अपनी क्यारी अपनी थाली : अब हर घर में इम्यूनिटी की हरियाली, लगेगी पोषण वाटिका
गांव के हर एक घर में सामूहिक रूप से पोषण वाटिका विकसित की जाएगी। इसके लिए बीएयू ने मास्टर ट्रेनर बनाने के लिए प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है।
भागलपुर [ललन तिवारी]। कुपोषण, एनीमिया और अल्पवजन से समुदाय को बचाने के लिए अब अपनी क्यारी, अपनी थाली योजना आंगनबाड़ी से निकलकर गांव के आम लोगों तक ले जाने का काम शुरू कर दिया गया है। दरअसल, आंगनबाड़ी केंद्रों में जमीन का अभाव और सही ढंग से देख भाल नहीं होने के कारण यह फैसला राज्य सरकार ने लिया है। आंगनबाड़ी केंद्रों से जुड़े लाभार्थियों के घर के पास या निजी जमीन पर पोषण वाटिका लगाई जाएगी ताकि लाभार्थी खुद देखभाल करे और उसका लाभ ले।
बीते वर्ष हुए सर्वे में पता चला कि राज्य में विशेषकर पांच साल के अंदर के बच्चों में कुपोषण अधिक है। पांच साल से कम आयु के 42 फीसद बच्चे नाटेपन के शिकार हैं। सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी जैसे विटामिन ए, बी, बी12, आयरन और जिंक विशेषकर किशोरावस्था में अधिक होती है। इसी से निपटने के लिए आईसीडीएस एवं बिहार कृषि विश्वविद्यालय की पार्टनरशिप आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषण वाटिका की शुरुआत महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
क्या है पोषण वाटिका
गर्भवती महिलाओं और बच्चों में कुपोषण की समस्या दूर करने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए मौसमी सब्जियों व फल वाटिका में लगेगी। वाटिका में टमाटर, मूली, गाजर, सहजन, केला अमरूद आदि के पौधे लगाए जाएंगे।
बीएयू तैयार कर रहा मास्टर ट्रेनर
प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. आरके सोहाने ने बताया कि गांव के हर एक घर में सामूहिक रूप से पोषण वाटिका विकसित की जाएगी। लोगों को जागरुक करने व धरातल पर किस प्रकार काम करना हैं इसके लिए प्रत्येक जिले में 11 सदस्य वाली टीम को मास्टर ट्रेनर का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें जिला आईसीडीएस के प्रोग्राम पदाधिकारी, दो सीडीपीओ, पांच सुपरवाइजर एवं तीन आंगनबाड़ी कर्मी शामिल है। ये फिर आगे लोगों को प्रशिक्षित करेंगे।
इम्यूनिटी बढ़ाकर कुपोषण को कम करना ही योजना का उद्देश्य है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों को स्थानीय स्तर पर गुणवत्ता पूर्ण सब्जी और फल अपने ही पोषण वाटिका से प्राप्त हो इसके लिए प्रेरित करने और उसे धरातल पर उतारने का प्रयास किया जा रहा है। - डॉ.अजय कुमार सिंह, कुलपति बीएयू सबौर