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भागलपुर लोकसभा : 1989 के बाद खिसकती चली गई कांग्रेस की जमीन

भागलपुर के राजनीतिक परिदृश्य पर यदि गौर किया जाए तो यहां के प्रथम सांसद बनारसी प्रसाद झुनझुनवाला हुए। इस संसदीय सीट का सर्वाधिक प्रतिनिधित्व पांच बार कांग्रेस के भागवत झा आजाद ने किया।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 10:02 AM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 04:46 PM (IST)
भागलपुर लोकसभा : 1989 के बाद खिसकती चली गई कांग्रेस की जमीन
भागलपुर लोकसभा : 1989 के बाद खिसकती चली गई कांग्रेस की जमीन

भागलपुर [संजय सिंह]। सिल्क के लिए मशहूर भागलपुर में अपने परंपरागत वोटरों के बूते आजादी के बाद से 1989 तक पूरे चुनाव में कांग्रेस अपना झंडा गाड़े रखने में सफल रही। इसके बाद कांग्रेस की जमीन खिसकती चली गई। 1977 में डॉ. रामजी सिंह ने कांग्रेस को झटका देकर भागलपुर का प्रतिनिधित्व संसद में किया।

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इस बीच जब जनता दल का उदय हुआ तो वे वोटर कहीं न कहीं शिफ्ट कर चुके थे। इसका परिणाम यह हुआ कि 1989 से 96 तक इस सीट पर जनता दल का कब्जा रहा। 1998 में यह सीट जनता दल से खिसक कर भाजपा के पास चली आई। लेकिन 1999 में भाजपा को पराजय का सामना करना पड़ा। यह सीट सीपीएम (भारत की कम्युनिस्ट पार्टी माक्र्सवादी) के खाते में चली गई। 2004 में इस सीट पर भाजपा ने फिर कब्जा किया। तब यहां के सांसद बिहार के वर्तमान उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी चुने गए। लेकिन, उन्होंने इस सीट से अपना त्यागपत्र दे दिया। 2006 में हुए उपचुनाव के बाद यहां के सांसद भाजपा के शाहनवाज हुसैन हुए। 2014 में फिर यह सीट राजद के खाते में चली गई और यहां के सांसद शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल चुने गए।

भागलपुर के राजनीतिक परिदृश्य पर यदि गौर किया जाए तो यहां के प्रथम सांसद बनारसी प्रसाद झुनझुनवाला हुए। इस संसदीय सीट का सर्वाधिक प्रतिनिधित्व पांच बार कांग्रेस के भागवत झा आजाद ने किया। लेकिन, वर्ष 1977 इसका अपवाद है। 1977 में यहां के सांसद डॉ. रामजी सिंह (जनता पर्टी) हुए। जनता दल के चुनचुन प्रसाद यादव को भी भागलपुर से संसद में प्रतिनिधित्व करने का तीन बार अवसर मिला। भाजपा के प्रभाषचंद्र तिवारी 1999 के चुनाव में सीपीएम के उम्मीदवार सुबोध राय के हाथों पराजित होकर मात्र एक बार ही भागलपुर का प्रतिनिधित्व संसद में कर पाए। फिर सुबोध राय के हाथ से भी यह सीट 2004 में खिसक कर भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी के हाथों चली आई।

2006 के चुनाव में यहां के सांसद भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन बने। उन्होंने 2009 तक इस संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व लोकसभा में किया। 2014 में यह सीट फिर खिसककर राजद के शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल के हाथ चली गई। वोटों के सियासी समीकरण में अब राजद अपनी जमीन बचाने की कोशिश करेगी। वहीं भाजपा या एनडीए अपनी खोई हुई सीट पाने के लिए मशक्कत करेगी।

भागलपुर लोकसभा पर एक नजर

-इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत भागलपुर, नाथनगर, बिहपुर, गोपालपुर, कहलगांव और पीरपैंती विधानसभा आते हैं।

-भागलपुर जिले में 16 ब्लॉक तथा 242 पंचायतें हैं।

-जिले की कुल आबादी करीब 30,3226 है।

-यह लोकसभा क्षेत्र आंशिक रूप से उग्रवाद प्रभावित एवं जातीय,

साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से संवेदनशील है।

-यहां से पूर्व मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, कई केंद्रीय मंत्री भी चुनाव जीते हैं।

-भागलपुर से कांग्रेस के भागवत झा आजाद ने सर्वाधिक पांच बार किया संसद का प्रतिनिधित्व

-जनता दल के चुनचुन प्रसाद यादव को भी संसद में प्रतिनिधित्व करने का तीन बार मिला अवसर


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