Move to Jagran APP

Kishanganj News: कोरोना काल में भी नहीं सुधरी स्वास्थ्य सेवा, दो चिकित्सकों के भरोसे चल रहा रेफरल अस्पताल छत्तरगाछ

किशनगंज के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधा का अभाव है। छत्तरगाछ रेफरल अस्पताल पर 50 हजार से अधिक की आबादी निर्भर है। लेकिन यहां डॉक्टर दवा व नर्स की कमी बरकरार है। इससे लोगों को परेशानी हो रही है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Thu, 22 Apr 2021 03:34 PM (IST)Updated: Thu, 22 Apr 2021 03:34 PM (IST)
Kishanganj News: कोरोना काल में भी नहीं सुधरी स्वास्थ्य सेवा, दो चिकित्सकों के भरोसे चल रहा रेफरल अस्पताल छत्तरगाछ
किशनगंज के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधा का अभाव है।

संवाद सूत्र, पहाड़कट्टा (किशनगंज)। अस्पताल रोगियों के इलाज के लिए खोले गए हैं। लेकिन कोरोना काल में भी जिले में स्वास्थ्य सुविधा की स्थिति नहीं सुधर पाई है। खासकर ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों के हालात विशेष रूप से खराब हैं। छत्तरगाछ रेफरल अस्पताल पर 50 हजार से अधिक की आबादी निर्भर है। लेकिन यहां डॉक्टर, दवा व नर्स की कमी बरकरार है।

loksabha election banner

रेफरल अस्पताल में मरीजों को समुचित इलाज तो दूर अस्पताल में भर्ती मरीजों को भोजन तक नसीब नहीं हो रहा है। रायपुर, कोल्था, भोटाथाना, बुढऩई, सारोगोड़ा व छत्तरगाछ पंचायतों की हजारों की आबादी इस अस्पताल पर निर्भर है। महिलाओं का प्रसव हो या किसी व्यक्ति के गंभीर बिमारी हो क्षेत्र के लोगों को प्राथमिक उपचार के लिए पहले रेफरल अस्पताल छत्तरगाछ आना होता है। लेकिन इस अस्पताल में चिकित्सकों, कर्मियों व जीवन रक्षक दवाओं का घोर अभाव है। खासकर महिला चिकित्सक नहीं होने से महिला रोगियों के लिए परेशानी बनी हुई है। महिला रोगी लोक लज्जा के कारण खुलकर अपनी बीमारी की जानकारी भी चिकित्सक को नहीं दे पाती हैं। जिससे इलाज महज एक खानापूर्ति बनकर रह जाता है। सुरक्षित प्रसव को लेकर सरकार काफी गंभीर है, लेकिन महिला चिकित्सक नहीं रहने के कारण आशा व एएनएम के द्वारा प्रसव कराया जा रहा है। ऐसे में जब मामला बिगड़ता है तब रोगी को मरणासन्न की स्थिति में डॉक्टर सदर अस्पताल किशनगंज रेफर कर अपना ङ्क्षपड छुड़ा लेते हैं।

विगत छह वर्षों से नहीं है महिला चिकित्सक : 2012 में डॉ. अनीता कुमारी को यहां प्रतिनियुक्त किया गया था। इसके बाद इलाके की महिलाएं काफी राहत महसूस करने लगी। हाालंकि तीन साल बाद 2015 में उन्हें सदर अस्पताल वापस बुला लिया गया। तब से यहां महिला चिकित्सक की कमी है। मंगलवार को प्रसव कराने पहुंचे खाड़ीबस्ती गांव की मुशतरी खातून, खोकसाबाड़ी गांव की साहिना आदि ने बताया कि चिकित्सक के द्वारा इलाज भी किया जा रहा है। लेकिन अस्पताल की ओर से अभी तक न खाना मिला है और न ही सुबह का नाश्ता मिल रहा है। हम लोगों को बाहर से खाना खरीद कर खाना पड़ रहा है।

इस अस्पताल में चार चिकित्सकों का पद सृजित है। वर्तमान में दो डॉक्टर पदस्थापित हैं। जबकि ओपीडी में प्रत्येक दिन एक सौ से अधिक मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं। डॉ. शब्बीर अहमद के अलावा आयुष चिकित्सक डॉ. संजय यहां पदस्थापित हैं। अस्पताल में डॉक्टर एवं कर्मियों की स़ृजित पदों की संख्या 31 है। जबकि मात्र 16 कार्यरत हैं। अस्पताल में सरकार द्वारा मिलने वाले दवाओं की सूची तो उपलब्ध है। लेकिन सूची के अनुरूप अस्पताल में दवा की कमी है। रोगी कल्याण समिति के सदस्यों द्वारा भी अस्पताल की समस्याओं को लेकर चर्चा करते हुए प्रस्ताव पारित कर जिला भेजा गया। लेकिन आज तक इस दिशा में कोई सकारात्मक पहल नहीं किया जा सका। अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक डॉ. संजय ने बताया कि अस्पताल में इन दिनों दश्त, सर्दी, खांसी, बुखार आदि के लक्षण वाले अधिक रोगी पहुंचते हैं। इन दिनों अस्पताल में जितनी दवाईयां उपलब्ध है, इससे इलाज सुचारू रूप से किया जा रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.