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JLNMCH : बिना अनुभव वाले डॉक्टरों को बनाया जा रहा विभागाध्यक्ष

JLNMCH यह अस्‍पताल हमेशा कुछ ना कुछ विशेष कारनामे के लिए जाना जाने लगा है। इसी क्रम में कम अनुभवी चिकित्‍सकों को यहां कई विभागों के विभागाध्‍यक्ष बना दिया गया है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 10:09 AM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 08:15 AM (IST)
JLNMCH : बिना अनुभव वाले डॉक्टरों को बनाया जा रहा विभागाध्यक्ष
JLNMCH : बिना अनुभव वाले डॉक्टरों को बनाया जा रहा विभागाध्यक्ष

भागलपुर, जेएनएन। जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बिना अनुभव वाले डॉक्टरों को विभागाध्यक्ष बनाया जा रहा है। ऐसे कई विभाग हैं, जहां तीन-चार वर्ष में ही डॉक्टरो को विभागाध्यक्ष बना दिया गया है। असल मे स्वास्थ्य विभाग ने कई वर्षों से डॉक्टरो को प्रोन्नति नहीं दी है। अगर प्रोन्नति मिली भी तो विभागाध्यक्ष बनने के एक वर्ष बाद ही सेवानिवृत्त हो गए।

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अस्पताल के ईएनटी विभाग में डॉ. एसपी सिंह से सेवानिवृत होने के बाद सहायक प्राध्यापक डॉ. धर्मेद्र कुमार को विभागाध्यक्ष बना दिया गया। साथ ही उन्हें दंत विभाग के अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया। जिन्हें दो या तीन वर्ष का अनुभव था। एक वर्ष तक संविदा पर भी रहे। इसी तरह पैथोलॉजी विभाग में डॉ. सत्येंद्र कुमार के अलावा फिजियोलॉजी, बायोकेमेस्ट्री एवम अन्य विभागों में सह और सहायक प्राध्यापकों को विभागाध्यक्ष बनाया गया। स्थिति यह है कि मेडिकल कॉलेज की मान्यता का सवाल हो अथवा किसी विभाग में पीजी की पढ़ाई की स्वीकृति का प्रश्न, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा दी जाती है। अगर किसी भी विभाग में प्राध्यापक नहीं हैं तो खासकर पीजी की पढ़ाई की स्वीकृति नहीं दी जाती है। इसलिए सरकार के पास भी अनुभव विहीन डॉक्टरों को विभागाध्यक्ष बनाने के अलावा और कोई चारा भी नहीं बचा है। स्थिति तो यह है कि वरीय रेजिडेंट के पद पर रहते हुए भी कई डॉक्टर सेवानिवृत हो गए। उन्हें प्रोन्नति नहीं मिली।

सरकार के नियम के मुताबिक ही विभागाध्यक्ष बनाया गया है, क्योंकि डॉक्टरो की कमी है। -  डॉ. हेमंत कुमार सिन्हा, प्राचार्य, जेएलएनएमसीएच

पोर्टल में खराबी, डाटा अपडेट नहीं

सदर अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए पोर्टल बनाया गया है। एक सप्ताह से सर्वर में गड़बड़ी की वजह से पोर्टल काम नहीं कर रहा है। कोरोना की जांच करवाने वाले मरीजों को मैसेज भी नहीं जा रहा है। इसकी जानकारी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और अधीक्षक को भी दी गई है। बताया गया कि पॉजिटिव और निगेटिव आए लोगों की रिपोर्ट जब डाटा में डालने का प्रयास किया जाता है तो काम ही नहीं करता।


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