खून की दलाली पर लगाम
मायागंज अस्पताल में खून के दलालों पर अंकुश लगाने के लिए नियम में बड़ा बदलाव किया गया है। अब मरीज के स्वजन अस्पताल से सीधे खून नहीं ले सकेंगे। उन्हें कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ेगा।
भागलपुर । मायागंज अस्पताल में खून के दलालों पर अंकुश लगाने के लिए नियम में बड़ा बदलाव किया गया है। अब मरीज के स्वजन अस्पताल से सीधे खून नहीं ले सकेंगे। उन्हें कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ेगा।
नए नियम के मुताबिक जिस मरीज को रक्त की जरूरत होगी, उसके मांग पत्र पर पहले अस्पताल अधीक्षक हस्ताक्षर करेंगे। इसके बाद स्वास्थ्य कर्मी मरीज के स्वजन के साथ यह मांग पत्र लेकर ब्लड बैंक जाएगा। मांग पत्र के आधार पर ही रक्त की आपूर्ति होगी। खून की बोतल सीधे परिजन के हाथों नहीं दिया जाएगा। अस्पताल का कर्मचारी ही उसे मरीज तक लेकर जाएगा।
इसके अलावा इमरजेंसी और प्रसव से जुड़े मामलों को छोड़कर दूसरे किसी विभाग में भर्ती मरीज को दोपहर बाद खून नहीं चढ़ाया जाएगा। यही नहीं, अब रक्त दान करने वाले व्यक्ति को भी पहचान पत्र देना जरूरी है।
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मनमानी कीमत वसूलते हैं दलाल
वैसे अस्पताल प्रशासन जो भी नियम बना ले, लेकिन जब तक अस्पताल में दलालों के प्रवेश पर रोक नहीं लगाई जाएगी, मरीज दलालों के चंगुल में फंसते रहेंगे। पिछले तीन वर्षो में दो दलालों को पकड़ा गया है लेकिन प्राथमिक दर्ज कराने में स्वजन की आनाकानी के कारण वे छूट गए। दलाल वैसे मरीज के स्वजन को निशाना बनाते हैं जो अनपढ़ और निर्धन हैं। सात हजार रुपये से लेकर पांच हजार रुपये में एक यूनिट ब्लड बेचते हैं।
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ब्लड बैंक की क्षमता
-12 सौ यूनिट ब्लड रखने की क्षमता है ब्लड बैंक में
-11 हजार यूनिट ब्लड प्रतिवर्ष विभिन्न संस्थाओं द्वारा किए जाते हैं दान।
-30 से 50 यूनिट रक्त की प्रतिदिन होती है खपत (अस्पताल प्रभारी डॉ. अशोक भगत के मुताबिक)
--------------- केस एक
30 जुलाई 2017 को भवानीपुर की सोनी देवी प्रसव को विभाग में भर्ती किया गया था। दलाल ने पांच हजार रुपये में ब्लड बेचा। जब ब्लड मरीज को चढ़ाने नर्स आई तो रैपर देखकर उसे शंका हुआ। इसकी जानकारी अधीक्षक को दी गई। इसके बाद मामले की जानकारी बरारी पुलिस को दी गई। पुलिस ने छानबीन की। दूसरा यूनिट ब्लड देने के लिए जब दलाल आया तो सुरक्षा गार्ड ने उसे पकड़ लिया। हालांकि प्राथमिकी दर्ज नहीं करने पर उसे छोड़ भी दिया गया। केस दो
10 मार्च 2018 को इंडोर मेडिसीन विभाग में भर्ती अकबरनगर की निशा देवी को भी छह हजार रुपये में ब्लड बेचा गया। नर्स को शंका होने पर इसकी जानकारी अधीक्षक को दी गई। फिर ब्लड बैंक से ब्लड दिया गया।