'डॉ.खगेंद्र ठाकुर ने साहित्य के क्षेत्र में गाड़े मील के पत्थर'... यहां से जुड़ी हैं उनकी कई यादें Bhagalpur News
हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध आलोचक कवि और साहित्यकार खगेंद्र ठाकुर के निधन पर भागलपुर में शोक व्यक्त की। भागलपुर से खगेंद्र ठाकुर को बेहद लगाव रहा है।
भागलपुर [विकास पांडेय]। हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध आलोचक, कवि और साहित्यकार खगेंद्र ठाकुर के आकस्मिक निधन पर भागलपुर के साहित्यकारों ने निजी क्षति बताते हुए गहरा शोक व्यक्त किया है। साहित्यकारों ने कहा कि अंग क्षेत्र के इस साहित्यकार व आलोचक ने राष्ट्रीय स्तर पर अपना प्रभुत्व कायम किया। साहित्य के क्षेत्र में मील का पत्थर गाडऩे वाले डॉ. ठाकुर के निधन से साहित्य को अपूरणीय क्षति हुई है। लंबे समय तक तिमा भागलपुर विवि में शिक्षक रहने के कारण भागलपुर से उनका गहरा लगाव था। वे अक्सर यहां आते थे।
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष व प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. तपेश्वरनाथ ने डॉ. खगेंद्र ठाकुर को प्रगतिशील धारा के बहुचर्चित आलोचक व साहित्यकार बताया। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान वे सुल्तानगंज स्थित मुरारका कॉलेज से हिंदी के प्रोफेसर का पद छोड़कर पटना से प्रकाशित जनशक्ति के संपादक बन गए थे। उसके बाद वे पत्रकारिता, साहित्य व राजनीति में इस कदर रम गए कि प्रोफेसरी छोड़ दी।
भागलपुर नेशनल कॉलेज में हिंदी के पूर्व प्राध्यापक व प्रसिद्ध उपन्यासकार, लेखक व कवि डॉ. देवेंद्र ने कहा कि खगेंद्र जी से उनकी गहरी आत्मीयता थी। उनके चले जाने से उन्हें काफी दुख पहुंचा है। राजनीति व साहित्य के मंच पर पूरी लगन के साथ काम करना खगेंद्र जी की सबसे बड़ी खूबी थी। राजनीति में तो ज्यादा ऊंचाई पर नहीं पहुंच पाए। एक बार चुनाव भी लड़े पर जीत नहीं मिल पाई। लेकिन साहित्य के क्षेत्र में उन्होंने मील के पत्थर गाड़े हैं। वे मौजूदा समय में देश में हिंदी के गिने-चुने आलोचकों में शुमार थे। वे जितनी उच्च कोटि के कवि, साहित्यकार थे उतने ही अच्छे मनुष्य थे। एक व्यक्ति में इतनी खूबियां मिलना दुर्लभ है। 83 वर्ष की उम्र में भी वे स्वस्थ थे। ऐसे में उनका अचानक चल बसना हिंदी साहित्य के लिए बड़ी क्षति है। इस समय दिल्ली में एक अखबार में संपादक के रूप में कार्यरत भागलपुर के वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार श्रीचंद्र ने कहा कि डॉ. खगेंद्र ठाकुर के निधन से साहित्य का जो कोना खाली हुआ है, उसे भर पाना नामुमकिन है। उनके निधन से उन्हें व्यक्तिगत आघात लगा है। अचानक उनसे मुलाकात की अनेक घटनाएं याद आ गईं, अनेक गोष्ठियां याद आ गईं। उन्हें मेरी अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में प्रोफेसर व हिंदी के जानेमाने कथाकार समीक्षक डॉ. अरविंद कुमार ने डॉ. खगेंद्र ठाकुर के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए कहा कि डॉ. ठाकुर आज की हिंदी आलोचना के एक अधिकारी व्यक्ति थे। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।
दशकों से भागलपुर से गहरे जुड़े रहे डॉ. खगेंद्र
