अपनों का सितम, गैरों का करम : जेएलएनएमसीएच के ट्रॉलीमैन ने तीन शवों का किया अंतिम संस्कार
Jlnmch Bhagalpur अब तक यहां 85 कोरोना मरीजों की मौत हो गई है। स्वजनों के इन्कार करने के बाद अस्पताल और जिला प्रशासन की देखरेख में कई शवों का अंतिम संस्कार कराया गया।
भागलपुर, जेएनएन। Jlnmch Bhagalpur : कोरोना ने अपनों और गैरों की पहचान भी दुनिया को खूब करा दी है। कई लोगों की जब इस बीमारी से मौत हुई तो उनके शव को लेने से स्वजन ने इन्कार कर दिया। ऐसे में अस्पताल में ट्रॉलीमैन का काम कर रहे लोगों ने ही इनका अंतिम संस्कार किया।
जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) में अब तक 85 कोरोना मरीजों की मौत हो गई है। कुछ ऐसे मामले भी सामने आए, जब स्वजनों के इन्कार करने के बाद अस्पताल और जिला प्रशासन की देखरेख में शवों का अंतिम संस्कार कराया गया। इसके लिए अस्पताल के युवा ट्रॉलीमैन आगे आए। इन्होंने प्रोटोकॉल के तहत शवों की पैकिंग कर इन्हें अंतिम संस्कार के लिए तैयार किया। श्मशान घाट पर भी इन्होंने अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की। तीन शवों को ले जाने के लिए स्वजन नहीं आए थे। इनमें से एक अज्ञात शव था, यानी मरीज का नाम-पता सही नहीं लिखवाया गया।
बांका की एक 72 वर्षीया महिला की मौत पांच जुलाई को अस्पताल में हुई। मौत की खबर सुनकर ही स्वजन अस्पताल से चले गए। अस्पताल प्रशासन कई बार फोन किया, लेकिन उन्होंने शव लेने से मना कर दिया। यही स्थिति भागलपुर के 65 वर्षीय बुजुर्ग के साथ भी हुई। उनकी मौत छह जुलाई को हुई तो स्वजनों ने मुंह फेर लिया। उस वक्त भी अस्पताल के कर्मचारी ने शव का अंतिम संस्कार किया। ट्रॉलीमैन धर्मवीर व मुकेश ने कहा कि किसी के काम आकर उन्हें सुकून मिलता है। अब कोरोना से भय नहीं लगता है। इस काम में कई अन्य ट्रॉलीमैन भी जुटे हैं, लेकिन वे अपना नाम उजागर नहीं करना चाहते।
इसके अलावा जिले के कई समाजसेवियों ने भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाने के बाद सुरक्षा दायरे में रहते हुए कई का इलाज करवाए। कुछ के निधन हो जाने पर उनके दाह संस्कार की भी व्यवस्था की गई।