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कोरोना काल में एंबुलेंस चालक अमर ने जीता था सबका दिल, इस तरह करते रहे लोगों की मदद

कटिहार का एंबुलेंस चालक अमर लोगों की मदद कोरोना काल में भी पहले की तरह करता रहा। कोरोना पीडि़तों को समय से अस्पताल पहुंचाने व फिर मृत मरीज के अंतिम संस्कार में खुलकर सहयोग करने के चलते उनका कद खुद ब खुद बड़ा हो गया था।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Thu, 31 Dec 2020 04:06 PM (IST)Updated: Thu, 31 Dec 2020 04:06 PM (IST)
कोरोना काल में एंबुलेंस चालक अमर ने जीता था सबका दिल, इस तरह करते रहे लोगों की मदद
कटिहार का एंबुलेंस चालक अमर लोगों की मदद कोरोना काल में भी पहले की तरह करता रहा।

कटिहार [रमण कुमार झा]। कोरोना काल को शायद ही लोग ताउम्र भूल पाएंगे। लोग अपनी जान बचाने को महीनों घर में कैद थे। उस दुरकाल में भी कई ऐसे लोग थे, जो अपनी जान की परवाह न कर दूसरों की सेवा में समर्पित थे। वे केवल डयूटी नहीं निभा रहे थे बल्कि मानवता के नाते सेवा का सर्वोच्च धर्म का निवर्हन कर रहे थे। कटिहार सदर अस्पताल का एंबुलेस चालक अमर ङ्क्षसह उन्हीं चंद लोगों में शामिल हैं। कोरोना काल में अपनी सेवा भाव से उसने सबका दिल जीत लिया था। 

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यूं तो अमर ङ्क्षसह महज एक एंबुलेंस चालक है, लेकिन कोरोना योद्धा के रुप में उनका कद अब काफी बड़ा हो चुका है। एक एंबुलेंस चालक की डयूटी से इतर पूर्ण सेवा भाव से मरीजों के साथ कोरोना से मृत मरीज के स्वजनों के लिए वे मसीहा के रुप में सामने आए थे। अपनी जान की फिक्र किए बगैर कोरोना पीडि़तों को समय से अस्पताल पहुंचाने व फिर मृत मरीज के अंतिम संस्कार में खुलकर सहयोग करने के चलते उनका कद खुद ब खुद बड़ा हो गया था।

बाढ़, पटना के मूल निवासी अमर ङ्क्षसह गत दस साल से एंबुलेंस चालक के रुप में कार्यरत हैं। कोरोना से पूर्व भी मरीजों को अस्पताल लाने एवं उनके उपचार को लेकर उनकी संवेदनशीलता अलग रही है। ऐसे में कोरोना के दौरान भी हर अहम डयूटी उनके जिम्मे रहती थी। कोरोना मरीजों को लिफ्ट कर उन्हें आइसोलेशन वार्ड या फिर हायर सेंटर तक पहुंचाना उनकी डयूटी का अहम हिस्सा था। इधर कोरोना मरीज की मौत पर उसके शव के डिस्पोजल में भी उनकी अहम डयूटी होती थी। एक तरफ जहां कोरोना मरीज की मौत पर स्वजन शव के अंतिम संस्कार तक से किनारा करने लगे थे, वहीं अमर इसमें आगे आकर अहम भूमिका निभाते थे। इतना ही नहीं शव के डिस्पोजल में आने वाली अड़चन को भी वे अपनी डयूटी से इतर हट सुलझाने का प्रयास करते थे।

शव छोड़ भागे थे परिजन, अमर ने निभाई थी अहम भूमिका

बता दें कि कोरोना काल के दौरान एक कोरोना मरीज की मौत के बाद स्वजन शव छोड़कर फरार हो गए थे। यहां तक की शव दाह में शरीक होने से भी स्वजनों ने इंकार कर दिया था। ऐसे में सिविल सर्जन की पहल पर मेडिकल टीम के साथ अमर ने उक्त शव के डिस्पोजल में अहम भूमिका निभाई थी। इसी तरह एक मरीज की मौत के बाद गंगा घाट पर शव दाह का विरोध वहां के लोगों ने कर दिया था। बाद में उक्त शव का दाह कोसी घाट पर कराया गया था। इसमें भी अमर ने अहम भूमिका निभाई थी।

मानवता बड़ी चीज: अमर

अमर बताते है कि उन्हे भी संक्रमण का भय रहता थी, लेकिन दुनिया में मानवता बड़ी चीज होती है। उन्होंने ईश्वर को साक्षी रख बेहतर सेवा देने की कोशिश की थी। कोरोना संक्रमित मरीज के मौत हो जाने पर उन्हें ले जाने के लिए एक विशेष वाहन मुहैया कराई जाती थी। भय बना रहता था, लेकिन सेवा से मुंह मोडऩा भी उचित नहीं था।


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