Makar Sankranti 2021: दही-चूड़ा आज, सिल्क सिटी में बिक गए छह करोड़ के चूड़ा-तिलकुट
भागलपुर में कोरोना को दरकिनार कर मकर संक्रांति को लेकर खूब चूड़ा-तिलकूट की खरीदारी हुई। इस बार चूड़ा-तिलकूट का कारोबार करीब छह करोड़ के पास हुआ। जबकि 2020 में चार करोड़ के पास ही बिक्री हुई थी। बाजार में कतरनी चूड़ा की डिमांड खूब रही।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। जिले में गुरुवार को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। पर्व की पूर्व संध्या पर बुधवार को बाजार गुलजार रहा। कोरोना को दरकिनार कर चूड़ा-तिलकूट की खूब खरीदारी हुई। शारीरिक दूरी का भी उल्लंघन हुआ। इस बार चूड़ा-तिलकूट का कारोबार करीब छह करोड़ के पास हुआ। जबकि 2020 में चार करोड़ के पास ही बिक्री हुई थी। बाजार में कतरनी चूड़ा की डिमांड खूब रही। लोगों ने सगे-संबंधियों को भी यहां का फेमस कतरनी चूड़ा सौगात में भेंट की। भागलपुर में थोक व्यापारी आधा दर्जन है। दो दर्जन से ज्यादा खुदरा दुकानदार है। तिलकुट दुकानदार संतोष कुमार, गौतम ने बताया कि खोआ, गुड़ और चीनी की स्पेशल तिलकुट बाजार में उतारा गया था। मधुमेह मरीजों को देखते हुए सुगर फ्री तिलकूट भी बाजार में उतारा गया है।
जिले से कई राज्यों में पहुंची कतरनी की महक
एक्टिव फ्रेश कतरनी चूड़ा अधिकृत विक्रेता सह शकुंतला चुरा मिल प्राइवेट के मालिक मनीष कुमार ने बताया कि इस बार कतरनी चूड़ा का डिमांड काफी ज्यादा रहा। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार कारोबार ज्यादा हुआ। यहां से भागलपुर के अलावा, पूर्व बिहार के जिले, कोसी-सीमांचल, आसाम, झारखंड, ओडिसा, मुंबई, दिल्ली सहित अन्य राज्यों में चूड़ा आपूर्ति की गई। करीब दो करोड़ के आसपास कारोबार हुआ। इन्होंने बताया कि उनका चूड़ा सौ फीसद शुद्ध है। इस कारण लोगों के जेहन में एक्टिव फ्रेश छाया हुआ है।
गया के कारीगर बना रहे तिलकुट
ऐसे तो गया का तिलकुट पूरे राज्य भर में प्रसिद्ध है। गया के कारीगर ही तिलकुट बनाने के लिए दूसरे शहरों में जाते हैं। इन कारीगरों का डेढ़ महीने तक रोजगार आसानी से मिल जाती है। भागलपुर में आए गया के कारीगर संजय साव, अवधेश ने बताया कि वह बिहार के सभी जिलों में जाकर तिलकुट बनाते है। तीन साल से भागलपुर आ रहे हैं। यहां के कुछ दुकानदार तिलकुट बनाने के लिए गया से कारीगर लाए हैं, ताकि उनके हाथों स्वादिष्ट तिलकुट बनवाया जा सके। दुकानदार देवेंद्र ने बताया कि यहां से तिलकुट की डिमांड, झारखंड के गोड्डा, साहिबगंज, दुमका तक है।