स्टांप घोटाला : तफ्तीश 16 साल बाद भी अधूरी, करोड़ों रुपये का हुआ है घपला Bhagalpur News
तेलघी स्टांप प्रकरण जिस समय देश में सुर्खियों में था तब उसकी धमक भागलपुर भी पहुंची थी। 14 नवंबर 2003 से 9 दिसंबर 2003 तक यहां करोड़ों के स्टांप की हेराफेरी हुई थी।
भागलपुर, जेएनएन। करोड़ों के स्टांप घोटाले की तफ्तीश 16 साल बीत जाने के बाद भी अधूरी ही है। पुलिस पांच नामजद आरोपितों का रिपोर्ट दर्ज करने के चंद दिनों बाद ही पता लगाने में सफल रही, लेकिन अज्ञात आरोपितों के बारे में 16 साल बाद भी पता नहीं लगा सकी। आदमपुर पुलिस के हाथ अज्ञात आरोपितों को सामने लाने के नाम पर खाली हैं। पुलिस अदालत को यह नहीं बता सकी है कि इसके तार किन-किन लोगों से जुड़े हैं।
तेलघी स्टांप प्रकरण जिस समय देश में सुर्खियों में था तब उसकी धमक भागलपुर भी पहुंची थी। 14 नवंबर 2003 से 9 दिसंबर 2003 तक यहां करोड़ों के स्टांप की हेराफेरी हुई थी। फर्जी दस्तखत पर जाली स्टांप को असली बोल कर खपाया गया था। अपराध अनुसंधान विभाग में तैनात इंस्पेक्टर अरविंद कुमार सिंह की रिपोर्ट पर तब विलोचन चंद्र दास, रामदेव पासवान, सतीता राम सिंह, जयराम मंडल और देवेंद्र कुमार सिन्हा उर्फ नंदू समेत अज्ञात को आरोपित बनाया गया था।
दो डीएसपी समेत सभी महत्वपूर्ण गवाहों की गवाही हो चुकी है पूरी
पुलिस तफ्तीश में शामिल तत्कालीन आदमपुर थानाध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार झा, अरविंद कुमार शर्मा समेत सभी अहम गवाहों की गवाही पूरी हो चुकी है। दोनों पुलिस पदाधिकारी वर्तमान में डीएसपी पद पर हैं। सरकार के अपर लोक अभियोजक ओम प्रकाश तिवारी की माने तो मुकदमा अब फैसले के लिए अटका पड़ा है।