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Impact of floods in Kosi: मंहगे दर पर चारा खरीद रहे पशुपालक, सारी फसल भी डूबी

कोसी इलाके में बाढ़ के कारण धान की फसल बर्बाद होने के कारण पशुचारा का संकट गंभीर हो चुका है। अभी तीन हजार रुपये प्रति हजार की दर से पुआल बिक रहा है जबकि भूसा 20 रुपये प्रतिकिलो की दर से बिक रहा है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 07 Oct 2020 09:13 PM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2020 09:13 PM (IST)
Impact of floods in Kosi: मंहगे दर पर चारा खरीद रहे पशुपालक, सारी फसल भी डूबी
कटिहार इलाके में कुछ दिन पहले बाढ की स्थिति

कटिहार, जेएनएन। बाढ़ के बाद फसलों को हुए नुकसान का असर पशुचारा पर दिख रहा है। जिले की 70 फीसदी आबादी किसानी और पशुपालन पर निर्भर है। इसमें काफी संख्या में लघु और सीमांत किसान है, जो पशुपालन कर परिवार की आजीविका चला रहे हैं। लेकिन बाढ़ के कारण धान की फसल बर्बाद होने के कारण पशुचारा का संकट गंभीर हो चुका है। इसके लिए पशुचारा की व्यवस्था पशुपालकों के लिए मुश्किल हो रही है। जबकि कई छोटे किसान पशुचारा की किल्लत के कारण अपने मवेशियों को बेचने पर मजबूर हो रहे हैं। इसके कारण उन्हें परिवार चलाने की जद्दोजहद का सामना करना पड़ रहा है।

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बता दें कि गत वर्ष की बाढ़ के बाद से ही पशुचारा की समस्या से पशुपालक जूझ रहे हैं। फिलहाल तीन हजार रुपये प्रति हजार की दर से पुआल बिक रहा है, जबकि भूसा 20 रुपये प्रतिकिलो की दर से बिक रहा है। लेकिन बढ़ती महंगाई और पशुचारा की किल्लत के कारण इसका संग्रह मुश्किल हो रहा है। जबकि भूसा का भाव भी आसमान छू चुका है। जबकि इस बार बाढ़ के कारण धान की फसल बर्बाद होने के कारण पशुचार का ग्रहण बरकरार ह।

औसत लागत में वृद्धि से हो रहा नुकसान

पशुपालन को बढ़ावा देने को लेकर सरकारी स्तर से पहल होने के कारण बड़ी संख्या में युवा पशुपालन से जुड़े हुए हैं। जबकि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं भी पशुपालन कर रही है। लेकिन पशुचारा के मूल्य में वृद्धि के कारण उन्हें समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। भूसा व पुआल के साथ दाना, चोकर, खल्ली के भाव में भी लगातार वृद्धि के कारण औसत मुनाफा काफी कम हो गया है। जबकि ग्रामीण क्षेत्र में दूध के भाव कम है। दुग्ध उत्पादन सहयोग समिति के भी बेहतर क्रियान्वयन के अभाव में उन्हें औन पौने दाम पर खुले बाजार में दूध की बिक्री करने की मजबूरी रहती है।

पशुपालक संजय सिंह, संतोष कुमार, रामफल, मुकेश रजक, दिनेश सिंह, विंदेश्वरी सिंह, विनोद झा आदि ने बताया कि बाढ़ के बाद पशुचारा की कीमत लगातार बढ़ रही है। इसके कारण उनका औसत मुनाफा काफी कम हो गया है। बैंक से कर्ज से पशुपालन की शुरुआत की थी, लेकिन अब बैंक का कर्ज चुकाना भी उनके लिए चुनौती बन गया है। पशुपालकों ने सरकारी स्तर पर पशुचारा का प्रबंध करने और न्यूनतम मूल्य पर पशुचारा उपलब्ध कराने की मांग की है।


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