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कुसहा त्रासदी : मंजर याद कर आज भी सिहर जाते हैं कोसी क्षेत्र में लोग, आज भी बंजर हैं खेत, बेपटरी है ट्रेन

कुसहा त्रासदी 18 अगस्त 2008 को कोसी नदी अपनी धारा बदल ली तो सहरसा जले के कई गांव डूब गए। कुसहा त्रासदी में कोसी प्रमंडल में 526 लोगों की मौत हो गई थी। 14 वर्षों बाद भी दूर यहां के लोग कष्‍ट में जी रहे हैं।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Wed, 17 Aug 2022 03:35 PM (IST)Updated: Wed, 17 Aug 2022 03:35 PM (IST)
कुसहा त्रासदी : मंजर याद कर आज भी सिहर जाते हैं कोसी क्षेत्र में लोग, आज भी बंजर हैं खेत, बेपटरी है ट्रेन
Kusha Tragedy : पूर्वी तटबंध पर बसे विस्‍थापितों का घर।

कुंदन कुमार, सहरसा। कुसहा त्रासदी : 18 अगस्त, 2008 की कुसहा त्रासदी ने कोसी प्रमंडल के तीनों जिलों में बड़ी तबाही मचाई थी। केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया था। वो मंजर याद कर आज भी लोग सिहर जाते हैं। उस वक्‍त राज्य सरकार ने कोसी के पूरे प्रभावित इलाके को पहले से सुंदर बनाने का वादा किया था। लेकिन 14 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद भी सरकार की घोषणा धरातल पर नहीं उतर पाई। कोसी पुनर्वास सह पुनर्निर्माण योजना से बड़ी संख्या में लोगों को बसाया गया था, लेकिन आज भी हजारों लोग बेघर हैं। सरकार ने कई घोषणाएं आज भी कागजी हैं। हजारों एकड़ खेतों में बालू भरने से वे बंजर बने हुए हैं। रेलवे भी अबतक पटरी पर नहीं लौट पाई है।

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18 अगस्त 2008 को जब कुसहा में कोसी नदी ने धारा बदली तो पूरे कोसी प्रमंडल में तबाही मच गई। केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया था। राज्य सरकार ने कोसी के पूरे प्रभावित इलाके को पहले से सुंदर बनाने का वादा किया था लेकिन 14 वर्ष बीत जाने के बाद भी सरकार की घोषणा धरातल पर नहीं उतर सकी। उस समय जो बच्चे थे, वह जवान हो गए और जवान अधेड़ होने के बाद भी सरकार के वादे पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं। आज भी बड़ी संख्या में लोग बेघर हैं।

निर्धारित लक्ष्य और उपलब्धियों में आज भी बरकरार है फासला

कुसहा त्रासदी में प्रमंडल में 526 लोगों की मौत हुई। जिसमें सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सहरसा जिले के 41 लोग शामिल हैं। हालांकि इसके लिए दर्जनभर से अधिक शिकायतों को पर्याप्त साक्ष्य नहीं होने का हवाला देकर खारिज कर दिया। इनलोगों को अनुदान की सुविधा नहीं मिल पाई। विश्व बैंक के समझौता के आधार पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 19 मई 2010 को कोसी पुनर्वास सह पुनर्निर्माण योजना का उद्घाटन किया। इसके तहत बेघर लोगों को घर बनाने की तैयारी शुरू हुई। सहरसा जिले के सौरबाजार, पतरघट और सोनवर्षा प्रखंड में कुसहा त्रासदी से उजड़े 22 हजार लोगों को आवास देने की योजना बनी, परंतु कई बार समयावधि विस्तार के बाद भी मात्र 7317 लोगों को आवास का लाभ मिल सका।

आज भी घर का सपना संजोए हैं लोग

प्रमंडलीय आयुक्त की देखरेख में कोसी पुनर्वास सह पुनर्निर्माण योजना का कार्य बड़े ही तामझाम से शुरू हुआ। कुछ बेघर लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना से आच्छादित किया गया, परंतु अब भी बड़ी संख्या में लोग घर का सपना संजोए हुए हैं। शीतलपट्टी के रामदेव महतो कहते हैं कि कुसहा के समय उनका घर पानी में बह गया, काफी दौड़भाग करने के बाद भी उनका घर आजतक नहीं बन सका। वे अब भी फूस की झोपड़ी में जीवन बसर करने के लिए मजबूर हैं। सहुरिया के महेंद्र पासवान का कहना है कि कुसहा के बाद कई बार लोग नाम पूछकर ले गए, परंतु अबतक उनलोगों को आवास का लाभ नहीं मिल सका है।

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवासविहीन लोगों की सूची प्रशासन द्वारा सर्वेकर बनाई गई। उसके अनुरूप लोगों को आवास का लाभ दिया गया। बावजूद इसके जो लोग आवास से वंचित है, उन्हें शीघ्र ही सरकार की योजना के तहत आवास योजना से लाभांवित किया जाएगा। - विनय कुमार मंडल, अपर समाहर्ता, सहरसा।

कुशहा त्रासदी का दंश झेल चुके प्रतापगंज निवासी जगदीश कुमार जयंत बताते हैं कि उन दिनों की परेशानियों को बताने के लिए उनके शब्द कम पड़ जाऐंगे। क्षति भी बहुत हुई। उनके खेत व मवेशियों सहित घरों की भी काफी क्षति हुई। लेकिन बदलते समय के साथ उनका जख्म भी भरता गया। कुछ सरकार के द्वारा मिली सहायता के साथ-साथ अपने जज्बे की बदौलत वे अब त्रासदी को भूल गए हैं। उन्हें सरकार से पुनर्वास योजना का भी लाभ मिल चुका है। आज वे पुनः खुशहाल जिन्दगी जी रहे हैं।

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