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Know your District : लालू, शरद व पप्‍पू यादव की राजन‍ीतिक भूमि है बिहार का यह जिला, Mandal Commission ने भारत में मचाया था तहलका

Know your District बिहार के मधेपुरा जिले बनने की इतिहास भी काफी रोचक है। यह जिला कई दिग्‍गज नेताओं की राजनीतिक भूमि रही है। लालू यादव शरद यादव व पप्‍पू यादव यहां के सांसद रह चुके हैं। मंडल आयोग के कारण भी इस जिले की चर्चा होती है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Sun, 07 Aug 2022 03:43 PM (IST)Updated: Sun, 07 Aug 2022 03:43 PM (IST)
Know your District : लालू, शरद व पप्‍पू यादव की राजन‍ीतिक भूमि है बिहार का यह जिला, Mandal Commission ने भारत में मचाया था तहलका
Know your District : बिहार का मधेपुरा जिला।

जागरण संवाददाता, मधेपुरा। Know your District : राजनीतिक दृष्टिकोण से बिहार राज्‍य का मधेपुरा जिला महत्वपूर्ण रहा है। यहां के नेताओं ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ी है। बीएन मंडल व बीपी मंडल को कौन नहीं जानता। मंडल आयोग के अध्यक्ष बीपी मंडल बनकर पूरे देश में चर्चित हुए। वहीं यहां लालू प्रसाद यादव, शरद यादव व पप्पू यादव भी सांसद रह चुके हैं।

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वर्ष 1977 में कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद यादव को हराकर बीएलडी के बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल ने जीते थे। वहीं 1980 में कांग्रेस के रमेंद्र कुमार यादव रवि को हराकर आइएनसीयू के राजेंद्र पीडी यादव चुनाव जीते थे। 1984 में एलकेडी के राजेंद्र प्रसाद यादव को कांग्रेस उम्मीदवार महावीर प्रसाद यादव ने हराया था। 1989 में जेडी के रमेश कुमार यादव रवि ने कांग्रेस के महावीर प्रसाद यादव को शिकस्त दी थी। वर्ष 1991 में जेडी के शरद यादव ने जेपी के आनंद मोहन को पराजित किया था।

वर्ष 1996 में जेडी के शरद यादव ने एसपी के आनंद मंडल को पराजित कर दोबारा जीत दर्ज की थी। वहीं वर्ष 1998 में जेडी के शरद यादव को पाराजित कर राजद से लालू यादव ने जीत दर्ज की थी। 1999 में जदयू से चुनाव लड़कर शरद यादव ने राजद के लालू यादव को पराजित किया था। 2004 में राजद से चुनाव लड़कर लालू यादव ने शरद यादव को पराजित कर फिर से जीत दर्ज की। वर्ष 2009 में राजद से चुनाव लड़े रविंद्र चरण यादव को शरद यादव ने हराकर जीत दर्ज की। 2014 में राजद से चुनाव लड़कर राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने जदयू के शरद यादव को पराजित किया था। वर्तमान में 2019 में हुए चुनाव में जदयू से चुनाव लड़कर दिनेश चंद्र यादव ने जीत दर्ज की है। उन्होंने शरद यादव को पराजित किया है।

विकास की तेज रफ्तार से बढ़ रहा है मधेपुरा

धीरे-धीरे ही सही पर मधेपुरा में बदलाव दिख रहा है। विकास कार्य में गति पकड़ी है। शहर बदला है। कुछ दुकानों में सिमटा मधेपुरा का फैलाव हुआ है। खासकर शिक्षा क्षेत्र में आने वाले दिनों में काफी तरक्की हुई है। सूबे का सबसे बड़ा मेडिकल कालेज का यहां निर्माण हुआ है। जिसे स्टेट आफ आर्ट का दर्जा भी दिया जा चुका है। यहां विश्वविद्यालय व मेडिकल कालेज होने के कारण विकास को गति मिली है। इसके अलावा रेल इंजन कारखाना के कारण इसकी पहचान विश्वस्तर पर है। मधेपुरा को जिला का दर्जा अपने मुख्यमंत्री काल में जगन्नाथ मिश्रा ने वर्ष 1981 में दिया था। उदाकिशुनगंज अनुमंडल को मिलाकर इसे जिला का दर्जा दिया गया है। पहले मधेपुरा सहरसा जिला का एक अनुमंडल था। इसके उत्तर में अररिया व सुपौल, दक्षिण में खगड़िया व भागलपुर, पूर्व में पूर्णिया तथा पश्चिम में सहरसा जिला है। वर्तमान में दो अनुमंडल व 11 प्रखंड हैं। मधेपुरा धार्मिक व ऐतिहासिक दृष्टि से समृद्ध जिला है। सिंहेश्वर स्थान, नयानगर भगवती मंदिर श्रीनगर, बाबा विशुराउत आदि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से है।

