कंबल ओढ़े या तापे अलाव, बुजुर्ग बंदियों पर भारी अवसाद का घाव Bhagalpur News
शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा और विशेष केंद्रीय कारा में बंद बुजुर्ग बंदियों में आधे से अधिक का कुछ ऐसा ही हाल है। अवसाद के शिकार इन बंदियों को कड़ाके की ठंड का एहसास तक नहीं।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। मलिन चेहरा, खिचड़ी दाढ़ी, बेतरतीब बाल, मुंह खुला हुआ जिससे लार निकल कर कपड़े गीले कर रहे हैं। जेल की छत पर टकटकी लगाए इन बंदियों को कंबल और अलाव की तपन तक का एहसास तक नहीं। शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा और विशेष केंद्रीय कारा में बंद बुजुर्ग बंदियों में आधे से अधिक का कुछ ऐसा ही हाल है। अवसाद के शिकार इन बंदियों को कड़ाके की ठंड का एहसास तक नहीं।
बुजुर्ग कैदियों के लिए वृद्धाश्रम की व्यवस्था जेल में है। इसे आश्रय नाम दिया गया है। उन्हें सोने के लिए बेड की व्यवस्था है। जेल प्रशासन ने इन्हें अतिरिक्त कंबल और अलाव देने के साथ ही इनके लिए सेवादार भी तैनात किया है। अधिक लाचार हो चुके बुजुर्ग बंदियों को जेल अस्पताल में रखा जा रहा है। अवसादग्रस्त बंदी तो बिस्तर पर ही शौच कर दे रहे हैं। कड़ाके की ठंड में ऐसे बंदियों को संभालने में लगाए गए सेवादार का भी पसीना छूटने लगा है।
उम्रकैद काट रहे बुजुर्ग बंदियों में अधिकतर के नहीं आते मुलाकाती
उम्रकैद की सजा काट रहे अधिकांश बुजुर्ग कैदियों से उनके अपनों ने भी किनारा कर लिया है। शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा और विशेष केंद्रीय कारा में ऐसे बुजुर्ग बंदियों की संख्या 70 से अधिक है। सूबे के दूसरे जेलों से आए ऐसे बुजुर्ग बंदियों का तो और बुरा हाल है। अरसे से कोई उनसे मिलने नहीं आया है। जेल अधिकारियों और चिकित्सकों का मानना है कि अवसादग्रस्त होने की मुख्य वजह यही है कि उनके अपने उनसे किनारा करने लगे हैं। घर-गृहस्थी, पत्नी-बच्चों का कुशल क्षेम जानने की ललक उनके अपनों के नहीं आने से खत्म हो गया। इससे लगे सदमे ने उन्हें अवसाद की ओर ढकेल दिया।
जेल प्रशासन रखता है निगरानी
ऐसे बुजुर्ग बंदियों को विशेष निगरानी दायरे में जेल प्रशासन ने रखा है। इनकी स्थिति बिगडऩे पर अविलंब जेल अस्पताल से मायागंज अस्पताल जेल एंबुलेंस से भेजा जाता है।
आंकड़े जेल में बंद बुजुर्ग बंदियों के
भागलपुर की दोनों जेलों में बुजुर्ग कैदियों की संख्या 100 का आंकड़ा पार कर चुका है। इनमें अधिकांश 70 के हैं। कैदी महेंद्र सिंह की उम्र 82, राधे सिंह की 80, नारायण मंडल की 80, लूटन शर्मा की 81 है। अधिकांश बुजुर्ग जेल के वृद्धाश्रम में रखे गए हैं। शरीर से बिल्कुल लाचार हो चुके बुजुर्ग कैदियों को जेल अस्पताल में रखा गया है।
बुजुर्ग कैदियों के लिए सेवादार भी रखे गए हैं, गर्म कपड़े, बिस्तर, कंबल, अलाव और दवा की व्यवस्था है। कुछ कैदियों के मुलाकाती नहीं आते। इस कारण वे दुखी रहते हैं। - राकेश कुमार सिंह, जेल उपाधीक्षक, भागलपुर