मानवता को बचाने बेलन लेकर उतरे 'न्याय के देवता'
आत्मविश्वास से भरा अपना देश यूं ही नहीं कह रहा कि कोरोना से जंग जीत जाएंगे। मंगलवार को न्यायिक पदाधिकारियों ने खाना बनाकर बड़ा संदेश दिया।
भागलपुर, [कौशल किशोर मिश्र]। आत्मविश्वास से भरा अपना देश यूं ही नहीं कह रहा कि कोरोना यहीं पर दम तोड़ेगा। 'न्याय के देवता' भी जब आटा गूथ रहे हों तो मानवता की रक्षा के लिए भारतीय समाज की प्रतिबद्धता का इससे बड़ा संदेश और क्या हो सकता है।
विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया, आपदा की इस घड़ी में लोकतंत्र के चारों स्तंभ मजबूती से डटे हुए। मंगलवार को वह दृश्य भावविभोर कर देने वाला था, जब न्यायिक पदाधिकारी अपने आवासीय परिसर में बेलन लेकर पहुंचे। तवा और कड़ाही चढ़ाई। खुद ही रोटी-सब्जी, पूड़ी-कचौड़ी बनाने बैठ गए। यह तैयारी उन जरूरतमंदों के लिए थी, जो इस समय संकट में हैं। जिला जज अरविंद कुमार पांडेय समेत सारे न्यायिक पदाधिकारियों की यह पहल अद्भुत थी। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश से लेकर न्यायिक दंडाधिकारी आटा गूथ रहे थे। कोई पूड़ी बेल रहे तो इसे छान रहे। मोटर गैराज को सैनिटाइज कर पाकशाला बनाई गई। उनलोगों ने आलू-परवल की सब्जी बनाई गई। भोजन का पैकेट भी खुद ही तैयार किया। इसके बाद जिला विधिक सेवा प्राधिकार की गाड़ी से इन पैकेटों को अस्पताल पहुंचाया गया। यहां भर्ती कोरोना के संदिग्ध मरीजों, परिजन और जरूरतमंदों के बीच इसका वितरण किया। भोजन बनाने वालों में न्यायिक पदाधिकारी प्रीति वर्मा, दीपांकर पांडेय,अतुल वीर सिंह, रोहित शंकर, संजय कुमार, प्रशांत कुमार, प्रभात रंजन, रुंपा दत्ता, शशांक शेखर, शैलेंद्र सिंह इरशाद आलम समेत प्रोवशनर न्यायिक पदाधिकारी भी शामिल थे। जिला जज ने लोगों से फिर अपील करते हुए कहा कि इस समय अपने-अपने घर में ही रहें। लॉकडाउन का शत-प्रतिशत अनुपालन ही कोरोना पर जीत दिलाएगा। इन दिनों लॉकडाउन की स्थिति में किसी को भोजन का संकट नहीं हो, हर कोई इसका ख्याल रख रहा है। जिसे जहां बन पड़ रहा है, मदद में उतर आए हैं और न्यायिक पदाधिकारियों ने पीड़ित मानवता की सेवा में अपने कदम बढ़ा दिए।