बच्चों को बुजुर्गो की चिंता, वृद्धाश्रम को कहा ना
दैनिक जागरण की ओर से स्कूलों में चलाए जा रहे संस्कारशाला कार्यक्रम के तहत बुधवार को आनंदराम ढांढनियां सरस्वती विद्या मंदिर में अंतर विद्यालय वाद-विवाद प्रतियोगिता हुई।
भागलपुर। दैनिक जागरण की ओर से स्कूलों में चलाए जा रहे संस्कारशाला कार्यक्रम के तहत बुधवार को आनंदराम ढांढनियां सरस्वती विद्या मंदिर में अंतर विद्यालय वाद-विवाद प्रतियोगिता हुई। प्रतियोगिता में बच्चों को 'सोशल मीडिया का सामाजिक और मानसिक प्रभाव', 'संयुक्त परिवार में ही बच्चों का समूचित विकास संभव' और 'वृद्धाश्रम वर्तमान युग की आवश्यकता'। ये तीन विषयों पर पक्ष और विपक्ष में बोलना था। इसमें से ज्यादातर बच्चों ने 'वृद्धाश्रम वर्तमान युग की आवश्यकता' पर ही बातें रखीं। वाद-विवाद के दौरान सभी बच्चों ने वृद्धाश्रम को समाज के लिए गैरजरूरी बताया।
प्रतियोगिता के दौरान एक बच्चे का तीन-तीन मिनट का समय दिया था। कुल 20 स्कूल के बच्चों ने भाग लिया। बच्चों ने कहा कि बुजुगरें का सम्मान करने और सेवा करने की हमारे समाज की समृद्ध परंपरा रही है। पर, हाल के वर्षो में बुजुगरें का मान-सम्मान तेजी से घटा है। माउंट असीसि की छात्रा प्रत्यक्षा रंजना ने कहा कि परिवार की शान कहे जाने वाले हमारे बड़े-बुजुर्ग आज परिवार में अपने ही अस्तित्व को तलाशते नजर आ रहे हैं। बच्चों के लिए आशियाना बनाने वाले अब खुद आशियाने की तलाश में दरबदर भटक रहे हैं। बुजुगरें की वास्तविक समस्याएं क्या हैं और उसका समाधान कैसे किया जाए इस पर गंभीरता से विचार करने जरूरत है। डीएवी की छात्रा गरिमा झा ने कहा कि आज घर-घर में बुजुर्ग हैं। सभी इज्जत से जीना चाहते हैं। लेकिन, आज कल लोग बुजुर्ग का सम्मान नहीं कर रहे। उन्हें वृद्धाश्रम पहुंचा दे रहे रहें। इसे हर हाल में रोकने की जरूरत है। छात्रा अनिमा सिंह ने कहा कि वर्तमान में युवा पीढ़ी को अपने वृद्धजन का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि उनको सिर्फ आप से सम्मान की ही अपेक्षा होती है।
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बुजुर्गो के लिए बना कानून
बुजुगरें की देखभाल के लिए वर्ष 2007 में मेन्टीनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरेन्ट्स सीनियर सिटीजन कानून का बना था। आज भी ज्यादातर बुजुगरें को इस कानून की कोई जानकारी नहीं है। कुछ को जानकारी है भी तो सामाजिक परंपराओं को ध्यान में रखते हुए वह कोई कार्यवाही नहीं करते।
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सोशल मीडिया का रोल सही और गलत भी
'सोशल मीडिया का सामाजिक और मानसिक प्रभाव' विषय पर भी कई छात्रों ने विचार रखे। इसके प्रभाव और दुष्प्रभाव के बारे में बताया। बच्चों ने कहा कि सोशल मीडिया बहुत तेज गति से होने वाला संचार का माध्यम है। यह जानकारी को एक ही जगह इकट्ठा करता है। सरलता से समाचार प्रदान करता है। फोटो, वीडियो, सूचना, डॉक्यूमेंटस को आसानी से शेयर किया जा सकता है। वहीं, इसके दुष्प्रभाव के बारे में भी बच्चों ने अपनी बाते रखीं। बच्चों ने कहा कि यह बहुत सारी जानकारी प्रदान करता है जिनमें से बहुत सी जानकारी भ्रामक भी होती है। किसी तरह की जानकारी को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा सकता है। यहा कंटेंट का कोई मालिक न होने से मूल स्त्रोत का अभाव रहता है। फोटो या वीडियो की एडिटिंग करके भ्रम फैलाने का अच्छा साधन है। कभी-कभी दंगे जैसी आशका भी उत्पन्न हो जाती है। सायबर अपराध सोशल मीडिया से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या है।
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दूसरे राउंड में छह का चयन
वाद-विवाद प्रतियोगिता में छह बच्चों का चयन किया गया। जजों ने वाद-विवाद प्रतियोगिता को सुना और फैसला सुनाया। इसमें माउंट असीसी स्कूल की छात्रा प्रत्यक्षा रंजन और अनिमा सिंह, डीएवी पब्लिक स्कूल की छात्रा गरिमा झा, सीइ एकेडमी की याशफीन शोहराब, क्रिसेंट इंग्लिश स्कूल की छात्रा सारा जमन और इमराना निगार का चयन दूसरे राउंड के लिए हुआ।
