Move to Jagran APP

JLNMCH : एक ओर गंगा को स्वच्छ बनाने का संकल्प तो दूसरी ओर उसे बनाया जा रहा बीमार Bhagalpur News

वर्षों बाद भी इफ्यूनमेंट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित नहीं किया गया। यूं कहें की स्वास्थ्य विभाग ही अपने कारनामों से दूसरों को अस्वस्थ करने में लगा हुआ है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 05 Aug 2019 09:28 AM (IST)Updated: Mon, 05 Aug 2019 01:41 PM (IST)
JLNMCH : एक ओर गंगा को स्वच्छ बनाने का संकल्प तो दूसरी ओर उसे बनाया जा रहा बीमार Bhagalpur News
JLNMCH : एक ओर गंगा को स्वच्छ बनाने का संकल्प तो दूसरी ओर उसे बनाया जा रहा बीमार Bhagalpur News

भागलपुर [अशोक अनंत]। मायागंज अस्पताल गंगा को बीमार कर रहा है। अस्पताल से प्रतिदिन छह लाख 20 हजार पांच सौ लीटर दूषित पानी अस्पताल के नाले के जरिए गंगा नदी में प्रवाहित किया जा रहा है। इससे गंगा नदी में जीव-जंतु के अलावा जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। लेकिन, वर्षों बाद भी इफ्यूनमेंट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित नहीं किया गया। यूं कहें की स्वास्थ्य विभाग ही अपने कारनामों से दूसरों को अस्वस्थ करने में लगा हुआ है।

loksabha election banner

अस्पताल में सात सौ बेड की सुविधा

मायागंज अस्पताल में तकरीबन सात सौ मरीजों के लिए बेड की सुविधा है और सालों भर यहां बेड भरे रहते हैं। इन मरीजों के मल-मूत्र, कपड़ा, बेड के चादर की धुलाई से लेकर ऑरपेशन के दौरान निकले रक्त, गॉज, पट्टी आदि भी नाला के जरिए गंगा नदी में प्रभावित की जाती है।

ऑपरेशन के कचरे को भी नाले में फेंका जाता हैं

सर्जरी, हड्डी रोग विभाग और आब्स गायनी में प्रतिदिन तकरीबन 20 ऑपरेशन किए जाते हैं। ऑपरेशन में उपयोग किए गए औजारों को भी संक्रमणमुक्त करने के बाद उसके पानी को नाले में फेंका जाता है। इसके अलावा अस्पताल के समीप छात्रावास का पानी भी नाला के जरिए प्रवाहित किया जा रहा है।

कई बार मांगी गई ट्रीटमेंट प्लांट लगाने स्वीकृति

अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरसी मंडल ने कहा कि पिछले पांच वर्षों से अस्पताल में इफ्यूनमेंट ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की स्वीकृति स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से मांगी जा रही है। पत्र में सर्वोच्य न्यायालय और बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का भी हवाला दिया गया है। प्रधान सचिव को 10 सितंबर 2015, 29 जनवरी 2016, 6 जून 2016, 9 नवंबर 2017, 21 अगस्त 2018 और 6 फरवरी 2019 को भी पत्र दिया गया है।

गंगा का पानी पीने या सिंचाई के लायक भी नहीं

पीने या सिंचाई के लायक नहीं रह गया है गंगा का पानी टीएनबी कॉलेज में केमेष्ट्री विभाग में सहायक प्राध्यापक प्रो. राजीव कुमार सिंह के मुताबिक गंगा नदी का पानी पीने अथवा सिंचाई के लायक नहीं रह गया है। अस्पताल से निकलने वाले दूषित जल में कई तरह के वैक्टिरिया, जीवाणु रहते हैं जो रोगों के वाहक हैं। पानी के साथ दवाओं के अवशेष, अस्पताल की सफाई में उपयोग होने वाले फिनाइल, एसिड, मरीजों के रक्त, मवाद आदि मिले रहते हैं। पानी गंगा नदी में प्रभावित होने से ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। जीवों और वनस्पति भी प्रभावित होती हैं।

अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.