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ओल की खेती से तरक्की की सीढिय़ां चढ़ रहा यह किसान, आसपास के दूसरे सब्जी उत्पादक किसान भी हो रहे प्रेरित

परंपरागत खेती के साथ ओल व सब्जी की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। नीरज को ओल की खेती करता देख अब आसपास के गांव के कई किसान भी सब्जियों के साथ इसकी खेती कर रहे हैं। नीरज लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 05:04 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 05:04 PM (IST)
ओल की खेती से तरक्की की सीढिय़ां चढ़ रहा यह किसान, आसपास के दूसरे सब्जी उत्पादक किसान भी हो रहे प्रेरित
बिहारीगंज प्रखंड के राजगंज पंचायत के किसान नीरज मेहता अपनी खेत में।

मधेपुर [शैलेश कुमार]। परंपरागत फसलों की खेती के साथ सब्जी की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। खासकर बाढ़ प्रभावित इस इलाके में किसानों के लिए सब्जी की खेती वरदान साबित हो रही है। बिहारीगंज प्रखंड के राजगंज पंचायत के किसान नीरज मेहता परंपरागत कृषि कार्य के साथ-साथ ओल व सब्जी की खेती शुरू की। ओल व सब्जी की खेती में बेहतर आमदनी होने के कारण नीरज का पूरा परिवार खुशहाल हो चला है।

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नीरज की सफलता को देखकर प्रखंड के अन्य किसान भी ओल खेती से जुडऩे लगें हैं। किसानों का कहना हैं कि परंपरागत खेती में प्रकृति की मार, बाजारों की मंदी व कई समस्याओं से जुझना पड़ता है। जबकि सब्जी की खेती में घाटे की संभावना कम रहती है। किसानों ने बताया कि एक एकड़ ओल की खेती से छह माह में एक लाख रुपये से अधिक मुनाफा होता है। ओल बाजार में नगदी बिक्री हो जाता है। इस कारण उसे घरेलू कार्य से लेकर बच्चों की पढ़ाई, शादी- विवाह में महाजन से कर्ज नहीं लेनी पड़ती है।

झारखंड से लाया जाता है ओल का बीज

किसान बताते है कि फरवरी और मार्च में हाइब्रिड ओल की रोपनी की जाती है। जो सितंबर से अक्टू्बर तक तैैयार हो जाता है। इसकी रोपनी के लिए झारखंड से हाइब्रिड ओल मंगाया जाता हैं। इसकी रोपनी के लिए गड्ढे में गोबर की खाद देकर बीज रोपा जाता है। इसमें रासायनिक खाद का भी प्रयोग किया जाता है। एक एकड़ जमीन में ओल खेेती के लिए 70- 80 हजार रुपये का खर्च होता हैं। जबकि 100 से 200 ङ्क्षक्वटल की उपज होती है। जो बाजार में बीस से तीस रुपये किलों के दर से बिक्री होतीं हैं। एक साल ओल को खेत में छोड़ देने पर आमदनी डेढ़ से दो गुणा हो सकती है।

किसान प्रकृति के दुष्प्रभाव से परंपरागत खेती से दूर भागने लगे हैं। किसान मिश्रित खेेेती कर अच्छी आय कर रहे हैं। ओल की खेती का दायरा प्रत्येक वर्ष बढ़ रहा है। ओल खेेेती रकवा का आंकड़ा के लिए कृषि समन्वयक को निर्देश दिया गया है। किसान चौपाल के माध्यम से किसानों को ओल खेती की जानकारी दी जाती है। - उमेश प्रसाद, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, बिहारीगंज।


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