जोनल ऑफिस हटा तो 1500 परिवारों की छिन जाएगी आजीविका
भागलपुर राज्य का दूसरा बड़ा शहर है। यहां चार दशक से अंचल कार्यालय है। एसबीआइ के जोनल कार्यालय से हट जाने से व्यवसायी वर्ग तथा आम ग्राहकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
भागलपुर [जेएनएन]। भागलपुर से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के जोनल कार्यालय को बेगूसराय शिफ्ट किए जाने से 1500 परिवारों की आजीविका छिन जाएगी। कार्यालय में अभी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी, चालक, गेस्ट हाऊस और कैंटीन में करीब 150 लोग लाभान्वित हैं। कार्यालय शिफ्ट होने के बाद सभी हटा दिए जाएंगे। इनकी आजीविका बचाने और कार्यालय के स्थानांतरण पर रोक के लिए चैंबर ऑफ कॉमर्स के साथ बैंक यूनियन भी आगे आ गई है। चैंबर ने एसबीआइ के अध्यक्ष, वित्त मंत्री अरुण जेटली, सुशील मोदी, सांसद और डीजीएम को पत्र भेजकर फैसले पर रोक लगाने की मांग की।
चैंबर अध्यक्ष शैलेंद्र सर्राफ ने कहा कि पटना के बाद भागलपुर राज्य का दूसरा बड़ा शहर है। यहां चार दशक से अंचल कार्यालय है। भागलपुर जिले में एनटीपीसी, सिल्क उद्योग, तिलकामांझी विवि है। दूसरे राज्यों से व्यापारी यहां खरीदारी करने आते हैं। ऐसे में जोनल कार्यालय को हटाना गलत है। आइबॉक के सचिव प्रशांत मिश्रा ने कहा कि बैंक के इस गलत निर्णय से सैकड़ों परिवार के समक्ष आजीविका का संकट हो जाएगा। व्यवसायी वर्ग तथा आम ग्राहकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। भागलपुर बिहार का दूसरा बड़ा जिला है।
आठ जिलों का होता है काम
जोनल कार्यालय होने से अभी स्टेट बैंक के ग्राहकों का छोटे से लेकर बड़ा काम आसान से हो जता है। भागलपुर जोनल कार्यालय के अधीन भागलपुर, बेगूसराय, मुंगेर, शेखपुरा, जमुई, लखसीराय, बांका और खगडिय़ा जिला हैं। इन जिलों के ग्राहकों के होम लोन, कृषि लोन, व्यवसायी लोन सहित अन्य तरह के काम भागलपुर से ही होता है। शिफ्ट होने के बाद परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
टूट सकते हैं एसबीआइ के ग्राहक
भागलपुर में अभी दूसरे कई बैंकों का जोनल कार्यालय है। एसबीआइ, यूको बैंक, इलाहाबाद बैंक और बैंक ऑफ इंडिया का जोनल कार्यालय शहर में ही है। एसबीआइ कार्यालय यहां से चला जाता है तो एसबीआइ के ग्राहक भी टूट सकते हैं।
24 वर्ष पहले भी आंदोलन से बचा था जोनल कार्यालय
भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के जोनल कार्यालय को दूसरी जगह शिफ्ट करने की योजना 24 साल पहले 1995 में भी बनी थी, तब बिहार और झारखंड एक ही राज्य था। भागलपुर के अंतर्गत ही देवघर, साहिबगंज, दुमका और गोड्डा जिला थे। इस वजह से जोनल कार्यालय को भागलपुर से देवघर ले जाने के लिए बैंक के वरीय अधिकारियों ने पूरी कोशिश की थी। इसको लेकर चैंबर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारी, व्यापारी और प्रबुद्धजनों ने आंदोलन किया था। कई दिनों तक धरना-प्रदर्शन हुआ। शहरवासियों के आंदोलन के कारण केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने हस्तक्षेप किया था। इसके बाद जोनल कार्यालय का स्थानांतरण रोक लग गई थी।
2019 में भी एक बार फिर जोनल कार्यालय को बेगूसराय शिफ्ट करने की बात चल रही है। यहां के व्यापारी संगठन और आम लोग भी इस पर रोक लगाने के लिए एक बार फिर मुखर होने लगे हैं। अबकी बार बकायदा इसके लिए आंचलिक कार्यालय बचाव संघर्ष समिति का गठन हुआ है। समिति में चैंबर के पदाधिकारी, अधिवक्ता, प्राचार्य, व्यवसायी और प्रबुद्धजनों को शामिल किया गया है। सभी इसको लेकर आंदोलन करने की तैयारी में जुट गए हैं।
आज से शुरू हुआ धरना-प्रदर्शन
जोनल ऑफिस को हटाने को लेकर आंचलिक कार्यालय बचाव संघर्ष समिति की ओर से गुरुवार से आंदोलन शुरू किया जा रहा है। इसमें शहर के व्यापारियों के साथ आमजनों की भी भागीदारी होगी। समिति के सदस्य बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रदीप झुनझुनवाला ने कहा कि अंचल कार्यालय स्थानांतरण होने से औद्योगिक विकास पर प्रभाव पड़ेगा। किसी भी सूरत में इसे हटने नहीं दिया जाएगा। प्रशांत कुमार मिश्रा ने कहा जोनल कार्यालय शिफ्ट करने के विरोध में बड़े आंदोलन की रूपरेखा तैयार हो गई है। इसके लिए बड़ा जन आंदोलन किया जाएगा और कार्यालय को शिफ्ट नहीं करने दिया जाएगा।