मधेपुरा का इतिहास

बताया जाता है कि पौराणिक काल में कोसी नदी के तट पर ऋषि श्रृंग का आश्रम था। ऋषि श्रृंग भगवान शिव के भक्त थे। सह आश्रम में भगवान शिव की प्रतिदिन उपासना किया करता था। श्रृंग ऋषि के आश्रम स्थल को श्रृंगेश्‍वर के नाम से जाना जाता था। कुछ समय बाद इस उस जगह का नाम बदलकर सिंहेश्वर हो गया। प्राचीन काल में मधेपुरा मिथिला राज्य का हिस्सा था। बाद में मौर्य वंश का भी यहां शासन रहा। इसका प्रमाण उदा-किशनगंज स्थित मौर्य स्तंभ से मिलता है।

सिंहेश्वर स्थान

जिला मुख्यालय से आठ किलो मीटर सिंहेश्वर स्थान में बाबा सिंहेश्वर नाथ महादेव कामना लिंग स्थापित है। वाराह पुरान के की एक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी जिसे ऋषि ऋषि ने पुन: जागृत किया। ऋषि ने ही यहां राजा दशरथ के लिए पुत्रेष्ठी यज्ञ कराया था। यज्ञ की आहूति के लिए यहां सात पोखर खुदवाए गए थे। जिसका भग्नावशेष आज भी बगल के सतोखर गांव में है।

श्रीनगर (घैलाढ़ प्रखंड )

श्रीनगर गांव में दो विशाल गढ़ का अवशेष है जो लगभग 10 फीट की उंचाई वाली है। यह गढ़ कुशानों उत्खनन के अभाव में इसकी ऐतिहासिकता सामने नहीं आ पाई है। इन दोनों उच्च स्थलों पर शिव पार्वती की छोटा मंदिर है। एक विशाल पत्थर का ऐसा खंड भी गिरा पड़ा है जिसपर कैथी लिपी में लिखा हुआ है।

नया नगर भगवती मंदिर (उदाकिशुनगंज)

यहां प्रसिद्ध देवी मंदिर है। यहां प्राचीन स्तम्भ होने के साक्ष्य व बौद्ध युग के कई स्मृति चिन्ह हैं। इस मंदिर पर नित्य श्रद्धालुओं की भीड़ लगी होती है।

पंचरासी का विशु राउत मंदिर

चौसा प्रखंड के पंचरासी में दैवी गुणों एवं चमत्कारों से अलंकृत बाबा विशु राउत मंदिर है जहां खासकर गाय-भैंस पालने वाले बाबा के श्रद्धालु चैत्र संक्रांति को आकर दूध चढ़ाकर अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। इसके अतिरिक्त निशिहरपुर, सरसंडी, बेलोगढ़, आलमनगर आदि में भी ऐतिहासिक धरोहर है।

रेल मार्ग

मधेपुरा रेलमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन दौरम मधेपुरा है।

सड़क मार्ग

भारत के कई प्रमुख शहरों शहरों से मधेपुरा सड़कमार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा सकते हैं। यहां एनएच 106 व 107 है। जिसका निर्माण कार्य हो रहा है। एनएच 106 बीरपुर से बिहपुर व एनएच 107 खगड़िया से सहरसा होते हुए मधेपुरा व यहां से पूर्णिया जाती है।

प्रमुख व्यक्ति

बीपी मंडल: बीपी मंडल एक राष्ट्रीय स्तर के नेता रहे है। द्वितीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष भी रहे। जिसे मंडल आयोग के नाम से जाना जाता है।

700 करोड़ की लागत से बन रहा मेडिकल कालेज

मधेपुरा के सिंहेश्वर में सूबे के सबसे अधिक राशि करीब 700 करोड़ के लागत से मेडिकल कालेज का निर्माण हुआ है। जननायक कर्पूरी ठाकुर का भवन पूरी तरक हसे भूकंपरोधी है। 500 बेड वाला अस्पताल भी है। यहीं नहीं इसे स्टेट आफ आर्ट का भी दर्जा दिया गया है।

आंकड़ों में जिला

  • जिले की आबादी :- 20,01,762 (2011 के जनगणना के अनुसार)
  • अनुमंडल - मधेपुरा व उदाकिशुनगंज
  • प्रखंड - 11 - गम्हरिया, घैलाढ़, शंकरपुर, कुमारखंड, मुरलीगंज, सिंहेश्वर, बिहारीगंज, ग्वालपाड़ा, पुरैनी, चौसा व आलमनगर
  • संसदीय क्षेत्र - मधेपुरा
  • विधानसभा क्षेत्र - चार - मधेपुरा, आलमनगर, बिहारीगंज व सिंहेश्वर
  • पंचायत - 160
  • गांव - 449
  • उपज - धान, मक्का व गेहूं

विद्युत रेल इंजन कारखाना से मिली है ख्याति

लालू प्रसाद के रेल मंत्रित्व काल में घोषित मधेपुरा का ग्रीन फील्ड विद्युत रेल इंजन कारखाना का मार्ग प्रशस्त हुआ था। मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट में योजना को प्राथमिकता इसका निर्माण किया गया है। कारखाना से कई इंजन तैयार हो चुका है। जिसे रेलवे को सुपुर्द किया जा चुका है। विद्युत रेल इंजन कारखाना से यहां 12 हजार अश्वशक्ति का का 800 विद्युत रेल इंजन प्रतिवर्ष निर्मित होना है।


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