पूर्णिया में निविदा निकालने के नाम पर होता है मैनेज का खेल, करोड़ों के राजस्व का हो रहा नुकसान
पूर्णिया में निविदा मैनेज करने के कारण सरकार को हर वर्ष करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है। ग्रामीण कार्य प्रमंडल के विगत चार वर्षों के योजनाओं की जांच के बाद इस बात का खुलासा हुआ है। अधिकांश निविदा में संवेदक चयन में विलो राशि महज मामूली है।
पूर्णिया, जेएनएन। पूर्णिया ग्रामीण कार्य प्रमंडल में भले ही हर साल हजारों योजनाओं के लिए निविदा निकालकर संवेदकों के बीच कार्य आवंटन का दिखावा किया जा रहा हो। मगर इसकी जमीनी सच्चाई कुछ और ही है। यहां योजनाओं के निविदा का दिखावा जरूर होता है लेकिन सब कुछ पहले से ही मैनेज रहता है। विलो रेट पर योजनाओं का निविदा के तहत चयन से पहले ही योजना की राशि का पांच फीसदी राशि कमीशन के रूप में वसूल कर ली जाती है और फिर योजनाओं को संवेदकों के बीच बांट दिया जाता है। निविदा को इस तरह मैनेज करने के कारण सरकार को हर वर्ष करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है। पूर्णिया ग्रामीण कार्य प्रमंडल के विगत चार वर्षों के योजनाओं की जांच के बाद इस बात का खुलासा होता है की यहां दिखावे के लिए भले ही सभी योजनाओं के लिए निविदा निकाली गयी हो लेकिन किसी भी योजना के संवेदक चयन में विलो राशि महज मामूली है। जबकि इस पूर्व जब पारदर्शिता के साथ योजनाओं की निविदा निकाली जाती थी तो निविदा की राशि दस फीसदी से लेकर तीस फीसदी तक कम रहती थी। बताया जाता है पूर्णिया के पूर्व कार्यपालक अभियंता अभयानंद शर्मा के कार्यकाल में इसमें काफी बढ़ोतरी देखी गयी। उनके कार्यकाल के दौरान जिन योजनाओं के लिए निविदा निकाली गयी वह अधिकांश योजनाएं मैनेज थी। जिसकी गवाही इन योजनाओं में संवेदकों को चयन काफी मामूली विलो रकम दिखाकर लिया गया है। तीन वर्षों के दौरान यहां से निकाली गयी तीन हजार से अधिक योजनाएं जो अरबों की थी वह इस अनियमितता की पोल खुल रही है। बताया जाता है की अगर इस मामले की जांच कराई जाए तो बहुंत बड़ा सरकारी राशि के लूट का घोटाला सामने आएगा। सबसे हैरत की बात तो यह है की इस तरह के खेल की जानकारी इस विभाग के आला अधिकारियों को होने के बाद भी इन मामलों में किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।
निष्पक्ष निविदा होने पर सरकार को होता है राजस्व का फायदा
निविदा की प्रक्रिया सरकार द्वारा योजनाओं के संवेदक चयन में इसी कारण अपनाई जाती है ताकि सरकार द्वारा निर्धारित राशि से कम में बेहतर ढंग से योजनाओं के चयन के लिए संवेदकों में प्रतिस्पर्धा जगे। मगर इसके मैनेज के कारण सरकारी की इस सोच पर पानी फिर गया है। पहले जिन योजनाओं के लिए सरकार द्वारा 10 करोड़ की राशि तय की जाती थी उसे संवेदक 10 प्रतिशत से लेकर 20 फीसद बिलो पर करने के लिए आठ करोड़ से लेकर नौ करोड़ तक की निविदा डालते थे। इसके बाद सरकार दो एक करोड़ से लेकर दो करोड़ के सरकारी राजस्व की बचत होती है मगर हाल के तीन वर्षों में पूर्णिया में यह होता नहीं दिख रहा।
योजनाएं के लिए निविदा निकालने में मैनेज के खेल की जानकारी उन्हें नहीं है, अगर इस तरह का मामला है तो यह काफी गंभीर मामला है जिसकी जांच कराई जाएगी। -पंकज पाल प्रधान सचिव ग्रामीण कार्य विभाग।