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एक साल में पांच करोड़ का मसाला खा जाते हैं खगड़ियावासी, जानें क्या है वर्तमान में इनकी कीमतें

बिहार में मसालों से पकवान में जो गजब का स्वाद बिखेरा जाता है उसके कायल दुनियाभर के लोग हैं। लिट्टी चोखा हो या नॉनवेज। लजीज व्यंजन बिहार की पहचान है। ऐसे में नदियों से घिरा खगड़िया अपने स्वाद को पूरा करने के लिए हर साल पांच करोड़ का मसाला...

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 10:26 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 10:26 AM (IST)
एक साल में पांच करोड़ का मसाला खा जाते हैं खगड़ियावासी, जानें क्या है वर्तमान में इनकी कीमतें
बढ़ गई मसालों की डिमांड, स्वाद बड़ी चीज है।

चंदन चौहान, खगड़िया: मसाले का उपयोग खान-पान में मुख्य रूप से किया जाता है। कई मसाले स्वास्थ्य के लिए रामवाण हैं। कोरोना काल में मसाले के उपयोग की महत्ता से लोग बखूबी अवगत हुए हैं। मसाले का उपयोग बढ़ा है। काली मिर्च, दालचीनी, लौंग, हल्दी आदि के उपयोग बढ़ा है। डा. जैनेंद्र नाहर कहते हैं- भारतीय समाज का मसाले का ज्ञान उन्नत है। यहां के मसाले का दीवाना दुनिया रही है। कोरोना काल ने भारतीय मसालों की महत्ता से फिर अवगत कराया है। कई मसाले ऐसे हैं जिसमें भरपूर रोग प्रतिरोधक क्षमता है।

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कोरोना काल में रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए जमकर भारतीय साबूत मसालों का उपयोग किया जा रहा है। इसमें गोल्डन मिल्क (हल्दी वाला दूध) और आयुर्वेदिक काढ़ा की सर्वाधिक उपयोग हो रहा है। काढ़ा बनाने में काली मिर्च, दालचीनी, सौंठ जैसे मसालों का इस्तेमाल किया जा रहा है। कोरोना की तीसरी लहर में फिर रसोई घरों में काढ़ा का प्रवेश हुआ है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए इसका उपयोग कर रहे हैं। जिसके कारण कई मसाले की मांग बाजार में बढ़े हैं।

बावजूद मसालों की कीमतों में कोई फर्क नहीं आया है, बल्कि इसके उलट अनलाक-एक के समय कुछ मसालों की कीमत गिरी हैैं। जानकार बताते हैं कि लाक डाउन और बरसात की मार के बावजूद मसालों की आवक में कोई कमी नहीं हुई। बाजार में मसालों का पर्याप्त भंडारन है।

बीते दो वर्षों से मसाले के आवक में कोई कमी नहीं हुई है। जिले में साढ़े छह हजार बोरी से अधिक मसाला आता है। जिसकी कीमत करीब चार करोड़ से अधिक है। चार से पांच करोड़ के बीच जिले में मसाले का व्यापार होता है।

मसालों का सालाना पांच करोड़ का है कारोबार

जिले में मसालों का सालाना करीब पांच करोड़ का बाजार है। मिल रोड में मसालों के थोक व्यापारियों की दर्जन भर दुकानें हैं। यहां से मसाले की जिले भर में आपूर्ति होती है। चैंबर आफ कामर्स के अशोक सर्राफ कहते हैं- मसालों में जायफल, जावित्री, काली मिर्च, दालचीनी आदि केरल से आते हैं। आंध्र प्रदेश से हल्दी, मिर्च आती है। जबकि राजस्थान और गुजरात से धनिया, जीरा, सौंफ मंगाई जाती है। तमिलनाडु से भी हल्दी की आपूर्ति की जाती है।

मसाले कीमत

  • हल्दी - 70 से 100 रुपये किलो
  • धनिया - 80 से 120 रुपये किलो
  • मिर्च -160 से 195 रुपये किलो
  • काली मिर्च - 500 रुपये किलो
  • जायफल - 660 रुपये किलो
  • जीरा - 180 से 200 रुपये किलो

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