खाते से 4.15 लाख की अवैध निकासी, जानें... कैसे गहराया बैंककर्मियों पर शक Bhagalpur News
पीड़ित बैंक ग्राहक ने कहा कि उनका मोबाइल नंबर बैंक में बदला हुआ है। जबकि उन्होंने अपना नंबर बैंक में नहीं बदलने का आवेदन दिया था।
भागलपुर [जेएनएन]। मोजाहिदपुर थाना क्षेत्र के क्लबगंज, मिरजानहाट महादेव लाल लेन निवासी अरुण कुमार तिवारी के एचडीएफसी बैंक के खाते से 4.15 लाख की अवैध निकासी का मामला सामने आया है। अरुण इंश्योरेंस विभाग में विकास अधिकारी के पद से सेवानिवृत हुए हैं। उन्होंने इस मामले में तिलकामांझी इलाके में स्थित एचडीएफसी बैंक के प्रबंधक कुमार गंधर्व सहित अन्य पर अवैध निकासी कर ठगी का आरोप लगाते हुए रविवार को केस दर्ज कराया है। उनका आरोप है कि मैनेजर व अन्य कर्मियों ने साइबर अपराधियों के साथ मिलकर रुपये उड़ाए हैं। चौकी इंचार्ज मिथिलेश कुमार चौधरी ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
दो बैंक खातों का बदल लिया नंबर
अरुण कुमार तिवारी का एचडीएफसी बैंक में दो बचत खाता है। वे 20 जुलाई को अपना खाता अपडेट कराने के लिए गए थे। जब उन्होंने खाता अपडेट कराया तो पता चला कि एक खाते से कुल एक लाख 73 हजार रुपये और दूसरे खाते से दो लाख 42 हजार रुपये गायब थे। जिसे उन लोगों ने नहीं निकाला है। यह देखते ही उनके होश उड़ गए। यह निकासी 15 जुलाई से 20 जुलाई के बीच की गई थी।
धोखे से बदल दिया गया है नंबर
अरुण ने कहा कि जब उन्होंने खाते का बैंक स्टेटमेंट निकाला तो पता चला कि खाते से कई किश्तों में रुपये की निकासी हुई है। बैंक से उन लोगों को जानकारी मिली कि उनका मोबाइल नंबर बैंक में बदला हुआ है। जबकि अरुण कुमार तिवारी का कहना है कि उन्होंने अपना नंबर बैंक में नहीं बदला है।
बैंक प्रबंधन की भूमिका संदिग्ध
इस मामले को लेकर अरुण कुमार तिवारी के बेटे ने बताया बैंक प्रबंधक और अन्य कर्मियों की भूमिका संदिग्ध है। उन लोगों ने अपने खाते पर ठगी से बचने के लिए कोई नेट बैंकिंग या मोबाइल बैंकिंग की भी सुविधा नहीं ली है। बावजूद उनके मोबाइल नंबर को बगैर अनुमति धोखे से बदल दिया गया। इस कारण बैंक प्रबंधन की भूमिका मामले में संदिग्ध है।
कैसे बदला मोबाइल नंबर जांच करेगी पुलिस
बैंक में बिना ग्राहक के अनुमति के नंबर कैसे बदल गया। इस बात की जांच पुलिस करेगी। इंचार्ज मिथिलेश कुमार ने बताया कि मामले में पुलिस मैनेजर सहित अन्य कर्मियों से भी पूछताछ करेगी। वहीं मामला दर्ज कराने के पूर्व बैंक प्रबंधन द्वारा पीडि़त व्यक्ति से मैनेज करने का प्रयास किया गया। लेकिन पीडि़त ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। ताकि आरोपित का पता चल सके और कार्रवाई की जद में आ सके।