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योग दर्शन : योग सिद्धांतों को बनाएं शिक्षा का आधार Banka News

15 मिनट स्वच्छ वातावरण में बैठ कर रीढ़ की हड्डी को सीधा रखकर अनुलोम-विलोम शीतकारी शीतली व उज्जाई प्रणायाम से कई बीमारियां समाप्त हो जाती है। योग अासन साधना व व्यायाम लाभकारी है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 10:33 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 10:33 AM (IST)
योग दर्शन : योग सिद्धांतों को बनाएं शिक्षा का आधार Banka News
योग दर्शन : योग सिद्धांतों को बनाएं शिक्षा का आधार Banka News

बांका, जेएनएन। योग शिक्षा को शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल कर पढ़ाया जाय तो भारत कुछ ही वर्षों में अत्‍यंत बुद्धिमान, विनम्र, स्‍वाभिमानी, सेवाभावी और राष्‍ट्रभक्ति के साथ विश्‍व‍गुरु बन जाएगा।

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स्वास्थ्य मनुष्य का सबसे बड़ा धन है। इस धन को बनाने में कड़ी मेहनत की जरूरत होती है। शहर में शिवाजी चौक निवासी प्रभाष पिछले 12 साल से स्वास्थ्य को धन बनाने का मंत्र बांट रहे हैं। इसके लिए उन्होंने योग को हथियार बनाया है।

2007 में हरिद्वार से योग का प्रशिक्षण हासिल करने के बाद से वे लगातार इस अभियान में जुटे हैं। उनके प्रयास से पहले तारा मंदिर में जुट रहे लोगों ने योग करना शुरू किया। इसके बाद योग का नियमित अभ्यास भयहरण स्थान, विजयनगर, जगतपुर हर तरफ पहुंच गया। युवा भारत के संयोजक प्रभाष के इस अभियान में अब कई साथी भी जुड़ गए हैं। जिनके माध्यम से गांव-गांव के विद्यालय, सामुदायिक भवन, महिलाओं का समूह, हर जगह योग का नियमित अभ्यास होने लगा है।

दो सौ विद्यालयों में लग चुकी योग की कक्षा

स्वस्थ रहने का मंत्र बांटने के लिए प्रभाष बच्चों के पास पहुंच रहे हैं। वहां दो से चार दिन की नियमित योग कक्षा आयोजित कर बच्चों को महत्वपूर्ण योग सीखा रहे हैं। इसके लिए सरकारी प्राथमिक स्तर तक के विद्यालय से लेकर माध्यमिक और इंटर स्कूल तक में उनकी योग कक्षा चल रही है। निजी विद्यालयों में भी घूम-घूम कर वे बच्चों को योग सिखा रहे हैं। अब उनका योग गांव-गांव भी पहुंच रहा है। हर सप्ताह उनका किसी न किसी नए गांव में योग पहुंच रहा है। बुजुर्गों के साथ युवाओं को भी इससे जोड़ रहे हैं।

योग दुनिया को निरोग रखने का सबसे बड़ा साधन है। यह सबके लिए जरूरी है। उनका सौभाग्य है कि बांका शहर में उनके प्रयास से लोग योग करने लगे। अब उनके कई साथी भी लोगों को योग सीखा रहे हैं। लोगों को स्वस्थ और निरोग रखने के लिए वे अंतिम सांस तक योग का प्रचार-प्रसार अधिक से अधिक लोगों तक करते रहेंगे। - प्रभाष कुमार, योग प्रशिक्षक


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