सुपौल में सजती है फटे-पुराने कपड़ों की मंडी, इसी से कटती है कुछ लोगों की जिंदगी
सुपौल बाजार में फटे पुराने कपड़ों की मंडी सजती है। यहां एक ऐसा तबका है जिसकी जिंदगी इसी मंडी से कटती है। जाड़े के मौसम में तो इस मंडी की चमक और बढ़ जाती है। गरीब लोग खुद को ठंड से बचाने के लिए इसी मंडी का सहारा लेते हैं।
सुपौल, जेएनएन। देश ने आजादी के बाद काफी विकास किया। बावजूद देश में एक ऐसा भी तबका है जो फटे-पुराने कपड़े से ही गुजारा करता है और उनकी जिदंगानी इन्हीं कपड़ों के सहारे चलती है। ऐसे तो देश के अलग-अलग हिस्सों में फटे-पुराने कपड़े की दुकानें सजती है। सुपौल में भी फटे-पुराने कपड़ों की एक ऐसी ही मंडी है जहां रोज दुकानें सजती है और लोग फटे-पुराने कपड़े खरीदते हैं।
ठंड के समय इन दुकानों पर भी दिखती चमक-दमक
पहले शहर में कई जगहों पर फटे-पुराने कपड़े बिकते थे। पर धीरे-धीरे इनकी संख्या सिमटती गई। ऐसा नहीं कि आज यह मंडी नहीं सजती। सुपौल रेलवे स्टेशन परिसर में कई वर्षो से फटे-पुराने कपड़ों की दुकानें सजती है और गरीब तबके के लोग इन्हीं दुकानों से कपड़े खरीद कर अपनी जिदंगानी काटते हैं। ठंड के समय इन दुकानों पर भी चमक-दमक दिखती है। स्वेटर, हूडी, कार्डिगन, जैकेट, कोट, मफलर, टोपी आदि खरीद कर लोग ठंड से निजात पाते हैं। ङ्क्षजस, शर्ट, टी-शर्ट, साड़ी आदि भी यहां उपलब्ध रहती है।
कई वर्षो से चलता आ रहा है शहर में यह धंधा
फटे-पुराने कपड़े के धंधे से जुड़े लोग घर-घर जाकर कपड़े के बदले कुछ सामान या पैसे देकर पुराने कपड़े खरीदते हैं और फिर उन कपड़ों को साफ करा कर दुकान सजाते हैं। यह तो हुई स्थानीय स्तर की बात। धंधे से जुड़े लोग बाहर से भी पुराने कपड़े मंगाते हैं और बेचते हैं। यह धंधा सुपौल में कई वर्षो से चलता आ रहा है। सुपौल का काफी विकास हुआ, कई ब्रांडेड कंपनियों के शोरूम खुले। बावजूद फटे-पुराने कपड़ों का धंधा विलुप्त नहीं हो पाया। आज भी गरीब तबके के लोग इन दुकानों से कपड़े खरीदते देखे जा सकते हैं और ऐसे लोगों की ङ्क्षजदगानी फटे-पुराने कपड़ों से ही कटती है।