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तीन तलाक के मुद्दे पर कांग्रेस और राजद नेताओं के साथ आ गए जदयू विधायक

क्रांग्रेस, राजद व एआइएमआइएम के नेताओं के साथ जदयू विधायक भी तीन तलाक के खिलाफ सड़क पर उतरे।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Sat, 24 Feb 2018 06:23 PM (IST)Updated: Sun, 25 Feb 2018 08:30 PM (IST)
तीन तलाक के मुद्दे पर कांग्रेस और राजद नेताओं के साथ आ गए जदयू विधायक
तीन तलाक के मुद्दे पर कांग्रेस और राजद नेताओं के साथ आ गए जदयू विधायक

किशनगंज [जेएनएन]। बिहार में तीन तलाक के विरूद्ध लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। शनिवार को तीन तलाक बिल वापस लो लिखे बैनर पोस्टर लिए महिलाएं सड़क पर उतरी। सबसे खास बात यह है कि इस प्रदर्शन में क्रांग्रेस, राजद व एआइएमआइएम के नेताओं के साथ जदयू विधायक मुजाहिद आलम भी साथ दिखे।

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तीन तलाक बिल वापस लो लिखे बैनर पोस्टर लिए महिलाओं का मौन जुलूस मदरसा अंजुमन इस्लामिया से निकल कर समाहरणालय पहुंची। सुबह 11 बजे अंजुमन इस्लामिया से निकली जुलूस सुभाषपल्ली चौक, लाइन उर्दू मिडिल स्कूल, बज्म-ए-अदब उर्दू लाइब्रेरी, चुड़ीपट्टी, रमजान पुल, सौदागरपट्टी, गांधी चौक, डे-मार्केट होते हुए समाहरणालय पहुंची।

जुलूस में जदयू विधायक मुजाहिद आलमम, कांग्रेस विधायक डॉ. जावेद आजाद, एआइएमआइएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान, राजद जिलाध्यक्ष इंतखाब आलम बबलू, जिप उपाध्यक्ष कमरुल होदा, नप उपाध्यक्ष जमशेद आलम व अन्य राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता शामिल थे। राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन लिए समाहरणालय पहुंची महिलाओं ने डीएम की अनुपस्थिति में एडीएम रामजी साह व एसडीएम मु. शफीक को मांग पत्र देते हुए शरीयत के मुताबिक तीन तलाक बिल लाने की मांग की।

जुलूस का नेतृत्व करतीं हुई आमना मंजर ने कहा कि तीन तलाक पर रोक लगनी चाहिए लेकिन बिल शरीयत के मुताबिक हो। तीन तलाक पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और हमारे अलेमा ही फैसला कर सकते हैं। सरकार हमारा फैसला नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि जब संविधान में यह स्पष्ट है कि हिंदुस्तान में रहने वाले हर मजहब के लोगों को अपने-अपने तरीके से जीने का हक है तो मौजूदा सरकार संविधान के साथ छेड़-छाड़ क्यों कर रही है। इससे संविधान की धारा 14-15 का उल्लंघन हो रहा है।

आमना मंजर ने कहा कि जब तीन तलाक को सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही निष्प्रभावी बना दिया है तो सरकार निष्प्रभावी अपराध की सजा तीन साल निश्चित करते हुए आर्थिक दंड भी दे रही है। इस प्रकार सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा निर्णीत निष्प्रभावी शब्द को अपराध घोषित करना है, जबकि निष्प्रभावी कार्य अपराध नहीं होता है। फिर तीन साल जेल की सजा कैसे दी जा सकती है।

मुस्लिम पर्सनल लॉ में किसी तरह की छेड़-छाड़ बर्दाश्त नहीं करने की बात कहते हुए आमना मंजर ने कहा कि सरकार बिल को वापस लें अन्यथा इस बिल के खिलाफ आंदोलन की जाएगी।

शरीयत में हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं

तीन तलाक बिल के विरोध सड़क पर उतरीं महिलाओं के समर्थन में जदयू विधायक मुजाहिद आलम भी शामिल हुए। जुलूस में साथ चल रहे विधायक ने कहा कि तीन तलाक बिल के विरोध में यह शरीयत बचाओ अभियान है। हम शरीयत के साथ हैं, इस मसले पर हम अपनी सरकार से बात करेंगे। शरीयत को किसी भी प्रकार का हस्तेक्षप बर्दास्त नहीं किया जाएगा।

वहीं कांग्रेस विधायक डॉ. जावेद आजाद ने भी कहा कि मौजूदा सरकार ने शरीयत कानून में हस्तक्षेप किया है। इसी का परिणाम है कि आज हिंदुस्तान के हर घर से मुस्लिम महिलाएं निकलकर रही हैं।  सड़क पर उतर कर बिल का विरोध कर रहीं हैं। हम इस बिल को राज्य सभा में पास नहीं होने देंगे।

एआइएमआइएम के प्रदेश अध्यक्ष सह कोचाधामन के पूर्व विधायक अख्तरुल ईमान ने कहा कि तीन तलाक पर जो बिल पेश किया गया है पूरे तौर पर यह हिंदुस्तान के धर्मनिरपेक्ष आत्मा के विरुद्ध है। यह पूरी तौर पर धार्मिक हस्तक्षेप का मामला है। संविधान के आर्टिकल 25 में कहा गया है कि किसी के धर्म मे हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। यह धार्मिक स्वतंत्रता के विरुद्ध है। जिसका मुस्लिम महिलाएं जोरदार विरोध कर रहीं हैं।


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