भागलपुर टीएनबी लॉ कॉलेज में हिंदी के प्रोफेसर व कवि, कथाकार व नाटककार प्रो. चंद्रश ने कहा उनका असमय चले जाना चकित करने वाली व अत्यंत दुखदाई है। यह न केवल उनके लिए व्यक्तिगत क्षति है, बल्कि भागलपुर वासियों के लिए भी बहुत बड़ी क्षति है। कई दशकों से वे इस शहर से गहरे रूप से जुड़े हुए थे। इस शहर ने जब जब उन्हें याद किया,बिना ना नुकुर किए वे तुरंत आने की सहमति दे देते थे। ऐसी सहजता उनके व्यक्तित्व की विशेषता थी। कविता भागलपुर के कई कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति को भुला पाना हमारे लिए नामुमकिन है। नागार्जुन जनमशती वर्ष के मौके पर भी उनकी उपस्थिति की यादें आज भी ताजा बनी हुई हैं। ऐसे अनगिनत मौके हैं,जिन्हें याद कर सहज विश्वास नहीं हो रहा कि अब वे हमारे बीच नहीं रहे। उन्हें हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।
साहित्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर कायम किया प्रभुत्व
तिलामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष तथा हिंदी के कवि, लेखक व रंगकर्मी डॉ. उदय कुमार मिश्र ने कहा कि डॉ. ठाकुर का असमय जाना दुखद और हिंदी साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। वह अंग प्रदेश के ऐसे साहित्यकार व प्रखर आलोचक थे जो राष्ट्रीय स्तर पर अपना प्रभुत्व बनाने में सफल रहे। उन्होंने तिमा भागलपुर विश्वविद्यालय में पढ़ाया। एक कर्तव्यनिष्ठ शिक्षक के रूप में भी वे सदा याद किए जाएंगे।
डॉ खगेंद्र ठाकुर का निधन हिंदी साहित्य के लिए एक स्तंभ का अंत
हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध आलोचक, कवि और साहित्यकार डॉ खगेंद्र ठाकुर के आकस्मिक निधन पर गीतकार राजकुमार ने दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि यह जानकर उन्हें तब काफी दुख हुआ जब यह पता चला कि समशीतोष्ण व्यक्तित्व को जीने वाले कलम के धनी, अंग गौरव डॉ खगेन्द्र ठाकुर अब हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने कहा कि उनसे मिलने का उन्हें कई बार सौभाग्य मिला है। एक घटना का उल्लेख करते हुए गीतकार राजकुमार ने कहा कि डॉ विष्णु किशोर झा बेचन और डॉ राजेन्द्र पंजियार की अग्रणी भूमिका में भागलपुर हिन्दी साहित्य सम्मेलन की ओर से भगवान पुस्तकालय के प्रशाल में आयोजित एक भव्य साहित्यिक कार्यक्रम में उनसे मुलाकात हुई थी। काव्यपाठोपरान्त खगेंद्र ठाकुर इतना प्रभावित हुए कि गीतकार राजकुमार को पास बुला कर हृदय से लगा लिया। दोनों में बहुत देर तक बातें हुई। गीतकार राजकुमार ने कहा कि इस पल को वे कतई विस्मृत नहीं कर सकते। उन्होंने कहा उनकी वाणी और व्यवहार में ऐसा आकर्षण था कि जिसे लोग कभी भुला नहीं पायेंगे। खगेंद्र ठाकुर का निधन हिंदी साहित्य के लिए एक स्तंभ का अंत है। आकाशवाणी भागलपुर के वरीय उद्घोषक डॉ विजय कुमार मिश्र ने भी डॉ खगेंद्र ठाकुर के निधन पर दुख व्यक्त किया।
मुख्य बातें
-उनके अचानक दुनिया छोड़ जाने की खबर से आहत हुए साहित्यकार
-लंबे समय तक तिमा भागलपुर विवि में शिक्षक रहने के कारण भागलपुर से था उनका गहरा लगाव
-आपातकाल में प्रोफेसर पद छोड़ बने थे पटना में जनशक्ति के संपादक
-देश में हिंदी के गिने-चुने साहित्यकार व आलोचकों में थे शुमार
-एक बार विधानसभा चुनाव भी लड़े थे पर हार गए थे