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बेबसी की धरा पर खिल रहे उम्मीदों के फूल! मजदूरों से गुलजार रहता है भागलपुर का तिलकामांझी चौक

लाकडाउन खत्म होते ही मजदूरों के चेहरे खिल उठे हैं। भागलपुर के तिलकामांझी चौक में अहले सुबह वे अंगड़ाई लेते हुए काम की तलाश में पहुंच जाते हैं। हर रोज यहां मजदूरों की मंडी सजती है जिसे काम नहीं मिलता वो बेबस हो वापस घर को लौट जाता है...

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Wed, 21 Jul 2021 05:37 PM (IST)Updated: Wed, 21 Jul 2021 05:37 PM (IST)
बेबसी की धरा पर खिल रहे उम्मीदों के फूल! मजदूरों से गुलजार रहता है भागलपुर का तिलकामांझी चौक
तिलकामांझी चौक में सजती है मजदूरों की मंडी।

प्रशांत, भागलपुर। तिलकामांझी चौक में अलसाई सुबह में बड़ी संख्या में मजदूर जमा हो जाते हैं। उनकी मंडी सज जाती है। सुबह आठ बजे तक जरूरतमंद अपने यहां काम कराने के लिए उन्हें लेने पहुंचते हैं। एक व्यक्ति के पहुंचते ही दर्जनों मजदूर उसे घेर लेते हैं। उनमें आठ घंटे के लिए बिक जाने की होड़ सी लग जाती है। इनकी बेबसी देख रोजगार और आजीविका के लिए संचालित योजनाएं दम तोड़ती नजर आती हैं। खैर, कोरोना संक्रमण का खतरा कम होते ही शहर में निर्माण कार्य में फिर से तेजी आने लगी है। लिहाजा, बेबसी की धरा पर उम्मीदों के नए फूल खिलने लगे हैं।

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सबौर के राकेश कुमार ने कहा कि पहले मैं बंगलुरु में काम करता था। कोरोना संक्रमण के बाद लगे लाकडाउन के दौरान वहां बहुत परेशानी हुई। इस कारण यह तय कर लिया कि अब यहीं रहूंगा। हालांकि, यहां प्रत्येक दिन काम नहीं मिल पता है। फिर भी अब यही रहना है। नवगछिया के साहू परबत्ता से आए निरंजन ने कहा कि जैसे-जैसे सूरज चढ़ता है, वैसे-वैसे यहां खड़े मजदूरों का दिल बैठता जाता है। यह चिंता तो रहती ही है कि काम नहीं मिलेगा, तो घर का चूल्हा कैसे जलेगा। पास ही खड़े राजेंद्र ने कहा कि बच्चे यह उम्मीद लगाए रहते हैं कि शाम में पापा घर लौटेंगे, तो बिस्किट लाएंगे। लगातार दो चार दिन काम नहीं मिलता है, तो बच्चों से नजर मिलाने में भी झिझक होती है।

  • - कोरोना संक्रमण का खतरा कम होते ही शहर में निर्माण कार्य में फिर से आने लगी है तेजी
  • - लाकडाउन के बाद स्वदेश में रहने की जिद में बड़ी संख्या में मजदूर झेल रहे हर परेशानी
  • - छह से सात सौ मजदूर रोज जुटते हैं, तीन सौ से चार सौ को मिलता है रोजगार

अधिकांश मजदूरों को योजना की जानकारी नहीं

श्रम विभाग में निबंधन कराने के बाद मजदूरों को कई प्रकार की योजनाओं का लाभ मिलता है। हालांकि, अधिकांश मजदूरों को योजना के बारे में जानकारी तक नहीं है। मजदूरों को मनरेगा योजना से भी कई शिकायत है। राहुल, छज्जू, जीतेंद्र राय, श्यामदेव आदि ने कहा कि काम कहां मिलता है। काम मिलता भी है, तो मजदूरी के भुगतान में काफी देरी होती है। बरारी के राकेश कुमार ने कहा कि अब काम मिलने लगा है। थोड़े दिन में हालात पूरी तरह से सामान्य हो जाएगा। परेशानी जो भी हो, अपने घर में हैं। परदेश की पूरी रोटी से स्वदेश की आधी रोटी अच्छी है।


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