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माउंट असीसी की प्रत्यक्षा बनी विजेता
दूसरे राउंड में छह चयनित बच्चों से प्रश्न पूछे गए। सभी बच्चों ने बखूबी से जवाब दिए। जज पैनल में बैठे प्रो. आरडी शर्मा, पूर्व प्राचार्य अच्यूत कुमार सिंह और रविकांत घोष ने परिणाम की घोषणा की। इसमें माउंट असीसी के छात्रा प्रत्यक्षा रंजन प्रथम, डीएवी पब्लिक स्कूल की छात्रा गरीमा झा को दूसरा और क्रिसेंट इंग्लिश स्कूल की छात्रा सारा जमन तीसरे स्थान पर रहीं।
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शिक्षा के साथ संस्कार भी है जरूरी : आरडी शर्मा
कार्यक्रम में जज के रूप में पहुंचे अर्थ शास्त्री प्रो. आरडी शर्मा ने कहा कि शिक्षा पद्धति में संस्कारों का समावेश बेहद जरूरी है। हम केवल मेहनत और ज्ञान के बल पर आगे बढ़ने की कल्पना नहीं कर सकते हैं। दैनिक जागरण द्वारा संस्कारशाला के आयोजन की जमकर सराहना की और कहा कि ऐसे कार्यक्रम से हम बच्चों में जीवन मूल्यों को स्थापित करने का कार्य कर रहे हैं। एक ही बच्चे ने 'संयुक्त परिवार में ही बच्चों का समूचित विकास संभव' पर अपनी बातें नहीं रखी। उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि क्लास का सबसे तेज विद्यार्थी ही सफल हो। परोपकार पैसे से नहीं हो सकता, इसके लिए समय और सोंच की भी जरूरत है।
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जागरण ने बच्चों को दिया बेहतर प्लेटफॉर्म : राजीव
टीएनबी कॉलेज के प्रो. राजीव कुमार सिंह ने कहा कि जागरण ने संस्कारशाला के जरिये बच्चों को बेहतर प्लेटफॉर्म दिया है। अच्छे कामों को समाज में दिखाने से लोगों को प्रेरणा मिलती है। इसके लिए हम सभी को प्रयास करना चाहिए। ऐसे आयोजन से ना सिर्फ बच्चों को संस्कारों की जानकारी मिलती है बल्कि वे समाज और देश के प्रति अपने दायित्व को भी समझते हैं।
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बच्चों के अंदर छिपी प्रतिभा आई सामने
आनंद राम ढांढनिया सरस्वती विद्या मंदिर के प्राचार्य हेमंत कुमार सिन्हा स्वागत भाषण में कहा कि संस्कारशाला के जरिए बच्चों के अंदर छिपी प्रतिभा सामने देखने का मिलती है। वाद-विवाद में शामिल प्रतिभागियों की खूब सराहना की। उन्होंने कहा कि बच्चों ने अपनी बातें खुलकर रखीं। सभी लोग उनसे बेहद प्रभावित हुए।
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कोशिश करने वालों की हार नहीं होती : रविकांत
संचालन कर रहे रविकांत घोष ने बच्चों से कहा कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती है। यहां आए बच्चों में क्षमता की कोई कमी नहीं है, उन्हें पहचान कर सही दिशा देने की जरूरत है। किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए हौसला चाहिए। ज्ञान को संयमित रखने के लिए संस्कारों के साथ आगे बढ़ना होगा।
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विजेताओं को ट्रॉफी और प्रमाण पत्र
प्रथम स्थान पर रही प्रत्यक्षा रंजन, दूसरे स्थान पर गरीमा झा और तीसरे स्थान पर रही क्रिसेंट इंग्लिश स्कूल की छात्रा सारा जमन को ट्रॉफी और प्रमाण पत्र दिए गए। वहीं, प्रतियोगिता में शामिल बच्चों को प्रतिभागिता प्रमाण पत्र दिए गए। इस मौके प्रो. आरडी शर्मा, अच्यूत कुमार सिंह, उप प्राचार्य रविशंकर पांडे, रविकांत घोष, दैनिक जागरण, भागलपुर के महाप्रबंधक राजाराम तिवारी और संपादकीय प्रभारी अश्रि्वनी ने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
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इन स्कूलों के बच्चे ने लिए भाग
डिवाइन हैपी स्कूल, डॉन बॉस्को, डीएवी पब्लिक स्कूल, माउंट असीसी, दीक्षा इंटरनेशनल स्कूल, आनंद राम ढांढ़निया सरस्वती विद्या मंदिर, क्राइस्ट चर्च गर्ल्स हाई स्कूल, सेंट पॉल स्कूल, नवयुग विद्यालय, जीआरएसएस विद्या मंदिर, हैप्पी वैली स्कूल, नवलोक इंग्लिश एकेडमी, क्रिसेंट इंग्लिश स्कूल, सीइइ एकेडमी, एसकेपी विद्या विहार, एसआरएलएम सरस्वती विद्या मंदिर, संत मेंही कॉन्वेंट स्कूल, सीएमएस हाई स्कूल और आद्या पब्लिक स्कूल से दो-दो बच्चों ने तीनों विषयों पर पक्ष और विपक्ष में बातें रखीं।