Move to Jagran APP

Jamui Bihar News : कभी गोलियों से गूंजता था ये इलाका, अब गोल दाग रहे नौजवान

Jamui Bihar News बिहार के जमुई में चोरमारा का भरारी मैदान बदलाव का गवाह है। कभी इस इलाके में आए दिन गोलियों की आवाज सुनाई देती थी लेकिन अब यहां गोल-गोल दे दना दन गोल करते युवाओं की चहलकदमी है।

By Jagran NewsEdited By: Shivam BajpaiPublished: Tue, 04 Oct 2022 10:57 AM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2022 10:57 AM (IST)
Jamui Bihar News : कभी गोलियों से गूंजता था ये इलाका, अब गोल दाग रहे नौजवान
Jamui Bihar News : 20 साल बाद यहां हुआ फुटबाल का महा मुकाबला

अरविंद कुमार सिंह, जमुई : इच्छाशक्ति दृढ़ हो तो कुछ भी संभव है। इसकी बानगी इन दिनों लखीसराय और मुंगेर की सीमा से सटे जंगलों और पहाड़ों की तलहटी में दिख रही है। जिस जमीन से कभी गोली दागने की नौजवानों को ट्रेनिंग दी जाती थी, अब उस मैदान पर गोल पोस्ट में गोल दागे जा रहे हैं। दो दशक बाद आए इस बदलाव का गवाह बरहट प्रखंड अंतर्गत चोरमारा का भरारी मैदान बन रहा है। 20 साल बाद यहां फुटबाल का दो दिवसीय महा मुकाबला का आगाज सोमवार को हुआ।

loksabha election banner

मुकाबले में जमुई के अलावा लखीसराय और मुंगेर जिले की कुल आठ टीमें शामिल हुईं। टूर्नामेंट का आयोजन स्पोर्टिंग क्लब चोरमारा के तत्वावधान में किया गया। आयोजन के लिए माकूल माहौल तैयार करने में सीआरपीएफ 215 बटालियन के जवानों की महती भूमिका रही, लेकिन इस बदलाव की बुनियाद में आईजी सीआरपीएफ अमित कुमार तथा जमुई और मुंगेर पुलिस कप्तान क्रमशः डा शौर्य सुमन एवं जे रेड्डी का अहम रोल बताया जाता है। चोरमारा और पेसराहा में सीआरपीएफ कैंप स्थापित करने की रणनीति में इन तीनों की भूमिका हम बताई जाती है। इधर नौजवानों के उत्साह से उत्साहित पुलिस और सुरक्षा बल भी सामुदायिक पुलिसिंग कार्यक्रम के तहत उसकी सहायता को तत्पर दिख रही है।

  • - बदलाव का गवाह बन रहा चोरमारा का भरारी मैदान
  • - 20 साल बाद यहां हुआ फुटबाल का महा मुकाबला
  • - 08 टीमें टूर्नामेंट में हुई शामिल
  • - 02 दशक तक नक्सलियों को यहां दिया जाता था प्रशिक्षण
  • - पहाड़ियों से घिरा है पूरा इलाका
  • - लखीसराय और मुंगेर की सीमा से सटा है यह इलाका
  • - नक्सली मांद में कैंप स्थापित करने की मजबूत इच्छाशक्ति से हो सका संभव

फरवरी 2020 से ही शुरू हो गई थी उल्टी गिनती

16 फरवरी 2020 को पहली बार चोरमारा गांव में कई घंटे तक पुलिस रुकी थी। तब तत्कालीन डीआईजी मनु महाराज ने गांव के कई लोगों से बात की थी। उक्त घटनाक्रम की प्रतिक्रिया के रूप में ग्रामीणों को संगठन की ओर से प्रताड़ना भी भुगतना पड़ा था। इस बीच एक सप्ताह के भीतर ही कुख्यात नक्सली सिद्धू कोड़ा एसटीएफ के हत्थे चढ़ गया और पुलिस हिरासत में ही 22 फरवरी 2020 को उसकी मौत हो गई।

इसके बाद 25 अक्टूबर 2020 को विजयादशमी के दिन पुलिस को पहली विजय तब मिली जब चोरमारा निवासी हार्डकोर नक्सली सोरेन कोड़ा उर्फ डाक्टर ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था। इसके बाद दो फरवरी 2022 को कैंप स्थापित होने के उपरांत तीन माह पूर्व नक्सली कमांडर बालेश्वर, अर्जुन तथा नागेश्वर कोड़ा के आत्मसमर्पण से संगठन की कमर ही टूट गई। इसके बाद ही बदलाव को मुकाम मिलने लगा।

पुलिस अधीक्षक डा. शौर्य सुमन ने कहा, 'चोरमारा के इलाके में बदलाव समाज एवं प्रशासन के लिए शुभ संकेत है। पुलिस प्रशासन की ओर से भटके लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने की मुहिम आगे भी जारी रहेगी।'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.