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मुंगेर के सरकारी स्कूलों का हाल, दो शिक्षक के भरोसे नवमी और दशवी के बच्चों की हो रही पढ़ाई

मुंगेर के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की काफी कमी है। कई विषयों के शिक्षक नहीं रहने से पठन-पाठन पर इसका असर पड़ रहा है। कहीं शिक्षकों की कभी तो कई जगहों पर संसाधनों का अभाव है। जिला शिक्षा विभाग का इस तरफ ध्यान नहीं गया है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 08:35 PM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 08:35 PM (IST)
मुंगेर के सरकारी स्कूलों का हाल, दो शिक्षक के भरोसे नवमी और दशवी के बच्चों की हो रही पढ़ाई
मुंगेर के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की काफी कमी है।

संवाद सूत्र, धरहरा (मुंगेर)। बच्चों को शिक्षित करने के लिए जहां सरकार की ओर से सर्वशिक्षा अभियान सहित कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। वहीं, सरकारी स्कूलों में सुविधाओं का घोर अभाव है, जिससे विद्यार्थियों को शिक्षा हासिल करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कहीं शिक्षकों की कभी तो कई जगहों पर संसाधनों का अभाव है। शनिवार को दैनिक जागरण की टीम धरहरा प्रखंड स्थित उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय धरहरा नंबर वन पहुंची। विद्यालय एक कमरे में तीन वर्ग के बच्चे एक साथ बैठे थे।

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कक्षा छह, सात और आठ के विद्यार्थी एक साथ बैठकर पढ़ाई करते दिखे, जबकि तीनों वर्ग का पाठ्यक्रम और किताबें अलग-अलग है। ऐसे इन बच्चों का भविष्य अधर में दिखा। महिला शिक्षक इतिहास विषय पढ़ा रही थी। पूछने पर मालूम चला कि कई शिक्षक नहीं आए हैं, ऐसे में तीनों वर्ग के बच्चों को एक ही कमरे में पढ़ाया जा रहा है। एक तरह से कहा जाए तो कुव्यवस्था के बीच बच्चों को पढऩा मजबूरी है। जिला शिक्षा विभाग का इस तरफ ध्यान नहीं गया है।

बेंच-डेस्क की कमी, फर्श पर संवर रहा भविष्य

भले ही सरकारी विद्यालय की चमक बाहर से दिखे, लेकिन अंदर जाने पर हकीकत दिखने लगती है। बेंच डेस्क की कमी के कारण बच्चे फर्श पर दरी बिछाकर भविष्य बना रहे हैं। विद्यालय के कई कमरों का खिड़कियां टूटी, गंदगी भी हर तरफ फैली है। नवमी और दशवीं कक्षा के बच्चों को दक्ष करने के लिए स्कूल में महज दो शिक्षक ही हैं।

स्वच्छता क्या है, गुरु जी को मालूम नहीं

उत्क्रमित मध्य विद्यालय धरहरा नंबर वन में शौचालय का छत टूटा मिला। हर तरफ गंदगी फैली हुई है, स्थिति बद से बदतर है। बच्चे तो क्या कोई भी शौचालय का इस्तेमाल नहीं करते। इस विद्यालय के पोषक क्षेत्र में रहने वाले बच्चे अच्छे घरों से आते हैं। स्वच्छता क्या होता है इससे शिक्षक से लेकर विद्यालय प्रशासक भी पूरी तरह अनजान है। शौचालय के पास ही बच्चों का भोजन पकाने की जगह है।

जब स्मार्ट क्लास ही नहीं तो स्मार्ट कैसे बनेंगे नौनिहाल

शिक्षकों की कमी के कारण स्मार्ट कक्षा का संचालन नहीं हो रहा है। ऐसे में बच्चे स्मार्ट कैसे बन सकेंगे, यह बड़ा प्रश्न है। बच्चों ने आज तक स्मार्ट कक्षा का दर्शन भी नहीं किया है पढ़ाई की बात तो दूर है। कंप्यूटर शिक्षा से भी यहां के बच्चे वंचित हैं। पुस्तकालय के नाम पर पुस्तकों की व्यवस्था विभाग की ओर की गई है।लाइब्रेरियन शिक्षक नहीं होने से बच्चों को पुस्तकालय में पड़ी पुस्तकों का लाभ नहीं मिल रहा है।

बच्चों ने दिए फटाफट जवाब

टीम कक्षा संचालन और संसाधनों से रूबरू होने के बाद बच्चों के पास पहुंची। कक्षा छह में पढ़ रहे बच्चों से टीम ने कुछ सवाल पूछा। सभी सवालों का जवाब बच्चों ने फटाफट दे दिया। सामान्य ज्ञान के प्रश्नों का तुरंत जवाब दिया। सवालों का जवाब मिलने से एक बात तो साफ है कि बच्चों में पढऩे की ललक है, जरूरत है तो शिक्षकों की संख्या बढ़ाने का।

बच्चों की संख्या है, पर पढ़ाने वाले कम

विद्यालय के वर्ग एक में 41 क्लास, दो में 39, तीन में 44, चार में 56, पांच में 58, छह में 67, सात में 79, आठ में 110, नौ में 116 और वर्ग 10 में 70 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। माध्यमिक में शिक्षकों की कमी है। विद्यालय में कुल नौ शिक्षक ही पदस्थापित हैं, जिनमें छह गैरहाजिर थे। विभाग की उदासीनता का आलम यह है कि एक शिक्षक की कमी रहने के कारण परिणामस्वरूप इन कक्षाओं का संचालन एक साथ लेना पड़ रहा है। मध्य विद्यालय को उत्क्रमित उच्च विद्यालय का दर्जा दिया गया है।

-सफाई कर्मी की कमी से गंदगी फैली रहती है। शिक्षक की संख्या कम होने से सभी विषयों की पढ़ाई नहीं रही है। स्मार्ट क्लास में भी शिक्षक का अभाव है। शौचालय भी जर्जर है, इसके लिए विभाग को पत्र लिखा जाएगा। -पंकज कुमार ङ्क्षसह, प्रधानाध्यापक, उत्क्रमित मध्य विद्यालय धरहरा नंबर वन।


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