाएंगे, ताकि नई पीढ़ी भी अपनी ऐतिहासिक कला मंजूषा के बारे में जान सकेगी। उन्होंने कहा कि मंजूषा को जिआइ टैग दिलाने की दिशा में कवायद शुरू कर दी गई है। जल्द ही यह बड़ी उपलब्धि हासिल होगी।

उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान उद्योग के निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि मंजूषा महोत्सव 21 फरवरी तक चलेगा। महोत्सव में कई स्टॉल हैं। 100 कलाकार मंजूषा कला का लाइव प्रदर्शन कर रहे हैं। हस्तशिल्प से बनी 15 कलाओं का उत्पाद भी स्टॉल में है। मंजूषा कला को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने के लिए उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान जीआई रजिस्ट्रेशन कराएगा। हाल ही में दिल्ली में एक्सपर्ट कमेटी ने अपनी अनुशंसा कर दी है। अब मंजूषा कला को जीआई रजिस्ट्रेशन का रास्ता चेन्नई से साफ हो गया है।

सीएफसी सेंटर बनने से कलाकारों को मिलेगा बेहतर प्लेटफॉर्म

उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान के निदेशक ने कहा कि सीएफसी सेंटर बनने से कलाकारों को बेहतर प्लेटफॉर्म मिलेगा। भागलपुर में प्रतिवर्ष मंजूषा महोत्सव होगा। यहां सिल्क उद्योग को बढ़ावा देने के लिए आर्ट गैलरी और कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि बदलते सांस्कृतिक परिवेश में मंजूषा कला में ठहराव आ गया था, लेकिन इस कला के प्रचार-प्रसार के लिए भागलपुर के बुद्धिजीवी आगे आए हैं। कार्ड बोर्ड, दुपट्टा, शॅाल, कार्ड फाइल, बैग पर मंजूषा कला दिखने लगी है।

सरस्वती वंदना से महोत्सव की शुरुआत

महोत्सव की शुरुआत सरस्वती वंदना से जिला सांख्यिकी पदाधिकारी शंभू राय ने की। महिला उद्योग संघ की अध्यक्ष उषा झा, डीडीसी सुनील कुमार, उद्योग केंद्र के प्रबंधक रामशरण राम, वस्त्र मंत्रालय से पहुंचे अमित मिश्रा, पूर्व उद्योग केंद्र के प्रबंधक एनके झा, राजीवकांत मिश्र ने मंजूषा कला को प्रोत्साहित करने पर विचार रखे।

यह है मेरा बिहार...पर झूमे शहरवासी

ढलती शाम में कलाकारों ने रंग जमाया और महफिल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। मौका था सैंडिस कंपाउंड में मंजूषा महोत्सव सह प्रदर्शनी समारोह के उद्घाटन का। बिहार के लोक गायक सत्येंद्र कुमार संगीत ने सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत बिहार गौरव गान से शुरू की। वाल्मीकि ने रची रामायण लव कुश को जाने संसार यह है मेरा बिहार... के बोल पर दर्शक झूमने लगे। सत्येंद्र ने इसके बाद गीतों की झड़ी लगा दी। मैं कब गाता मेरे स्वर में प्यार किसी का गाता...इस प्रस्तुति से पूरे महोत्सव का माहौल रंगीन हो गया। अंगुली मे डसले पिया...जैसे गीत पेश किए। स्थानीय कलाकारों ने भी कला का प्रदर्शन किया।

'घर सजे मंजूषा से अभियान से मिलेगी विशेष पहचान

जासं, भागलपुर। दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में बिहार के प्रसिद्ध लोक गायक सत्येंद्र संगीत ने कहा कि जब तक हाथों-हाथ और घर-घर मंजूषा कला नहीं पहुंचेगी, इसकी ब्रांडिंग नहीं होगी। यह तभी संभव होगा जब सभी लोग इसके लिए जागरूक होंगे। दैनिक जागरण का 'घर सजे मंजूषा से' अभियान काबिलेतारीफ है। जागरण का बहुत बड़ा फलक है, जिससे लोग देश-विदेश में इस कला के बारे में जान सकेंगे। उन्होंने कहा कि आज मजंूषा का प्रचार-प्रसार नहीं होने के कारण इसकी पहचान घर-घर तक नहीं हो सकी। जागरण के अभियान से मंजूषा को निश्चित रूप से विशेष पहचान मिलेगी। सत्येंद्र ने कहा कि मंजूषा के उत्थान के लिए सरकार भी काफी प्रयासरत है। अब जागरण ने इस ऐतिहासिक कला को विशेष पहचान देने के लिए जो कवायद शुरू की है उससे अब नया मुकाम मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। उन्होंने लोगों से इस अभियान से जुडऩे की अपील की।

