पॉलीथिन को पूरी तरह बाजार से निकालना संभव नहीं, लेकिन बचानी है धरती तो...
2012 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आने वाली पीढिय़ों के लिए पॉलीथिन के दुष्प्रभाव किसी परमाणु बम से भी ज्यादा खतरनाक साबित होंगे। आज इससे होने वाले नुकसान से पूरा विश्व हैरान है।
भागलपुर [नवनीत मिश्र]। पॉलीथिन बैग का इस्तेमाल हर छोटे-बड़े सामान को रखने के लिए किया जाता रहा है। हर तरह के व्यापारी और ग्राहकों की पहली पसंद रहा है पॉलीथिन का बैग, जो हल्का और सस्ता होने के साथ-साथ काफी मजबूत भी होता है। इसी वजह से पॉलीथिन बैग पर रोक लगाए जाने के बाद भी, इन्हें पूरी तरह बाजार से बाहर निकाला नहीं जा सका है।
अगर आप ये जान लें कि पॉलीथिन बैग, आपको और आपके पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचा रहा है तो निश्चित तौर पर, इनके इस्तेमाल पर आप स्वयं रोक लगाने की कोशिश करेंगे। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के रसायन विभाग के शिक्षक प्रो. अशोक कुमार झा के अनुसार पॉलीथिन बैग्स जमीन, हवा और पानी सबको दूषित कर रहे हैं। जमीन में पॉलीथिन बैग के मिलने से जमीन की उर्वरता नष्ट हो रही है और पानी में मिलकर अंडरग्राउंड वाटर को दूषित और जहरीला बना रहे हैं। इतना ही नहीं, पॉलीथिन को जलाने पर जो जहरीली गैसें निकलती हैं उन्होंने हवा को भी प्रदूषित और जहरीला बना दिया है। पॉलीथिन के बैग नॉन-बायोडिग्रेडेबल होते हैं, यानी ये प्राकृतिक रूप से विघटित नहीं होते और इन्हें विघटित होकर खत्म होने में लगभग 1000 साल का लंबा समय लग जाता है। ऐसे में पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है।
जानवरों की मौत का कारण : पॉलीथिन से होने वाले नुकसान से जानवर भी अछूते नहीं हैं। खाने की चीजों के साथ पॉलीथिन निगल लेने के कारण बहुत से जानवर मर जाते हैं। गाय के अलावा डॉल्फिन, कछुए जैसे कई जीवों की मौत प्लास्टिक बैग के कारण होती है।
परमाणु बम से भी ज्यादा खतरनाक
2012 में सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा था कि आने वाली पीढिय़ों के लिए पॉलीथिन के दुष्प्रभाव किसी परमाणु बम से भी ज्यादा खतरनाक साबित होंगे। पॉलीथिन के ज्यादा उपयोग से हमारे नदी, तालाब बर्बाद हो रहे हैं। वास्तविकता भी यही है कि देखते ही देखते प्लास्टिक बैग्स के दुष्प्रभाव हमारे पूरे पर्यावरण और प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ देंगे, जिसे संभाल पाना हमारे बस में नहीं रहेगा।
पॉलीथिन बैग के विकल्प
पॉलीथिन के इस्तेमाल और इससे होने वाले नुकसान से पूरा विश्व हैरान है। पॉलीथिन के विकल्प के रूप में कपड़े, जूट और कागज के बैग का विकल्प सामने आता है। कागज के बैग का इस्तेमाल करना एक बेहतरीन विकल्प नहीं हो सकता, क्योंकि ऐसे बैग मजबूत और टिकाऊ नहीं होते हैं और ये बैग नष्ट होने की प्रक्रिया में कार्बन पैदा करते हैं। इतना ही नहीं, इन कागज के बैग को बनाने के लिए लकड़ी की जरुरत होगी और लकड़ी के लिए पेड़ काटने होंगे और पेड़ काटना किसी भी स्थिति में पर्यावरण के हित में नहीं है।
ऐसे बैग तैयार करने विचार चल रहा है, जो जैविक रूप से खुद समाप्त हो जाएं ताकि पर्यावरण को किसी तरह की कोई हानि ना पहुंचे। मक्के से बनने वाले बैग नष्ट होते समय मीथेन गैस पैदा करते हैं जो ग्लोबल वार्मिंग के लिहाज से सही नहीं है। इन सब प्रयासों के बीच, जब तक ऐसे बैग नहीं बन जाए, जो सस्ते और मजबूत होने के साथ इको-फ्रेंडली भी हो, तब तक कपड़े और जूट के बैग का इस्तेमाल ही सही विकल्प है। लेकिन कपड़े और जूट के ये बैग मजबूत और टिकाऊ तो होते हैं लेकिन सस्ते नहीं होते हैं। ऐसे में प्लास्टिक बैग से होने वाले नुकसान और कपड़े और जूट के बैग इस्तेमाल करने को लेकर अगर थोड़ी जागरूकता लाई जाए तो इस समस्या को समय रहते रोकना संभव हो सकता है।