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कभी दिवाली में लाख दीपों से जगमगाता था बौंसी का लखदीपा मंदिर Banka News

सन् 1500 के आसपास दक्षिण भारत के चोल नरेश ने यह मंदिर बनवाया था। पटना पुरातत्व विभाग के पुरातत्वविदों की टीम अबतक मंदार के धरोहरों का दो बार निरीक्षण कर चुकी है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 27 Oct 2019 08:44 AM (IST)Updated: Sun, 27 Oct 2019 08:44 AM (IST)
कभी दिवाली में लाख दीपों से जगमगाता था बौंसी का लखदीपा मंदिर Banka News
कभी दिवाली में लाख दीपों से जगमगाता था बौंसी का लखदीपा मंदिर Banka News

बांका [शंकर मित्रा]। बांका जिले के बौंसी प्रखंड के मंदार पर्वत की तलहटी स्थित करीब 600 साल प्राचीन लखदीपा मंदिर में दिवाली में एक लाख घी के दिए जलाए जाते थे। तब वहां स्थित वालिसा नगरी के लोग माता लक्ष्मी की आराधना के लिए अपने अपने घरों में घी के दीये लाकर मंदिर की सैकड़ों दीवारों पर उन्हें सजाते थे। उस दिन वहां गुलाब की पंखुरियों से भरी थालियों के बीच दीपक सजाकर नृत्यांगनाएं अलौकिक नृत्य भी करती थीं। इससे दीपावली के दिन वहां की अद्भुत छटा दिखती थी।

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इतिहासकार डॉ. रविशंकर चौधरी के अनुसार सन् 1500 के आसपास दक्षिण भारत के चोल नरेश ने यह मंदिर बनवाया था। वे कुष्ठ से पीडि़त थे। यहां स्थित पापहरणी सरोवर में स्नान करने पर रोग से मुक्त हो जाने की खुशी में उन्होंने यह मंदिर बनवाया था। इतिहासकारों के अनुसार सन् 1505 में गौरांग चैतन्य महाप्रभु गया यात्रा के दौरान यहां तीन दिन रुके थे। उसके प्रमाण स्वरूप उनकी चरण पादुका युक्त शिलालेख आज भी यहां विद्यमान है। लेकिन कालांतर में बंगाल पर अधिकार हो जाने के बाद अफगानी आतातायी राजा काला पहाड़ ने सन् 1600 के आसपास बौंसी के मंदार पर्वत व उसकी तलहटी स्थित अधिकांश मंदिरों को तहस-नहस कर दिया। उसी के साथ लखदीपा मंदिर की यह गौरवाशली परिपाटी खत्म हो गई थी। लेकिन आज भी उसकी सैकड़ों दीवारों के भग्नावशेष उसकी याद संजोए हुई हैं।

15 वर्ष पूर्व शोधकर्ता मनोज मिश्र ने झांडियों में छिपे लखदीपा मंदिर के अवशेषों को सामने लाया था। तब से टाइगर क्लब, विश्व हिंदू परिषद के राजाराम अग्रवाल आदि ने दीपावली के दिन दीप जलाने की परंपरा फिर से शुरू की है। पिछले वर्ष भागलपुर के डीआइजी विकास वैभव ने साहित्य सेवियों के साथ मंदार पहुंचकर यहां दीपमालाएं सजाई थी। उसमें यूथ आईकॉन सदस्यों के साथ भगवान व लक्ष्मी नारायण मंदिर प्रबंध समिति के सदस्यों ने भी भागीदारी की थी। लेकिन इस मंदिर में लाख दीये जलाने का सपना आज भी अधूरा बना हुआ है।

पुरातत्व विभाग की टीम ने दो बार किया निरीक्षण

पटना पुरातत्व विभाग के पुरातत्वविदों की टीम अबतक मंदार के धरोहरों का दो बार निरीक्षण कर चुकी है। उन्होंने काले ग्रेनाइट के पत्थरों के टुकड़े आदि संग्रहित कर लखदीपा मंदिर के बारे में रिपोर्ट तैयार की है। उस रिपोर्ट के आधार पर पर्यटन विभाग के जरिए सात लाख से अधिक राशि की लागत से मंदार के समीप कामधेनु मंदिर का विकास कार्य चल रहा है। पर्यटन विभाग ने भी इस मंदिर के जीर्णोद्धार की बात कही थी। लेकिन अबतक उसपर अमल शुरू नहीं हो पाया है। स्थानीय लोगों को कहना है कि उसका जीर्णोद्धार कर हम इस क्षेत्र की गौरव गाथा को सहेज कर रख सकते हैं।

डीएम कुंदन कुमार ने कहा कि मंदार सहित अन्य धरोहरों का विकास पर्यटन विभाग द्वारा किया जा रहा है। लखदीपा मंदिर के विकास पर भी विभाग की नजर है।


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