मंजूषा महोत्सव का आगाज आज, जुटेंगे राज्यभर से हस्तशिल्पी

21 फरवरी तक आयोजित महोत्सव के लिए भव्य पंडाल बनाए गए है। यहां लोग निश्शुल्क प्रवेश कर सकेंगे। साथ ही कलाकारों द्वारा मंजूषा कला की लाइव प्रदर्शनी देख सकेंगे। हस्तशिल्प से बने 15 कलाओं का उत्पाद भी खरीदने का अवसर मिलेगा। संस्थान के निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने आयोजन स्थल पर तैयारी का जायजा लिया।

मंजूषा के जीआइ रजिस्ट्रेशन का रास्ता साफ, मिलेगी अपनी पहचान

मंजूषा कला को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने के लिए उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान जीआई रजिस्ट्रेशन कराएगा। संस्थान के निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने बताया कि दिल्ली में एक्सपर्ट कमेटी ने अपनी अनुशंसा कर दी है। चेन्नई से अब मंजूषा कला को जीआई रजिस्ट्रेशन का रास्ता साफ हो गया है।

कला को मिला बढ़ावा, राज्य में 15 सीएफसी सेंटर का प्रस्ताव

केंद्र वस्त्र मंत्रालय ने राज्य के हस्तकला के उत्थान को लेकर 30 करोड़ रुपये दो वर्ष पहले उपलब्ध कराए है। संस्थान के निदेशक ने बताया कि राज्य के 15 स्थानों पर 15 कालाओं के लिए सामान्य सुविधा केंद्र का निर्माण होगा। भागलपुर के तिलकामांझी हटिया मोहल्ले में उद्योग विभाग की जमीन पर एक करोड़ रुपये के लागत से मंजूषा सीएफसी सेंटर सह खादी हॉट का निर्माण होगा। उद्योग विभाग की एजेंसी आधारभूत संरचना केंद्र को राशि उपलब्ध करा दी गई है। पहले चरण में गया, मधुबनी व आरा में सीएफसी सेंटर बन गया है। 22 मार्च को पटना के सीएफसी सेंटर का उद्योग मंत्री उद्घाटन करेंगे। टिकुली, सुजनी, एटलिक व बांस कला का मधुबनी को चार सीएफसी सेंटर बनेगा। मुजफ्फरपुर व दरभंगा में एक-एक सेंटर बनेगा।

मंजूषा कला को पहचान दिलाने की कवायद

मंजूषा कला को जन-जन तक पहुंचाने के लिए सरकार हर संभव प्रयास किया। प्रतिवर्ष मंजूषा महोत्सव किया जा रहा है। बदलते सांस्कृतिक परिवेश में मंजूषा कला में ठहराव आ गया था। लेकिन संस्थान प्रचार प्रसार लगी हुई है। प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। अब पांच हजार के करीब मंजूषा कलाकार है। गोवा में 28 से 30 जनवरी को कला महोत्सव में मंजूषा कला का प्रदर्शन किया गया। दिल्ली के कई आयोजन में मंजूषा के स्टॉल लगे। राजगीर में राष्ट्रपति कार्यक्रम में मंजूषा कला का प्रदर्शन हुआ। स्कूलों में मंजूषा की पढ़ाई के लिए 200 पन्नों की किताब भागलपुर डीईओ को उपलब्ध कराई गई।

महोत्सव की झलकियां

-उद्योग विभाग की उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान द्वारा महोत्सव का आयोजन

-शनिवार को हुआ था उद्घाटन व 21 फरवरी को उद्योग मंत्री कर सकते हैं समापन

-100 मंजूषा कलाकार स्टॉल में करेंगे लाईव प्रदर्शन, देखने का मिलेगा अवसर

-हस्तशिल्प के 50 स्टॉल लगाए गए है, 10 स्टॉल मंजूषा व 40 सूबे के विभिन्न कलाओं का

-स्वयं सहायता समूह द्वारा विविध कलाओं के साथ मंजूषा कला से बने उत्पाद का बिक्री करेंगे

-शाम छह बजे से आठ बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा।

-बच्चों के साथ युवाओं को सीखने का मिलेगा अवसर

-100 मंजूषा कलाकार स्टॉल में कर रहे लाइव प्रदर्शन, देखने को जुटी भीड़

-हस्तशिल्प के 50 स्टॉल लगाए गए है, 10 स्टॉल मंजूषा व 40 सूबे के विभिन्न कलाओं के लगी हैं

-स्वयं सहायता समूह द्वारा विविध कलाओं के साथ मंजूषा कला से बने उत्पाद को खरीदने के लिए स्टॉल पर भीड़

-शाम छह बजे से आठ बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रम


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