महिलाओं को संवार रहा नामचीन ब्यूटी पार्लर 'जावेद हबीब'
भागलपुर शहर का पहला प्रोफेशनल ब्यूटी पार्लर सह स्पा सेंटर की अलग पहचान है। जावेद हबीब में बदलते लाइफ स्टाइल में पहनावा के साथ-साथ सजने-संवरने का क्रेज भी बढ़ गया है। सुंदर और आकर्षक दिखाने के लिए युवतियां इस ब्यूटी पार्लर का रूख कर रही हैं।
भागलपुर, जेएनएन। बदलते लाइफ स्टाइल में पहनावा के साथ-साथ सजने-संवरने का क्रेज भी बढ़ गया है। महिलाएं खुद को सुंदर और आकर्षक दिखाने के लिए प्रोफेशनल ब्यूटी पार्लर का रूख कर रही हैं। इस लाइफ स्टाइल में खर्च मायने नहीं रख रहा है। यही वजह है कि आज महात्मा गांधी रोड स्थित 'जावेद हबीब' सिल्क सिटी की महिलाओं और युवतियों की पहली पसंद बन गई है। इस ब्यूटी पार्लर में आने वाली महिलाएं और युवतियों को अपनापन जैसा माहौल मिलता है। ठीक पांच वर्ष पहले अंजनी कुमार ने इसकी शुरुआत की थी। शहर का पहला प्रोफेशनल और ब्रांडेड ब्यूटी पार्लर होने की वजह से युवतियों और महिलाओं को काफी पसंद आया। भागलपुर जैसे शहर में इस तरह का ब्यूटिशियन पार्लर नहीं था। ऐसे में यहां बाल मेकअप से लेकर चेहरे की साज-सज्जा के लिए महिलाओं को दूसरे शहरों का रूख करना पड़ता था।
ब्यूटी पार्लर में बाहर की महिला कारीगर
मालिक अंजनी कुमार बताते हैं कि बाल कटिंग से लेकर फेशियल और अन्य सौंदर्य संबंधित काम के लिए महिलाओं की एक्सपर्ट टीम है। ब्यूटी पार्लर में 30 रुपये से लेकर 15 हजार तक हेयर कटिंग और रूप-सज्जा का चार्ज है। आज महिलाएं और युवतियां पहुंचती है। लगन के समय काफी भीड़ रहती है। दुल्हन को संवारा भी जाता है। यहां पहुंचने वाली महिलाओं को खूबसूरत दिखने के टिप्स भी दिए जाते हैं। आज जावेद हबीब की पहचान न सिर्फ सिल्क नगरी में है बल्कि दूसरे जिलों से भी महिलाएं पहुंचती हैं।
12 हजार से ज्यादा महीने के नियमित ग्राहक
कचहरी रोड स्थित जावेद हबीब में आने वाले हर ग्राहकों से सुझाव भी लिया जाता है। अंजनी बताते हैं ग्राहकों को जो पसंद आए उसे अमल करने की भरसक कोशिश रहती है, इस पर पूरा उतरने का हमेशा सार्थक प्रयास रहता है। लॉकडाउन में असर पड़ा, लेकिन ग्राहकों से लगातार संपर्क में रहे। उनकी समस्याएं को सुना और उसे निदान भी किया गया, इस काल में ग्राहकों के साथ रिश्ते और मजबूत हुए। नियमित ग्राहकों की संख्या 12 हजार से ज्यादा है। लॉकडाउन में दुकान बंद होने के बाद भी किसी कर्मी को नहीं हटाया गया। सभी कर्मचारी परिवार की तरह हैं। दुकानें बंद होने के बाद भी सभी को समय पर पारिश्रमिक दिया गया।